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मासिक - उनत्तीसवां संस्करण अगस्त, 2017
अनुक्रमणिका हमारा संस्थान
  1. मास्टर रिसोर्स पर्सन सर्टीफिकेशन प्रोग्राम
  2. अपनी बात ....
  3. ग्राम सभा के फैसले के विरूद्ध अपील
  4. अपर मुख्य सचिव महोदय/विकास आयुक्त द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस में दिये गये निर्देश
  5. विकास में सामुदायिक सहभागिता
  6. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) - समस्या एवं समाधान (प्रश्नोत्तरी)

मास्टर रिसोर्स पर्सन सर्टिफिकेशन प्रोग्राम

प्रशिक्षणों की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से संस्थान में दिनांक 25 से 28 जुलाई 2017 की अवधि में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, (NIRD&PR) हैदराबाद द्वारा “Transforming India through Strengthening PRIs by Continuous Training and E-enablement” Certification of Master Resource Persons कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में अतिथिवार्ताकार, संस्थान एवं क्षेत्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थाओं के अधिकारी/संकाय सदस्य/कम्प्यूटर प्रोग्रामर सह इन्स्ट्रक्टर इस प्रकार से कुल 49 प्रतिभागी उपस्थित हुये। कार्यक्रम में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, (NIRD&PR) हैदराबाद से श्री पी.सी. सिकलीकर एवं श्री मुनीश जैन, मूल्याकंनकर्त्ता श्री योगेश राठौर, श्री अरूण जिंदल द्वारा सर्टीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी की गई। प्रशिक्षण में प्रतिभागियों के सी.व्ही. परीक्षण, समूह चर्चा, समूह प्रजेन्टेशन, चिन्हित किये गये विषयों पर व्यक्तिश: प्रजेन्टेशन जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों को सम्मिलित किया गया।

प्रशिक्षण के समापन अवसर पर संस्थान के संचालक श्री संजय कुमार सराफ द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि, एनआईआरडी एण्ड पीआर हैदराबाद द्वारा प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में यह सर्टीफिकेशन प्रोग्राम अनुपम पहल है। इससे जहॉं एक ओर प्रशिक्षकों को अपने कौशल विकास का अवसर मिलेगें वहीं दूसरी ओर पंचायतराज प्रशिक्षणों की गुणवत्ता भी बढ़ सकेगी।

  अनुक्रमणिका  
ग्राम सभा के फैसले के विरूद्ध अपील
अपनी बात .....

‘‘पहल’’ मासिक ई-न्यूज लेटर का उनत्तीसवां संस्करण का प्रकाशन किया जा रहा है, जो इस साल का मासिक संस्करण के रूप में आठवां संस्करण है।

इस माह महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान में राष्ट्रीय मास्टर रिसोर्स पर्सन हेतु सर्टीफिकेशन कोर्स का आयोजन राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज संस्थान, हैदराबाद के द्वारा किया गया। इसे एक समाचार आलेख के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

इसके अतिरिक्त ‘‘ग्राम सभा के फैसले के विरूद्ध अपील’’ आलेख के द्वारा ग्राम सभा बैठक में लिए गये फैसलों पर ग्राम सभा सदस्यों द्वारा दी जाने वाली आपत्ति को एक लेख द्वारा प्रस्तुत किया गया है तथा अपर मुख्य सचिव महोदय द्वारा वीडियो कांफ्रेन्स दिनांक 13 जुलाई, 2017 में दिये गये निर्देश, साथ ही ‘‘स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत समस्या एवं समाधान’’ को एक प्रश्नोत्तरी के माध्यम से व्यक्त किया गया है।

इसके अतिरिक्त ’’विकास में सामुदायिक सहभागिता’’ लेख के माध्यम से विकास हेतु सामुदायिक सहभागिता पर एक आलेख प्रस्तुत किया गया है।

हमें इस बात का पूर्ण भरोसा है कि ‘पहल’ का यह संस्करण आप सभी को अत्यंत रूचिकर लगेगा।
शुभकामनाओं सहित।

संजय कुमार सराफ
संचालक

ग्राम सभा की बैठक में लिये गये फैसलों पर ग्राम सभा सदस्यों द्वारा दी जाने वाली आपत्तियों की अपील के निराकरण के लिए ‘‘अपील समिति’’ का प्रावधान किया गया है। अपील समिति में तीन सदस्य होते हैं। संबंधित जनपद पंचायत के अध्यक्ष, ग्रामसभा क्षेत्र के जनपद पंचायत सदस्य एवं उपखण्ड अधिकारी (राजस्व) होते हैं। इस समिति के अध्यक्ष जनपद पंचायत के अध्यक्ष होते हैं।

ग्राम की बैठक में लिये गये फैसले पर अगर किसी ग्राम सभा के सदस्य को आपत्ति हो तो वह जिस तारीख को बैठक हुई हो, उसके 30 दिनों के भीतर अपील समिति को लिखित में अपनी आपत्ति दे सकते हैं। किसी कारण से आपत्ति की अपील देने में सदस्य द्वारा 30 दिनों से अधिक समय लगा हो तब भी वह अपनी अपील दे सकता है परन्तु अपील देने में देरी होने का उसके पास उपयुक्त कारण होना चाहिए। इस प्रकार की देरी से आने वाली अपील को स्वीकार करने या न करने का अधिकार अपील समिति को होता है।

ग्राम सभा सदस्य द्वारा अपील में ग्राम के फैसले के संबंध में उठाई गई आपत्तियों का कारण और आधार स्पष्ट रूप से लिखा जाना जरूरी है। अपील के साथ में ग्राम सभा फैसले की फोटोकापी लगाई जावेगी।

अपील मिलने के बाद अपील समिति द्वारा तथ्यों की जॉंच की जावेगी। इसके लिए अपील समिति संबंधित ग्राम सभा से आवश्यक रिकार्ड बुलाएगी। सभी पक्षकारों की सुनवाई करने के बाद अपील समिति के द्वारा जल्द से जल्द अपील का निपटारा किया जावेगा। अपील समिति के द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम और सभी संबंधित पक्षकारों को मानना जरूरी होगा।

