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मासिक - बाईसवां संस्करण जनवरी, 2017
अनुक्रमणिका हमारा संस्थान
  1. महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान की 25वीं कार्यकारिणी बैठक
  2. अपनी बात ....
  3. माननीय मंत्री महोदय का केरल प्रवास ...
  4. सरपंच श्रीमती गिरिजा इनवाती की सफलता की कहानी
  5. सफलता की कहानी - जल संरक्षण जल संवर्धन
  6. बेयरफुट टेक्नीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम
  7. ग्राम पंचायत विकास योजना
  8. क्या महिला सशक्तिकरण जरुरी है?
  9. अनुपम मिश्रः पर्यावरण व परम्परागत जल संरक्षण के पुरोधा को श्रद्धांजलि
  10. राज्य स्तरीय रिसोर्स समूह की कार्यशाला

महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान की 25वीं कार्यकारिणी बैठक

महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान की 25 वीं कार्यकारिणी समिति की बैठक दिनांक 27.10.2016 को श्रीमती नीलम शमी राव, प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षता में वल्लभ भवन में संपन्न हुई। इस बैठक में श्री संतोष मिश्र, आयुक्त, पंचायतीराज संचालनालय, श्री सुरेश आर्य, अतिरिक्त संचालक मनरेगा, श्री राजेश मिश्रा, संचालक वाल्मी, श्री ए.डी.कपाले प्रमुख अभियंता, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, श्री संजय कुमार सराफ, संचालक महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान उपस्थित रहे।

समिति के सदस्य सचिव एवं संचालक श्री सराफ ने 6 बिन्दुओं के एजेण्डा की जानकारी समिति के समक्ष प्रस्तुत की। बैठक में मुख्य रूप से अध्ययन एवं अनुसंधान कार्य पर, समिति द्वारा निर्देशित किया गया। साथ ही वर्ष 2016-17 में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं पर केस स्टडी भी तैयार की जावे एवं ऐसे विषयों का चयन हो जिनका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा हो प्रारंभिक तौर पर निम्नलिखित विषयों पर जैसे स्वच्छ भारत मिशन, मनरेगा, सामाजिक अंकेक्षण, आजीविका, मुख्यमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना,

14वां वित्त आयोग, मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, हाट बाजार योजना, वाटरशेड इत्यादि विषय सुझाये गये। इसी तरह अन्य विषय में राष्ट्रीय ग्रामीण सशक्तिकरण अभियान अंतर्गत गतिविधियों की जानकारी समिति को प्रदान की गई। मानव संसाधन संकुल में विभिन्न क्षेत्रों के सिविल सोसायटी तथा स्वयं सेवी संगठनों को प्रशिक्षण गतिविधियों से जोड़ने हेतु समिति द्वारा अनुमोदन किया गया। ई-न्यूज लेटर के मासिक प्रकाशन किये जाने के निर्देश समिति द्वारा प्रदान किये गये। संस्थान एवं ई.टी.सी. के आय-व्यय का अनुमोदन किया गया। संस्थान में आकस्मिकता निधि में कार्यरत शासकीय सेवकों को शासन के नियमानुसार दिनांक 01.01.2016 से समयमान वेतनमान का लाभ दिये जाने एवं संस्थान तथा ई.टी.सी. की अधोसंरचना से संबंधित कार्यों का अनुमोदन किया गया।

अध्यक्ष महोदया की अनुमति से पंचायत सचिव प्रशिक्षण केन्द्रों को संस्थान के नियंत्रण में किये जाने के संबंध में सदस्य सचिव/संचालक, महात्मागांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायत संस्थान को प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये एवं अधिकारों के प्रत्यायोजन को संशोधित किये जाने हेतु भी निर्देशित किया गया। तत्पश्चात बैठक समाप्ति की घोषणा की गई।

  अनुक्रमणिका  
माननीय मंत्री महोदय का केरल प्रवास के दौरान जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायतों का दौरा
अपनी बात .....