जब तक अपील समिति द्वारा अपील का निपटारा नहीं कर दिया जाता तब तक ग्राम सभा के उस फैसले जिसके विरूद्ध अपील की गई है, उस फैसले पर की जाने वाली कार्यवाही पर रोक लगाई जा सकती है।

अपील समिति द्वारा पक्षकारों को सुनवाई का अवसर दिया जावेगा। अपील के संबंध में अगर कोई जॉंच करवाने की आवश्यकता हो जो अपील समिति जॉंच भी करवा सकती है। इससे अपील समिति द्वारा अपील में उल्लेखित आपत्ति की पुष्टि कर सकती है। अपील में उल्लेखित आपत्ति में फेरफार या नामंजूर किया जा सकता है। अपील समिति अगर उपयुक्त समझे तो वह पक्षकारों को ऐसे खर्चे दिला सकती है।

(संदर्भ स्त्रोत : मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993, धारा 7-ज - ग्राम सभा के विनिश्चय के विरूद्ध समिति को अपील, नियम - म.प्र. ग्राम सभा (अपील) नियम, 2001)




  अनुक्रमणिका  
डॉ. संजय कुमार राजपूत,
संकाय सदस्य
अपर मुख्य सचिव महोदय/विकास आयुक्त द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस में दिये गये निर्देश दिनांक 13 जुलाई 2017

1.प्रधानमंत्री आवास योजना:-

1.1 समस्त जिलों में पदस्थ प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के आवास प्रभारी प्रत्येक सप्ताह 200 आवास का निरीक्षण करेंगे। हितग्राहियों को आवास निर्माण में आ रहीं समस्त समस्याएं जैसे सामग्री की उपलब्धता, मिस्त्री की उपलब्धता, समय पर geo-tagging होना आदि का निराकरण कर infra mapping पर अपलोड करें।

1.2 हर जिलें में लक्ष्य के अनुपात में centering की उपलब्धता का आकलन किया जावे तथा स्वरोजगार योजनाओं में centering के प्रकरण बना कर बैंको से स्वीकृत कराकर यथाशीघ्र ऋण वितरण कराया जावे।

1.3 समस्त जिले अप्रारंभ आवास एवं ऐसे प्रत्येक प्रकरण जिनमें किश्त जारी हुए दो माह हो चुके हैं की प्रगति की समीक्षा करें।

1.4 प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण अन्तर्गत geo-tagging में होने वाले विलम्ब रोकने के लिए geo-tagging का कार्य विभिन्न मैदानी अमले से कराया जाये। साथ ही, प्रत्येक ग्राम में दो geo-tagg मित्र बनाये जायें, जिन्हें आवास एप के बारे में प्रशिक्षित कर geo-tagging के लिए उपयोग मे लाया जाये। geo-tagg मित्र उसी ग्राम के निवासी होने चाहिए। प्रति आवास geo-tagging करने के लिए राशि रू 50/- आवास मित्र को दी जावे और यह राशि ग्राम रोजगार सहायक के मानदेय से काटी जावे।

1.5 सभी जिले माह जुलाई एवं अगस्त 2017 का आवास पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित कर गूगल शीट में दर्ज करें।

2.पुरानी आवास योजनाएं:-

2.1 वनाधिकार एवं मुख्यमंत्री अन्त्योदय आवास योजना में स्वीकृत जिन हितग्राहियों के आवास अप्रारंभ अथवा नींव स्तर पर हैं यदि वे PMAY की पात्रता सूची में हों तो उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण के अन्तर्गत स्वीकृति दी जाए। ऐसे हितग्राहियों को पूर्व में प्रदत्त राशि की कटौती एक अथवा दो समान किश्तों में की जाए।

2.2 माह जुलाई में द्वितीय किश्त प्रदाय करने तथा आवास पूर्ण करने का लक्ष्य कम रखा गया है यथार्थ स्थिति का आंकलन कर इसे पुनरीक्षित करें।

3.स्वच्छ भारत मिशन:-

3.1 राज्य कार्यक्रम अधिकारी सिंगरौली जिले को जिला समन्वयक उपलब्ध कराएं।

3.2 समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत 27 जुलाई 2017 से पूर्व ODF घोषित ग्रामों में शतप्रतिशत शौचालय उपलब्धता की कार्यवाही सुनिश्चित कराएं।

3.3 समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत Data क्लीनिंग का कार्य 19 जुलाई 2017 के पूर्व पूर्ण कराएं।

3.4 अशोकनगर जिले में GoI Baseline में बढ़े हुए पात्र परिवारों के कारणों की जांच राज्य कार्यक्रम अधिकारी अपने दल के साथ एक सप्ताह के भीतर करके प्रतिवेदन दें।

3.5 पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत शासन द्वारा आउटडोर मीडिया प्रचार-प्रसार अंतर्गत “दरवाजा बंद“ शीर्षक से प्रदाय होर्डिंग मैटर का सार्वजनिक स्थानों पर 20‘x10‘ आकार में प्रदर्शित किया जाना है। अतः जिला मुरैना, भिंड, ग्वालियर एवं शिवपुरी में जिला एवं जनपद मुख्यालय के प्रमुख स्थानों पर राजधानी भोपाल में प्रमुख 8-10 स्थानों तथा शेष अन्य जिलों के जिला मुख्यालय के 2 प्रमुख स्थानों पर उपरोक्तानुसार होर्डिंग लगाये जाएं।

4.महात्मा गांधी नरेगा:-

समस्त जिलों को मनरेगा अंतर्गत मजदूरी भुगतान में हुए विलम्ब के लिए मुआवजा भुगतान करने के निर्देश दिये गये एवं भुगतान में हुए विलम्ब के लिए सम्बन्धित जिम्मेदार अधिकारियों से इस राशि की वसूली की जावे। वसूली की प्रत्याशा में मुआवजा न रोका जावे।




  अनुक्रमणिका  

विकास में सामुदायिक सहभागिता

पिछले अंक का शेष भाग-

भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने संसद में एक संबोधन में इसी बात पर जोर दिया था । महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि -

यह सरकार ग्रामीण भारत का पुर्ननिर्माण करने के लिये सब के साथ मिलकर सहभागिता से भारत निर्माण को क्रियान्वित करना चाहती हैं। अब शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, सड़क, आवास, जलापूर्ति, विद्युतीकरण और संचार सम्पर्कता के क्षेत्रों में ग्रामीण अवसंरचना का पुर्ननिर्माण करने के लिये एक समयबद्ध कार्ययोजना होगी । कार्यक्रम की एक प्लेटफार्म के रूप में परिकल्पना की गई है जिस पर सरकार ग्रामीण भारत के लिये अपने नये विचार का निर्माण करेगी।

खुशी तो इस बात की है कि आज हम इसे साकार करने की ओर बढ़ रहे हैं । हमारी सरकार योजनाओं के क्रियान्वयन में सहभागिता पर जोर देकर विकास की परिकल्पना को साकार करने के लिये पूरी लगनशीलता , उत्साह और समर्पण से कार्य कर रही हैं।

ग्रामो को समृद्व बनाने एवं ग्रामीण विकास को गति देने के लिये आवश्यक है कि स्थानीय लोगों में जागरुकता आये। लगातार प्रयास के बाद भी आज बहुत से लोगो के पास आवश्यक मूलभूत सुविधा भी नहीं पहुचॅ पाई हैं ,जिसका एक प्रमुख कारण है कि प्रशासन एवं समुदाय के बीच अन्तर । इस अन्तर को कम करने में हम काफी हद तक सफल भी हो रहें हैं। क्योकि आज कार्य करने के तरीकों में बदलाव आया हैं। अब क्रियान्वयन में समुदाय ओर प्रशासन साथ में कार्य कर रहे हैं। आज सामुदायिक सहभागिता लोगो के जीवन में स्वास्थ्य,शिक्षा,रोजगार जैसी सुविधा उपलब्ध कराने मे सहायक बन रही हैं।

शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए समाज के लोगों की सहभागिता आवश्यक है। योजनाओं के क्रियान्वयन के

पक्ष में यह देखा गया है कि योजनाओं के निर्माण में जनता की सहभागिता एवं शासकीय व्यक्तियों का जहां समन्वय होता है,वह कार्य/योजना बहुत अच्छी तरह क्रियान्वित होती है एवं जहां जनता और शासकीय व्यक्तियों की सहभागिता नही होती, वहां क्रियान्वयन पिछडा होता है। अतः योजनाओं के क्रियान्वयन एवं विकास हेतु समुदाय की सहभागिता आवश्यक है।

सामुदायिक सहभागिता के कारण आज समाज में जागरूकता आ रही हैं । लोग शासकीय कार्यो के लेखा-जोखा को देखने, सामाजिक अंकक्षेण की गतिविधि का आयोजन करके एवं किए गए कार्यो का सूक्ष्मता से निरीक्षण करने हेतु सक्षम हो रहे है जिससे संस्थागत कार्यो में पारदर्शिता से विश्वास बढ रहा हैं एवं समुदाय अपने दायित्वों का निर्वाह करने के लिए तैयार हो रहा हैं । जिससे समाज का सामाजिक ढ़ांचा सुदृढ़ हो रहा है । परिणामस्वरूप सामाजिक कुरीतियां एवं नकारात्मक सोच से ऊपर उठकर समुदाय सकारात्मक सोच की ओर अग्रसर हो रहा है।

भागीदारी से सामुदायिक सहभागिता सुदृढ़ होगी एवं संस्थागत विकास को बढ़ावा मिलेगा। अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा जैसी संस्थाएं सक्षम होगी एवं ग्राम विकास हेतु कार्य योजनाओं का निर्माण कर पायेंगी ।

गॉधी जी का स्वर्णिम भारत के सपने में विकास का अर्थ - ’’अंतिम छोर के व्यक्ति तक सुविधाओं की पहुॅच होना चाहिए ।’’

सामुदायिक सहभागिता गांधीजी के सपने को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन कर रही है ।




  अनुक्रमणिका  
डॉ. वंदना तिवारी,
संकाय सदस्य
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) - समस्या एवं समाधान (प्रश्नोत्तरी)

भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा मध्यप्रदेश शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रदत्त वित्तीय सहायता से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन संचालित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की है। स्वच्छ भारत मिशन ‘‘ग्रामीण’’ का लक्ष्य महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ 2 अक्टूबर 2019 तक स्वच्छ भारत की स्थिति प्राप्त करना है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, साफ-सफाई तथा खुले में शौच करने की प्रथा को समाप्त करने की गतिविधियों को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को लेकर अक्सर लोगों के मन में कई भ्रांतियां और प्रश्न खड़े होते हैं। इन सभी संभावित प्रश्नों के समाधान परख उत्तर प्रकाशित किये जा रहे हैं।

प्रश्नः स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में क्या-क्या कार्य होते हैं ?

उत्तरः स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पूर्ण स्वच्छता प्राप्त करने के लिये निम्नलिखित कार्य किये जाते हैं-

  • गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए व्यक्तिगत शौचालय निर्माण कार्य।
  • सामुदायिक स्वच्छता परिसर का निर्माण।
  • गंदे पानी के प्रबंधन संबंधी निर्माण कार्य।
  • ग्रामीण क्षेत्र के ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति जागरूक और शिक्षित करने के लिए कार्य।

प्रश्नः व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय निर्माण में किस वर्ग को सहायता राशि प्राप्त होती है ?

उत्तरः व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि निम्नलिखित परिवारों को दी जाती है-

  • गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले सभी परिवार।
  • गरीबी से ऊपर जीवन बसर करने वाले अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों, लघु एवं सीमांत किसानों, वासभूमि वाले भूमिहीन श्रमिकों, निशक्तजनों और महिला मुखिया वाले सभी परिवार।
  • किंतु उनको नहीं जिन्होंने शौचालय निर्माण के लिए पूर्व में सहायता प्राप्त की है।

प्रश्नः स्वच्छ भारत मिशन से मुझे क्या लाभ प्राप्त हो सकता है ?