‘‘पहल’’ का बाईसवां संस्करण का प्रकाशन प्रथम मासिक ई-न्यूज लेटर के रूप में किया जा रहा है, जिसके प्रकाशन पर मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है। पूर्व में ’’पहल’’ का प्रकाशन त्रैमासिक किया जाता रहा है। महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान की 25 वीं कार्यकारिणी समिति की बैठक दिनांक 27.10.2016 को श्रीमती नीलम शमी राव, प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षता में वल्लभ भवन में संपन्न हुई, जिसमें महोदया द्वारा संस्थान के ‘‘पहल’’ ई-न्यज लेटर को सराहा गया एवं उन्होंने इसे प्रति माह प्रकाशित करने हेतु निर्देशित भी किया।

’’पहल’’ के प्रथम मासिक अंक में ’’सफलता की कहानी’’ के रूप में पहली कहानी महिला सरपंच श्रीमती गिरजा इनवाती की है। जिसके द्वारा उनके व्यक्तिगत जीवन एवं ग्राम पंचायत में कृषि कार्य तथा स्वःसहायता समूह के माध्यम हुए बदलाव को चरितार्थ किया गया है एवं दूसरी कहानी ’’जल संरक्षण एवं जल संवर्धन’’ में जिला सिवनी की ग्राम पंचायत कोहका में बबरिया तालाब एवं उसके समीपस्थ हुए विकास को दर्शाती है।

साथ ही ‘‘क्या महिला सशक्तिकरण जरूरी है’’ लेख के माध्यम से महिलाओं के मानसिक शारीरिक उत्पीड़न तथा एक लेख ‘‘श्री अनुपम मिश्र जी को श्रद्धांजलि’’ पर लिया गया है।

इसके अतिरिक्त ’’वेयरफुट टेक्नीशियन कार्यक्रम’’ एवं ‘‘ग्राम पंचायत विकास योजना’’ विषय पर संस्थान द्वारा चलाये जा रहे दो विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आलेख के माध्यम प्रस्तुत किया गया है, हमें पूर्ण विश्वास है कि आपको ‘पहल’ का यह संस्करण रूचिकर एवं प्रेरणा दायक लगेगा ।
शुभकामनाओं सहित।

संजय कुमार सराफ
संचालक

माननीय श्री गोपाल भार्गव, मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, मध्यप्रदेश शासन के केरल प्रवास के दौरान वहाँ की विभिन्न ग्राम पंचायतों का दौरा किया गया। इस दौरान केरल की ग्राम पंचायतों की कार्य प्रणाली के बारे में जानने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे कुटुम्ब श्री (स्व-सहायता समूह) के सदस्यों से बातचीत की एवं कुटुम्ब श्री की महिलाओ द्वारा चलाये जा रहे लघु उद्योग जो कि सराहनीय है, पर प्रशंसा व्यक्त की गई।

केरल की एक ब्लाक पंचायत कार्यालय में जाकर वहां के शासकीय सेवकों से वहां चल रहे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित कार्यों के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। माननीय मंत्री जी केरल की ग्राम पंचायत कक्कोडी भी गये जहॉ ग्राम पंचायत पदाधिकारियों ने अपने पारंपरिक ढंग से माननीय मंत्री जी का स्वागत किया और उनकी ग्राम पंचायत के चल रहे कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान की।




  अनुक्रमणिका  
जय श्रीवास्तव,
कम्प्यूटर प्रोग्रामर
सरपंच गिरिजा इनवाती की सफलता की कहानी

गतिविधि - शौचालय निर्माण एवं कृषि कार्य ग्राम पंचायत धतूरा वि.खं. नैनपुर जिला मण्डला