उत्तरःपात्र परिवारों को व्यक्तिगत शौचालय बनवाने और उसका उपयोग करने पर प्रोत्साहन राशि रू. 120,000/- मिलेगी। गांव स्तर पर गांव के कूड़े-कचरे एवं गंदगी के निपटान की भी सुविधा होगी और यदि आपके गांव में हाट बाजार जहां गांव के बाहर से लोगों का आना-जाना होता है तो उनके द्वारा गंदगी ना की जाए, जिसके लिए भी सार्वजनिक शौचालय बनाया जा सकता है।

प्रश्नः जो परिवार प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने की पात्रता नहीं रखते उनका शौचालय निर्माण कैसे होगा ?

उत्तरःजिन परिवार को प्रोत्साहन राशि की पात्रता नहीं है, ऐसे परिवारों को स्वयं पारिवारिक शौचलय बनाने का कार्य करना होता है। उन्हें उसके लिए प्रेरित, शिक्षित और प्रोत्साहित किया जाता है। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के द्वारा जारी दिशा निर्देशों में ऐसे ए.पी.एल. परिवार जिन्हें वर्तमान में शौचालय निर्माण में धन खर्च करने में समस्या है उन परिवारों की परिक्रामी निधि (रिवाल्विंग फंड) से सहायता की जा सकती है अथवा नाबार्ड बैंक और वित्तीय संस्थाओं से किफायती वित्त पोषण के माध्यम से सहायता की जा सकती है। जिन्हें 12 से 18 माह की किश्तों में लौटाना होता है।

प्रश्नः क्या मैं खुद अपना शौचालय बनवा सकता हूॅ ?

उत्तरःहॉ, आप स्वयं अपनी जरूरत और सुविधा अनुसार बेहतर शौचालय बना सकते हैं।

प्रश्नः क्या मुझे शौचालय बनाने से पहले ग्राम पंचायत से अनुमति लेनी जरूरी है ?

उत्तरःशौचालय बनाने से पहले ग्राम पंचायत को सूचित किया जाना होगा, जिससे ग्राम पंचायत के रिकार्ड देखकर पता चलेगा कि आपका परिवार शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि पाने के लिए पात्रता रखता है या नहीं।

प्रश्नः मैं स्वयं अपना शौचालय नहीं बना सकता तो क्या शौचालय बनाने में ग्राम पंचायत मेरी मदद करेगी ?

उत्तरः पात्रतानुसार जब कोई परिवार अपना स्वयं शौचालय बनाने में असमर्थ हो तो ग्राम पंचायत उसके घर में शासन द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार शौचालय निर्माण कराती है। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश शासन ने उन जिलों में जहां जिला गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम (डीपीआईपी)/राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के महिला स्वयं सहायता समूह/ग्राम संगठन कार्य कर रहे हैं, ऐसे समूहों/संगठनों को भी शौचालय निर्माण करने की अनुमति दी है।

प्रश्नः व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि शासन द्वारा कब प्राप्त होगी ? क्या शासन ये राशि अग्रिम (एडवांस) दे सकता है ?

उत्तरःजब शौचालय निर्माण कार्य पूर्ण हो जाये, शौचालय के साथ शौचालय की साफ-सफाई के लिए पानी भरने की टंकी और हाथों को साफ करने के लिए हाथ धुलाई की व्यवस्था (वॉश बेसिन) लगी हो और आपके परिवार के सभी सदस्य इसका उपयोग करने लगें, तब आप इसकी सूचना ग्राम पंचायत में सचिव या ग्राम रोजगार सहायक को देंगे। इनके द्वारा आपके शौचालय का सत्यापन होगा और शौचालय के साथ आपकी फोटों खींचकर तथा आपके बैंक का खाता नंबर और संबंधित अन्य जानकारी तथा आपके परिवार का समग्र आई.डी. नम्बर निर्धारित फार्म में भरकर जनपद पंचायत में प्रस्तुत करेंगे। जनपद स्तर से सत्यापन होगा और जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अनुशंसा के साथ भुगतान के लिए जिला पंचायत भेजा जायेगा। जिला पंचायत में आर.टी.जी.एस./एफ.टी.ओ. प्रणाली से प्रोत्साहन राशि का भुगतान सीधे आपके खातें में आ जायेगा। स्वयं हितग्राही द्वारा शौचालय निर्माण करने की स्थिति में प्रोत्साहन राशि दो किश्तों में भी दी जा सकती है - प्रथम किश्त रूपये 6000 लीच पीट एवं प्लेटफार्म का कार्य पूर्ण करने पर एवं दूसरी किश्त रूपये 6000 शौचालय निर्माण पूर्ण करने और पानी की टंकी व वॉश बेसिन निर्माण के पश्चात।

प्रश्नः स्वच्छ भारत मिशन से व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि कितने दिनों में प्राप्त हो सकेगी ?

उत्तरःउपरोक्त उत्तर में बताई गई व्यवस्था को पूर्ण होने में एक सप्ताह का समय लगता है, अतः एक सप्ताह से अधिकतम दो सप्ताह के अंदर ये राशि हितग्राही के बैंक में जमा हो जानी चाहिए।

प्रश्नः शौचालय निर्माण की राशि अलग-अलग समय में अलग क्यों दी जा रही है। पहले 4600 अब 12000 ?

उत्तरः 2 अक्टूबर 2014 से स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत व्यक्तिगत शौचालय बनाने पर प्रोत्साहन राशि रू. 12000 कर दी गई है। इस राशि में रूपये 2000 पानी की टंकी एवं हाथ धोने की व्यवस्था के लिए बढ़ाई गई है।

प्रश्नः मेरा शौचालय टूट गया है, इसकी मरम्मत के लिए मुझे पंचायत या शासन से क्या लाभ मिलेगा ?

उत्तरःटूटा हुआ शौचालय यदि योजना के द्वारा निर्मित हुआ था तो इस स्थिति में इसकी मरम्मत के लिए शासन से आर्थिक मदद नहीं मिल पायेगी परंतु स्वच्छ भारत के अंतर्गत कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी आपकों इसकी तकनीकी जानकारी उपलब्ध करायेंगे। जिससे कम खर्च में आप इसको पुनः उपयोग करने लायक बना सकेंगें।

प्रश्नः क्या मैं सेप्टिंक टैंक वाला शौचालय बना सकता हूॅ एवं ऐसा शौचालय बनाने पर शासन से लाभ मिल सकता है ?

उत्तरःस्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य खुले में शौच की आदत खत्म करते हुए साफ-सुथरा और सुंदर ग्राम बनाना है। खुले में शौच की प्रथा सुरक्षित शौचालय निर्माण और उसके उपयोग करने से ही खत्म होगी। यदि आप सेप्टिक टैंक वाला शौचालय बनाते हैं तो यह सही तकनीक का बनना चाहिए साथ ही साथ इससे निकलने वाला गंदा पानी नालियों में या खुले में सड़क आदि पर नहीं फैलना चाहिए। इसके गंदे पानी की निकासी भी सोख्ते गड्डे में जाना अनिवार्य है। तभी सेप्टिक टैंक वाला शौचालय सुरक्षित शौचालय माना जायेगा और इसके निर्माण पर प्रोत्साहन राशि रू. 12000 दी जा सकेगी अन्यथा नहीं।

प्रश्नः सरपंच कहता है कि तुम्हें शौचालय बनाने के लिए शासन की प्रोत्साहन राशि नहीं मिलेगी, ऐसा क्यों ?

उत्तरःसरपंच दो कारणों से ही किसी को शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि देने से मना कर सकता है- पहला कारण यदि आपका परिवार पात्र हितग्राही की श्रेणी में नहीं आता हो। दूसरा कारण यदि आपके परिवार को पहले से किसी योजना से शौचालय निर्माण के लिए राशि दी गई हो। इसके अतिरिक्त यदि आपकों प्रोत्साहन राशि देने मना किया जाता है तो आप जनपद पंचायत में इसकी शिकायत कर सकते हैं।

प्रश्नः गॉव में कूड़े-कचरे का ढेर है, क्या स्वच्छ भारत मिशन से इसकी सफाई की व्यवस्था है ?

उत्तरःहॉ, स्वच्छ भारत मिशन में ग्राम के कूड़े-कचरे और गंदे पानी के निपटान के लिए व्यवस्था का प्रावधान रखा गया है। कूड़े-कचरे एवं गंदे पानी के प्रबंधन के लिए राशि का प्रावधान ग्राम में परिवारों की संख्या के आधार पर किया गया है।

  • 150 तक परिवार संख्या वाले ग्राम पंचायतों के लिए- राशि रू. 7 लाख तक प्रावधान है।
  • 151 से 300 तक परिवार संख्या वाली ग्राम पंचायतों के लिए - राशि रू. 12 लाख तक का प्रावधान है।
  • 301 से 500 तक परिवार संख्या वाली ग्राम पंचायतों के लिए - राशि रू. 15 लाख तक का प्रावधान है।
  • 500 से अधिक तक परिवार संख्या वाली ग्राम पंचायतों के लिए - राशि रू. 20 लाख तक का प्रावधान है।

प्रश्नः सदियों से हमारे गांव में किसी भी घर में शौचालय नहीं है और हमारे घर में भी कोई बीमार नहीं है तो हमें फिर शौचालय क्यों बनाना चाहिए ?

उत्तरःस्वच्छता का स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। 80 प्रतिशत बीमारियों का कारण अस्वच्छता एवं खुले में शौच ही है। एक ग्राम मानव मल में एक करोड़ वायरस तथा 10 लाख बैक्टीरिया, मक्खी, धूल, गाड़ी के पहियों, पशुओं के खुरों आदि के साथ वापस आते हैं, जिससे भोजन और जल दूषित होता है। दूषित खानपान से यह मल मनुष्यों में प्रवेश कर जाता है और बीमारी का कारण बनता है। इसके अलावा शौचालय के अभाव में विशेषकर महिलाओं को सबसे अधिक कठिनाई होती है, जिन्हें अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है। सांप, बिच्छू काटने तथा उनके सम्मान का खतरा भी बना रहता है। बच्चों के शौच के बारे में भी कुछ भ्रांतियां हैं कि यह हानिकारक नहीं होता है परंतु ऐसी बात नहीं है यह भी उतना ही हानिकारक होता है पोलियो रोग भी शौच के माध्यम से फैलता है।

प्रश्नः मैं अपना शौचालय बढ़िया और बड़ा बनाना चाहता हूॅ क्या शासन मुझे प्रोत्साहन राशि देगा ?

उत्तरःशासन द्वारा प्रोत्साहन राशि रू. 12000/- का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त अधिक राशि खर्च कर आप स्वयं और अधिक सुविधायुक्त तथा बेहतर शौचालय बना सकते हैं।

प्रश्नः मेरे पास इंदिरा आवास है लेकिन उसमें शौचालय नहीं बना है क्या मुझे शौचालय की प्रोत्साहन राशि मिल सकती है ?

उत्तरःउत्तरः इंदिरा आवास योजना में घर के साथ शौचालय निर्माण अनिवार्य है। यदि इंदिरा आवास में शौचालय पूर्व में नहीं बना हुआ है तो स्वच्छ भारत मिशन की राशि से शौचालय बनाया जा सकता है।

व्यवहार और आदतों से जुड़े प्रश्न

प्रश्नः खुले में शौच जाने के क्या नुकसान हैं ?

उत्तरःहमें ऐसा लगता है कि खुले में शौच करने से बीमारी नहीं होती परंतु जो गंदगी हम खुले में छोड़कर आते हैं वो वापस हम तक लौटती ही है और बीमारी का कारण बनती है। गंदगी धीरे-धीरे घर की तरक्की को रोक देती है। ध्यान से विचार करने पर पता चलेगा कि खुले में शौच की कुप्रथा रोग का, गरीबी का, दुख का और अपमान का कारण है।

प्रश्नः क्या गांव में मेरे अकेले शौचालय बनाने और उपयोग करने से मैं बीमारी के खतरे से बच सकता हूॅ ?