1.ग्राम का परिचय :विकास खण्ड नैनपुर के ग्राम धतूरा में कुल 4 टोलो में बसाहट है, ग्राम में नहर, की सुविधा भी है। मिशन प्रारंभ होने के बाद सर्वप्रथम आर्थिक श्रेणीकरण किया गया और जिसमें कुल 212 परिवार में सें गरीब एवं अतिगरीब 156 परिवार है गरीब महिला परिवार को समूह सें जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इसी के आधार पर 3 समूहों का गठन किया गया है।

2.समूह सदस्य का परिचय :गिरिजा इनवाती पति श्री गौतम इनवाती ग्राम धतूरा पंचायत धतूरा जाति गौड़ उम्र 25 वर्ष है, जो कि आर्थिक श्रेणी के अनुसार गरीब परिवार की महिला है। दिनांक 18.09.2014 में जागृति आजीविका समूह का गठन किया गया, जिसमें सदस्य के रूप में गिरिजा इनवाती द्वारा सदस्यता ली गई और समूह से जुड़ने के बाद सभी के सहयोग से मार्च 2015 में सरपंच पद हेतु चयनित भी हुई और आज ग्राम के विकास में बढ़-चढ़कर कार्य कर रही है। ग्राम में खुले में शौच बंद कराने हेतु इन्होंने सबसे पहले अपने घर में शौचालय का निर्माण कराया और आज ग्राम में सभी परिवार के घर में शौचालय का निर्माण भी करा रही है।

3.समूह सें जुडने के पहले की स्थिति : श्रीमति गिरिजा इनवाती बहुत संघर्षशील महिला है। जो स्वयं कृषि उत्पादन के कार्य कर प्राप्त आय से अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। समूह से जुडने से पहले उनके पास आजीविका के लिये भी कोई खास व्यवस्था नही थी, जो थोड़ी बहुत आय भी प्राप्त होती थी, जिससे आजीविका सम्भव नहीं थी और वो एक घरेलू महिला तक ही सीमित थी।

4.समूह सें जुड़ाव :ग्राम धतूरा में जब म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन प्रारंभ हुआ तो ग्राम की बैठक के दौरान श्रीमति गिरिजा बाई अपनी बात

रखते हुए समूह गठन करने की बात की। इस प्रकार समूह का गठन का निर्णय लिया गया जाकर जागृति आजीविका स्व-सहायता समूह में सदस्य के रूप में गिरजा इनवाती का चयन किया गया।

5.समूह से प्राप्त लाभ :समूह के सदस्य बनने के बाद श्रीमति गिरिजा इनवाती को समूह से बहुत सहयोग मिला। इन्हें कृषि उत्पादन कार्य करने हेतु 4000 हजार रूपये का सहयोग समूह से प्राप्त हुआ, जिसकी मदद से ये सब्जी एवं कृषि उत्पादन करने लगी और इनके द्वारा समय से लोन वापसी भी की गई।

6.संचालित गतिविधि :श्रीमति गिरिजा इनवाती उन्नत तरीके से कृषि उत्पादन का कार्य आज की स्थिति में कर रही है तथा कृषि उत्पादन से उन्हें अच्छा लाभ भी प्राप्त हो रहा है।

7.सामाजिक बदलाव :सामाजिक बदलाव के तहत आज आजीविका मिशन कें सहयोग से श्रीमति गिरिजा इनवाती के परिवार में रहन-सहन तथा शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बदलाव देखने को मिल रहा है। समूह से जुड़ने के बाद इनका ग्राम में जागरूकता के क्षेत्र में भी बहुत अच्छा प्रयास रहा तथा इनके द्वारा घर-घर में शौचालय का निर्माण कराने का प्रयास भी किया जा रहा है। अभी तक ये 70 से भी अधिक घरों में शौचालय का निर्माण करा चुकी है।

8.आर्थिक बदलाव :समूह से जुड़ने के उपरांत श्रीमती गिरिजा इनवाती के परिवार में बहुत बड़ा आर्थिक बदलाव आया है। समूह की आर्थिक मदद से भी उन्हें आज कृषि कार्य से अच्छा लाभ मिल रहा है और आमदनी होने से आजीविका का स्तर भी ठीक हो गया है।