उत्तरःयदि गांव के सभी परिवार खुले में शौच की कुप्रथा छोड़ दें परंतु एक व्यक्ति के द्वारा खुले में शौच जाना जारी रहा, इस स्थिति में भी आप बीमारियों की मार से पूर्णतः सुरक्षित नहीं हो सकते क्योंकि उस व्यक्ति के द्वारा फैलाई गंदगी, मक्खी और दूसरे अन्य माध्यम से आप सभी के पास पहुंच ही जाती है, जो बीमारी का कारण बनाता है। अतः गांव के सभी लोग तभी बीमारियों से सुरक्षित होंगे और उन्नति करेंगे जब गांव का समुदाय खुले में शौच की कुप्रथा को छोड़ेगा और साफ-सुथरा होगा। स्वच्छता सामुदायिक समस्या है और सभी के सामुहिक प्रयास से ही इसका हल निकलता है। आप अकेले के शौचालय का उपयोग करने से आपकों घर में सुविधा, आपकी बहिन-बेटियों की सुरक्षा, आपको आत्म-सम्मान तो मिलेगा परंतु रोग का खतरा हमेशा बना रहेगा।

प्रश्नः मेरे घर के शौचालय में घर की औरतें जाती हैं, मैं और घर के अन्य मर्द भी उसी शौचालय का उपयोग कैसे कर सकते हैं ?

उत्तरःबाहर छोड़ी गई टट्टी को देखकर दुनिया का कोई भी जानकार ये नहीं बता सकता है कि वो टट्टी किसी मर्द की है या और की है, बूढ़े की है या बच्चे की है या बीमार की है या स्वस्थ आदमी की है, वो केवल टट्टी होती है जिससे सभी को घृणा होती है और केवल गंदगी है और कुछ नहीं। गंदगी का नाश करना ही सब के खुशहाल जीवन के लिए जरूरी है। तो परिवार के सभी सदस्यों, मर्द और औरतों और बच्चों के द्वारा एक शौचालय का उपयोग करने में कोई बुराई नहीं है। केवल एक शर्त है कि शौचालय साफ-सुथरा हो उसकी नियमित सफाई हो तो वो सभी के लिए सुरक्षित और आरामदायक होता है।

प्रश्नः हमारे यहां कहा जाता है कि घर में साफ-सफाई होने से लक्ष्मी आती है, फिर घर में शौचालय बनाकर गंदगी क्यों करें ?

उत्तरःठीक बात है, घर में साफ-सफाई होने से लक्ष्मी आती है, इसलिए घर में साफ-सुथरा शौचालय बनवाना ही चाहिए क्योंकि शौचालय, गंदगी को खत्म करने का साधन है और स्वच्छ घर की पहचान है। यदि घर में शौचालय नहीं होगा तो आपके शरीर की तमाम गंदगी घर के आसपास ही फैलेगी और वापस आप तक लौटेगी, साथ में सारे गांव को गंदा करेगी।

प्रश्नः मेरा बच्चा छोटा है, वो शौचालय में नहीं बैठ सकता, मैं क्या करूं ?

उत्तरःशिशु के मल में भी बहुत कीटाणु होते हैं। इसके मल को भी शौचालय में निपटाना चाहिए।

प्रश्नः मेरे घर के बुजुर्ग शौचालय का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं मैं क्या कर सकता हूॅ ?

उत्तरःबुजुर्गों की सुविधा को ध्यान में रखकर शौचालय निर्माण करवाने से उन्हें अपनी आदत बदलने में आसानी होगी।

प्रश्नः खुले में शौच जाने से सुबह-सुबह चलना-फिरना हो जाता है, मैं शौचालय में क्यों जाऊं ?

उत्तरःसुबह का घूमना सेहत के लिए अच्छा होता है। सुबह घर के शौचालय में शौच करके नित्यक्रिया से निवृत्त होकर ताजी शुद्ध हवा में घूमने से सेहत अच्छी रहेगी, गंदगी के स्थान पर घूमने से स्वास्थ्य लाभ नहीं मिलेगा।

प्रश्नः खुले में शौच के लिए हम बहुत सी औरतें साथ में गपशप करती जाती है, शौचालय होने से ये गपशप बंद हो जायेगी। तो शौचालय का उपयोग क्यों करें ?

उत्तरःजैसे वातारण में रहते हैं आपके मन में वैसे ही विचार आते हैं। गंदगी के बीच अच्छे और प्रेरक विचार नहीं आते। शौचालय का उपयोग करने से समय की बचत होगी और घर के कामकाज से फुर्सत होकर सब औरतें रचनात्मक गपशप करें।

प्रश्नः शौचालय में पानी बहुत अधिक लगता है, बाहर जाने में कम लगता है तो हम शौचालय का उपयोग क्यूं करें?

उत्तरःये धारणा गलत है, सोख्ता गड्डे वाले एवं ज्यादा ढलान के पैन वाले शौचालय में बहुत कम पानी में शौच क्रिया सम्भव होती है। मध्यप्रदेश में प्रत्येक ग्राम में हैण्डपंप के द्वारा तो पानी की उपलब्धता है। व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण की डिजाईन में टंकी का भी प्रावधान किया गया है। जिससे पानी भरकर रखा जा सकता है।

प्रश्नः मेरे घर में हैंडपंप और कुआँ है, क्या शौचालय बना सकता हूँ?

उत्तरः हाँ जरूर बना सकते हैं कुछ सावधानी रखते हुए। शौचालय के गड्ढे की दूरी पेयजल स्त्रोतों जैसे हैंडपंप, कुआँ बावड़ी इत्यादि से न्यूनतम 10-15 मीटर होना चाहिये। यदि पेयजल स्त्रोत, गड्ढे (पिट) की तुलना में ऊँचाई पर (अपस्ट्रीम में) है तो न्यूनतम दूरी 10 मी. होना चाहिए एवं यदि पेयजल स्त्रोत की तुलना में गड्ढा ऊँचाई पर (स्त्रोत डाउन स्ट्रीम में) है, तो दूरी न्यूनतम 15 मी. होना चाहिये, जिससे पेयजल स्त्रोत प्रदूषित न हो।

प्रश्नः मेरे घर में जगह की कमी है, क्या मैं गड्ढे के ऊपर शौचालय का कमरा बना सकता हूँ?