9.समूह से जुड़ने के बाद मिले अवसर :श्रीमती गिरिजा इनवाती को समूह से जुडने के बाद सरपंच बनने का अवसर मिला। गिरिजा इनवाती के द्वारा कहा भी गया की अगर समूह में ना होते तो उनका सरपंच बनना संभव नहीं था। इसलिये उन्होंने ग्राम में शौचालय निर्माण का कार्य सबसे पहले कराने का संकल्प लिया है ताकि हमारी ग्राम पंचायत स्वच्छ रहे।

10.गतिविधि सें आय :गिरिजा इनवाती को कृषि उत्पादन में समूह से 4000 हजार रूपये एवं स्वयं की राशि 20000 इस प्रकार कुल 24000 की लागत से कृषि कार्य किया जा रहा है। उत्पादन से मासिक आय 5000 रूपये तक हो जाती है जिस कारण पहले की अपेक्षा आजीविका का स्तर भी अच्छा हो गया है।




  अनुक्रमणिका  
डाॅ. संजय राजपूत,
संकाय सदस्य
सफलता की कहानी - जल संरक्षण जल संवर्धन

महाकौशल क्षेत्रान्तर्गत जबलपुर संभाग के अंतर्गत जिला सिवनी वन सम्पदा एवं अपनी सुरभ्य प्राकृतिक छटा के साथ सुशोभित है।

जिला सिवनी अंतर्गत जनपद पंचायत सिवनी की ग्राम पंचायत कोहका, सिवनी जिले की समीपस्थ ग्राम पंचायत है। ग्राम पंचायत कोहका में 250 एकड़ क्षेत्रफल में फैले हुए बबरिया तालाब की रखरखाव न होने के कारण जल भराव कम एवं क्षेत्र के आसपास किसानों का अतिक्रमण, तालाब में बेशरम पौधों की अधिकता, गंदगी भरमार थी। 2015 में जिला प्रशासन एवं ग्राम पंचायत कोहका के सरपंच के प्रयास से जल संरक्षण जल संवर्धन हेतु प्रयास फरवरी 2015 से प्रारंभ हुये। प्रशासन के समस्त विभागों के अधिकारी/कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधि गैर शासकीय संस्था के जन सहयोग से बेशरम को हटाना, अतिक्रमण को हटाकर तालाब के 250 एकड़ क्षेत्र को गहरीकरण कर कार्य प्रारंभ किया गया। तालाब के किनारे 4000 पौधों का वृक्षारोपण किया गया। जिसमें फलदार वृ़़क्षों की अधिकता है।

वृक्षारोपण के किनारे ग्रेवल रोड का निर्माण किया गया। ग्रेवल रोड का निर्माण बी.आर.जी.एफ. योजना मद जिला पंचायत सिवनी से प्राप्त मद से कराया गया।

बबरिया तालाब के आस-पास एन.एच. 7 का बायपास मार्ग है, जो एन.एच.7 को जोड़ता है। इस बायपास मार्ग से जाने पर मण्डला, बालाघाट एवं रायपुर मार्ग मिल जाता है।

एन.आई.आर.डी. नेटवर्किंग के आयोजित प्रशिक्षण के दौरान ग्राम का पी.आर.ए. तथा ग्राम विकास एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के विषय पर चर्चा की गई। पूर्व में शासन के प्रयासों से बबरिया तालाब के पास शंकराचार्य पार्क का निर्माण एवं विकास कार्य प्रगति पर था। तत्पश्चात जिले की कार्य योजना में सतत् पर्यावरण रक्षण एवं शहर की जलपूर्ति को बनाये रखने हेतु जनप्रतिनिधियों, ग्रामवासियों एवं शासकीय विभागों के सहयोग से बबरिया तालाब का जीर्णोद्धार सौन्दर्यीकरण एवं विकास कार्य जन सहयोग से किया गया।