उत्तरःगड्ढे के ऊपर शौचालय का कमरा बनाने के बाद में परेशानी होती है जब गड्ढा भर जाता है। उस समय पूरे कमरे को तोड़ना पड़ता है। इसलिए इस तरह के शौचालय नही बनाना चाहिये।

प्रश्नः गाँव में पानी की बहुत कमी है शौचालय के लिए पानी कहाँ से लाएँ?

उत्तरःलीच-पिट शौचालय के उपयोग में कम पानी लगता है। इसलिए शौचालय निर्माण के समय ग्रामीण पेन/शीट का इस्तेमाल करना चाहिए। यह देखने में भले ही सामान्य शीट की तरह अच्छा नहीं लगता परन्तु इसमें ज्यादा ढलान होने से पानी की आवश्यकता कम रहती है।

प्रश्नः शौचालय में बदबू आती है, इसलिए हम घर से दूर बनवाना चाहते हैं?

उत्तरः सोख्ता पिट/लीच पिट वाले शौचालय से बदबू नहीं आती क्योंकि मानव मल में अधिकांश भाग पानी और गैस होता है जिसको जमीन सोख लेती है।

प्रश्नः किस प्रकार का शौचालय मेरे घर के लिए ठीक रहेगा?

उत्तरः दो गड्ढे लीच-पिट शौचालय पर्यावरण मित्रवत शौचालय है वो वैज्ञानिक सोच के साथ बनाया गया है। अतः यही शौचालय अच्छा है।

प्रश्नः सोख्ते गड्ढे की गहराई 1 मीटर ही क्यूँ रखी जाती है?

उत्तरःदो प्रमुख कारणों से सोखते गड्ढे की गहराई 1 मीटर ही रखी जाती है- 1. जमीन के नीचे के पानी के दूषित/खराब होने का खतरा नही रहता है। 2. जैविक खाद/सोना खाद बनने की प्रक्रिया ठीक चलती है क्योंकि इतनी गहराई तक सूरज की गर्मी बराबर जाती है जिससे मानव मल से खाद जल्दी और अच्छी बनती है।

प्रश्नः सोख्ता गड्ढा कितने समय में भर जाता है?

उत्तरःएक गड्ढा जो 1 मीटर व्यास तथा 1 मीटर गहरा हो, अगर एक परिवार के 6-8 सदस्यों के द्वारा प्रयोग में लाया जाता हो, तो कम से कम गड्ढे को भरने में 4-5 साल लगेंगे। एक बार गड्ढा भर जाये तो इसे बन्द कर देना चाहिए। तथा दूसरे गड्ढे का इस्तेमाल करना चालू कर देना चाहिये। 15 से 18 माह के बाद मल बढ़िया जैविक उर्वरक (खाद) बन जाएगा। इस खाद में न तो कोई गन्ध होती है तथा न ही कोई हानिकारक जीवाणु होते हैं। इसका उपयोग खेत एवं बागानों में किया जा सकता है या बेचा भी जा सकता है।

प्रश्नः जब लीच-पिट भर जाए तब क्या करना चाहिए?

उत्तरः एक बार शौचालय का गड्ढा भर जाये तो इसे बन्द कर देना चाहिए। तथा जंक्शन चेम्बर से दूसरा गड्ढा इस्तेमाल करना चालू कर देना चाहिये।

प्रश्नः एक गड्ढे में कितनी ईंट और कितने रद्दे लगते हैं?

उत्तरः एक गड्ढा बनाने में लगभग 190 ईंट लगती हैं एवं खड़ी ईंट के एक रद्दे के अतिरिक्त 11 रद्दों की चिनाई की जाती है। गड्ढे में केवल चार रद्दे जालीदार चिने जाते हैं।

प्रश्नः गड्ढे में जालीदार चिनाई क्यूँ की जाती है, इससे गड्ढा कमजोर नहीं हो जायेगा?

उत्तरःगड्ढे़ में जालीदार चिनाई करना आवश्यक है क्योकि-

  • लीच-पिट के अन्दर जैविक खाद बनने की प्रक्रिया निरन्तर होती रहती है।
  • जालीदार चिनाई से मल को खाद में बदलने वाले जीवाणु जिन्दा रहते हैं।
  • मल में रहने वाला पानी और गैस इन्हीं छिद्रों से बाहर निकलता है जिसे जमीन सोख लेती है।

प्रश्नः जालीदार चिनाई के छिद्रों में कितना गैप (दूरी) होना चाहिए?

उत्तरःजालीदार चिनाई के छिद्रों का गैप भूमि के प्रकार के ऊपर निर्भर करता है। सामान्य दशा में दोमट मिट्टी में छिद्रों का आकार 1.5 से 2.0 इंच का होना चाहिए। काली मिट्टी में छिद्रों का आकार बड़ा एवं बलुआ मिट्टी में छिद्रों का आकार सामान्य दशा से कम रखना चाहिए। साथ ही ध्यान रखना चाहिए कि छिद्रों में कहीं जुड़ाई का माल, सीमेंट तो नहीं जम रही है।

प्रश्नः शौचालय में काला गैस पाईप ही क्यूँ लगाया जाता है?

उत्तरःकाला गैस पाईप केवल सेप्टिक टैंक वाले शौचालय में ही लगाये जाते हैं। 2 गड्ढों वाले लीच-पिट शौचालय में गैस पाईप नहीं लगता है। गैस पाईप के मुहाने पर मच्छरदानी का कपड़ा अवश्य बांधना चाहिये जिससे मच्छर टैंक में जाकर न पनपें।

प्रश्नः मुर्गे का पानी खत्म क्यूँ नहीं होता है?

उत्तरः मुर्गे में जो पानी बना रहता है वो जरूरी होता है। ये जलबंध है जिसे अंग्रेजी में Water seal कहते हैं। इसी जलबंध के कारण शौचालय में बदबू नहीं आती है और मक्खी-मच्छर भी शौचालय के गड्डे में नहीं जा पाते हैं और गड्डे के किटाणु बाहर नहीं आ पाते हैं।

प्रश्नः जंक्शन चेम्बर क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है?

उत्तरःशौचालय की शीट को गड्डे से जुड़ने के लिए अंग्रेजी के “Y“ आकार को छोटा से चेम्बर होता है। जंक्शन चेम्बर का होना आवश्यक है क्योंकि शौचालय के जाम होने की दशा में जंक्शन चेम्बर को आसानी से खोलकर साफ किया जा सकता है। पिट को बदलते समय भी जंक्शन चैम्बर काम को आसान करता है।

प्रश्नः जंक्शन चेम्बर से जुड़कर पिट तक जाने वाले पाईप का माप क्या होता है?

उत्तरःजंक्शन चेम्बर से जुड़कर पिट तक जाने वाले पाईप का माप 100 एम.एम. या 4 इंच का होता है।

प्रश्नः पाइप को गड्ढे के कितने अन्दर तक ले जाना चाहिए?

उत्तरःपाइप को गड्ढे के अन्दर 4 से 6 इंच तक ले जाना चाहिए ताकि मल गड्ढे के बीच में ही गिरे और गड्ढा पूरी तरह से चारों ओर से बराबर भरे।

प्रश्नः पाईप का ढाल कितना होना चाहिए?

उत्तरःपाईप का ढाल एक फुट पर दो इंच के अनुपात में होना चाहिए।

प्रश्नः ईंट के अलावा मैं अपना शौचालय किन-किन सामग्री से बना सकता हूँ?

उत्तरःईंट के अलावा उपलब्ध स्थानीय सामग्री से भी अच्छा और मजबूत शौचालय बन सकता है। कहीं-कहीं पत्थरों से, बांस से, सीमेन्ट कांक्रीट की रिंग से शौचालय बनाया जा सकता है।

प्रश्नः क्या मैं अपने शौचालय में शहरी शीट लगा सकता हूँ?

उत्तरःग्रामीण सीट का ढाल अधिक होता है तो शौच क्रिया में पानी कम लगता है और सोख्ते गड्ढे के लिए भी जरूरी है कि पानी कम जाये इसलिए ग्रामीण सीट लगाना श्रेयकर होता है परन्तु यदि ग्रामीण सीट उपलब्ध नहीं होती तो शहरी सीट भी लगा सकते हैं।

प्रश्नः शासन के हिसाब से बनने वाले शौचालय के लिए राज मिस्त्री कहाँ मिलेंगे?

उत्तरःजिला और जनपद पंचायत से राज मिस्त्रियों का समय-समय पर प्रशिक्षण कराया जाता है। प्रशिक्षित राज मिस्त्रियों की सूची इन कार्यालयों में उपलब्ध रहती है। यह जानकारी ग्राम पंचायत से भी प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्नः मेरे शौचालय में मल एवं पानी गड्ढे में नहीं जा रहा है मैं क्या करूँ?

उत्तरःऐसे स्थिति आने पर पहले जंक्शन चेम्बर को देखें, हो सकता है कि उसमें कोई कचरा अटक गया हो और जंक्शन चेम्बर साफ होने की दशा में आप समझ लें कि आपका शौचालय का गड्ढा भर गया है तो उसका जोड़ दूसरे गड्ढे से कर दें।

प्रश्नः चूहे शौचालय के सोख्ता गड्ढे को तोड़ देते हैं क्या करें?

उत्तरःजिस क्षेत्र में चूहें हो वहाँ लिच-पिट बनाते समय एक बहुत आसान उपाय करना चाहिए । लीच-पिट की चिनाई हो जाने के बाद उसके चारों ओर बाहर की ओर से सूती कपड़ा लपेट देना चाहिए। फिर पिट और जमीन के बीच की खाली जगह में बालू भर देना चाहिए। ऐसा करने से चूहे जब पिट में घुसना चाहेंगे उस समय उनके मुँह पर बालू गिरेगी और वो वापस लौट जायेंगे। पिट के चारों ओर लगाया कपड़ा बालू को पिट के अन्दर गिरने नहीं देगा।

प्रश्नः क्या शौचालय के लिए चौकोर गड्ढा बना सकतें है?

उत्तरःलीच-पिट के लिए गोल आकार ही उपयुक्त होता है क्योंकि गोल आकार पर पड़ने वाला दवाब चारों ओर फैल जाता है और ये आकार आसानी से दबाव को झेल लेता है।

प्रश्नः मेरा घर चट्टान पर बना है, मैं गड्डा नहीं खोद सकता हूँ तो क्या मैं शौचालय नहीं बना सकता?

उत्तरःशौचालय के बहुत विकल्प मौजूद हैं। पथरीली जमीन पर बायो शौचालय या ईकोसेन शौचालय बनाया जा सकता है।

प्रश्नः मेरे शौचालय का गड्ढा बारिश के समय भर जाता है मैं क्या करूँ?

उत्तरःलीच-पिट शौचालय में बारिश का पानी नहीं जाये इसके लिए पिट का जमीन के स्तर से कम से कम 6 इंच ऊपर तक बनाना चाहिए।

प्रश्नः क्या एक गड्ढे से दो या दो से अधिक शौचालय का कनेक्शन किया जा सकता है?

उत्तरःनहीं, ऐसा करने से शौचालय के गड्ढे में जोर पड़ेगा और वो जल्दी भर जायेगा।

प्रश्नः लीच-पिट शौचालय में बनने वाली जैविक खाद में क्या-क्या गुण होते है?

उत्तरःमानव मल से बनने वाली खाद का सोना खाद कहा जाता है। ये बहुत गुणकारी खाद होती है। इस खाद में पोटेशियम, नाईट्रोजन और फॉस्फोरस की मात्रा बहुत अधिक होती है। आमतौर पर ये समझा जा सकता है कि 1 बोरी सोना खाद, 12 बोरी यूरिया खाद की ताकत रखती है।

प्रश्नः ग्रामीण सीट कितने रुपयों में मिल जाती है?

उत्तरःग्रामीण सीट 250 से 300 रुपये में मिल जाती है।

प्रश्नः क्या शौचालय के कमरों को भी स्थानीय संसाधनों से बनाया जा सकता है?

उत्तरःहाँ, देश के विभिन्न इलाकों में बांस से, लकड़ी से, पत्थर से, ईंट से बहुत सुन्दर और मज़बूत शौचालय बनते हैं।




  अनुक्रमणिका  
(स्रोतः पंचायिका, भोपाल)
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अपर मुख्य सचिव, म.प्र.शासन
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग

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