वर्षा के बाद बबरिया तालाब लबालब भरा है। तालाब के आसपास के कूपों में भी जलस्तर पर्याप्त है। पानी लबालब है। साथ ही सिवनी (नगरीय क्षेत्र) में जलपूर्ति को सुचारू बनाने हेतु जल प्रदाय योजना भी क्रियान्वित की जा रही है, वृक्षारोपण की देखरेख का दायुत्व ग्राम पंचायत होगा। जिसके अंतर्गत फिल्टर प्लांट, निर्माणाधीन है। बबरिया तालाब में नौका बिहार एवं पिकनिक स्पॉट बनाने की भी योजना है।

बबरिया तालाब, ग्राम पंचायत कोहका की जल संरक्षण जल संवर्धन संरचना का एक रूप ग्रामीण विकास का एक बढ़ता कदम है।




  अनुक्रमणिका  
श्री सी.के. चौबे,
संकाय सदस्य
बेयरफुट टेक्नीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम

भारत शासन ग्रामीण विकास विभाग के महात्मा गॉधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी कार्यक्रम में अभिनव पहल करते हुए संविधान की मंशानुरूप मूल उद्देश्य “ काम का अधिकार ” के अन्तर्गत ग्रामीण परिवारों को 100 दिवस का प्रति वित्तीय वर्ष मे कार्य देने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके अन्तर्गत अब इस कार्यक्रम मे प्रधानमंत्री कौशल उन्नयन योजना अन्तर्गत संचालित कार्यक्रमो से ग्रामीण मजदूर परिवारों का कौशल उन्नयन करवाया जा रहा है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों मे तकनीकी प्रशिक्षित व्यक्तियों की संख्या बढाई जा सके। इस अभिनव प्रयास के अन्तर्गत मनरेगा योजना के माध्यम से कौशल उन्नयन के लिए बेयरफुट टेक्नीशियन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसमे मनरेगान्तर्गत कार्यरत सक्रिय मजदूर परिवारों के कम से कम 10वीं उत्तीर्ण व्यक्तियों का प्रांरभिक परीक्षा (स्क्रीनिंग टेस्ट) के माध्यम से चयन कर उन्हें 90 दिवस का तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये प्रशिक्षित व्यक्ति रोजगार सहायक एवं इंजीनियर के बीच कार्य करेगें। ग्रामीण क्षे़त्रों मे किये जाने वाले कार्य जैसे - कुआ, तालाब, सड़क, छोटे चेक डेम, आवास, शौचालय आदि कार्यो का ले-आऊट डालना, नाप जोख करना आदि कार्यो में दक्ष हो सके जिससे ग्रामीण विकास की योजनाओं के कार्य करवाने में सहयोग मिलेगा। इस प्रशिक्षण मे प्रतिभागियों को तकनीकि प्रशिक्षण सामग्री, यूनिफॉर्म एवं 150 रू. प्रतिदिवस छात्रवृत्ति प्रदान की जावेगी।

प्रशिक्षण के पश्चात् प्रशिक्षित व्यक्ति को रोजगार भी प्रदान किया जावेगा जिसके लिए 5 ग्राम पंचायत पर 1 या 2500 मजदूरो पर 1 बेयरफुट टेक्नीशियन की नियुक्ति होगी तथा कुशल (स्किल्ड) मजदूर को दिया जाने वाला मेहनताना देने का प्रावधान होगा।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सत्र 2015-16 मे देश के चार राज्यों ( छत्तीसगढ़, केरला, झारखंड एवं राजस्थान में संचालित किया गया, जिसकी सफलता को देखते हुए इस कार्यक्रम को वर्तमान मे विभिन्न राज्यों मे लागू किया गया जिसमे सत्र 2016-17 मे पूरे देश मे 7314 बेयरफुट टेक्नीशियन तैयार किये जावेगें। जिसमे से 3000 बेयरफुट टेक्नीशियन को 2 फरवरी 2016 तक प्रशिक्षित कर कार्य भी दिया जाने का लक्ष्य रखा गया है।

मध्यप्रदेश का लक्ष्य 1020 बेयरफुट टेक्नीशियनो को 31 मार्च 2017 तक प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।

जिसके अन्तर्गत प्रशिक्षण के लिए महात्मा गॉधी राज्य ग्रामीण एवं पंचायत राज संस्थान, अधारताल जबलपुर को नोडल एजेंसी बनाया गया है महात्मा गॉधी राज्य ग्रामीण एवं पंचायत राज संस्थान द्वारा प्रथम चरण का प्रशिक्षण दिनॉक 14 अक्टूबर 2016 से 13 जनवरी 2017 तक संचालित किया जा रहा है। जिसमें कुल 385 प्रशिक्षणार्थीयों ने भाग लिया है यह प्रशिक्षण महात्मा गॉधी राज्य ग्रामीण एवं पंचायत राज संस्थान जबलपुर, 6 क्षेंत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र तथा 5 आजीविका अन्तर्गत संचालित प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा आयोजित किया जा रहा है। जिनका विवरण निम्नानुसार है।

1. महात्मा गॉधी राज्य ग्रामीण एवं पंचायत राज संस्थान, अधारताल जबलपुर, प्रतिभागी 29

2. क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र, इन्दौर, प्रतिभागी 30

3. क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र, भोपाल, प्रतिभागी 60

4. क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र, ग्वालियर, प्रतिभागी 29

5. क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र, उज्जैन, प्रतिभागी 31

6. क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र, नौगांव, प्रतिभागी 32

7. क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र, सिवनी, प्रतिभागी 28

8. सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्र, सिरसौर, शिवपुरी, प्रतिभागी 26

9. सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्र, मंडला, प्रतिभागी 30

10.आजीविका पाठशाला, नानपुर, अलीराजपुर, प्रतिभागी 22

12.सरस्वती सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्र, बडवानी, प्रतिभागी 34

13.विश्वास सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्र, कराहल, श्योपुर, प्रतिभागी 34

कुल उपस्थित प्रतिभागी 385

इस प्रशिक्षण के दूसरे चरण में 12 प्रशिक्षण केन्द्रों में 16 बैच दिनांक 27 दिसम्बर 2016 से 27 मार्च 2017 तक तथा तीसरे चरण में 3 प्रशिक्षण केन्द्रों में दिनांक 30 दिसम्बर 2016 से 30 मार्च 2017 तक आयोजित किये जा रहे हैं।




  अनुक्रमणिका  
त्रिलोचन सिंह,
संकाय सदस्य
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान(RGSA)अंतर्गत ग्राम पंचायत विकास योजना

संविधान के 73 वें संशोधन अधिनियम 1992 की मूल भावना के अनुरूप प्रदेश में ग्राम पंचायतों को सामाजिक, आर्थिक विकास की योजना बनाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इसी क्रम को मजबूती प्रदान करने हेतु प्रदेश में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान अंतर्गत ग्राम पंचायत विकास योजना विषय पर चरणबद्ध प्रशिक्षणों का आयोजन संस्थान एवं उसके आनुषांगिक संस्थाओं में संचालित किये जा रहे है। इन प्रशिक्षणों का मुख्य उद्देश्य है कि पंचायतीराज व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण एवं सुशासन को बेहतर करना।

ग्राम स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग करते हुये विकास की योजना बनाना, इसके साथ-साथ सामाजिक न्याय, निर्धन वर्गो व पिछड़े क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर विकास की मुख्य धारा में जोड़ना।

"सबसे अच्छा, सबसे तेज और सबसे सक्षम तरीका सबसे नीचे से ऊपर की ओर निर्माण करना है, प्रत्येक गांव को एक आत्मनिर्भर गणतंत्र बनाना है"....महात्मा गांधी

संस्थान स्तर पर ग्राम पंचायत विकास योजना विषय पर जिला एवं जनपद स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण वृहद रूप से संचालित किया जा रहा है। जिसमें पंचायतराज अधिनियम की अवधारणा एवं ग्राम पंचायत विकास योजना के मूल विचार, उद्देश्य, घटक, ग्राम पंचायत को प्राप्त होने वाली आय (रिसोर्स एनवलप) ग्राम पंचायत की स्थिति विश्लेषण एवं सहभागी ग्रामीण आंकलन हेतु सामाजिक, संसाधन, मानचित्रों का उपयोग, अंशदान एवं अभिशरण विषयों पर संस्थान के संकाय सदस्यों एवं अतिथिवक्ताओं के माध्यम से प्रशिक्षण विषयों पर व्याख्यान, रोलप्ले एवं क्षेत्रीय भ्रमण के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन प्रशिक्षणों के पश्चात तैयार किये गये मास्टर ट्रेनर क्लस्टर स्तर से प्रशिक्षणों का संपादन कर सकेंगे। इन प्रशिक्षणों के परिणाम स्वरूप प्रत्येक ग्राम पंचायत अपनी ग्राम पंचायत विकास योजना बनाने तथा सतत् विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर आगामी 5 वर्षो की कार्ययोजना ग्राम पंचायत स्तर तैयार करने में सक्षम हो सकेगी। साथ ही ग्राम पंचायत स्तर से योजना बनाते समय मानव, सामाजिक, आर्थिक पारिस्थितिक, लोक सेवा (सर्विस डिलेवरी) सुशासन इत्यादि का ग्राम पंचायत विकास योजना में प्रमुखता से शामिल करने का ध्यान रखा जावेगा।

अतः व्यवस्थित प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को ग्राम पंचायत विकास योजना की जानकारी पहुंच सके, यही संस्थान की इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों से अपेक्षा है।




  अनुक्रमणिका  
पंकज राय,
संकाय सदस्य
क्या महिला सशक्तिकरण जरुरी है?

विषय स्वतः ही प्रश्नात्मक है। लेकिन जब प्रश्नो के उत्तर सामाजिक परिवेश या स्वयं के व्यक्तित्व के अंदर ढूढने या तलाशने की कोशिश की जाती है तो स्वतः ही बहुत सारे विचार समर्थन में या विरोध में मन मस्तिष्क में उमड़ने लगते है।

मै पूछती हूॅ कि क्या महिला अभी तक निशक्त थी कि उसको सशक्त बनाने की इतनी कवायद हो रही है? इसमें सशक्तिकरण के दो मायने विचारणीय है, क्या इसका आधार शारीरिक है या मानसिक। जहाॅ तक मेरे मौलिक विचारो की बात है उस परमशक्ति ने महिला को शारीरिक रुप से पर्याप्त सक्षम बनाकर उसकी बादशाहत नवीन सृष्टि के क्षेत्र में कायम रखी है, आज के वैज्ञानिक, कृत्रिम रुप से इस क्षेत्र में सफलता के कितने ही झण्डे गाड़ दंे, लेकिन जहाॅ तक मानवीय संवेदनाओं के पतले पर्दों के पीछे से आती भावनाओं के हल्के मधुर झोकों की बात करें, उसकी भरपाई करना असम्भव होगा। प्राकृतिक चीजें मशीनीकरण से कहीं ऊपर और बहुत आगे है। वह घर रुपी गाड़ी का एक ऐसा इंजन है जिसको 24 घण्टे ट्रेक पर ही रहना होता है इंजन किसी भी गाड़ी को न जाने कितने ट्रैकों पर दिन रात खींचता रहता है। वही जिम्मेदारी महिला करती है। एक ही समय में उसको अलग-अलग दिशाओं/क्षेत्रों के संबंध मे निर्णय लेना होता है। कभी कोई शिकायत नही, कोई व्याकुलता नही, हौसले के साथ सारे कर्तव्यों को निष्पादित करना, उसकी शारीरिक एवं मानसिक शक्ति की मिसाल पेश करते है। आदि शंकराचार्य जी से शास्त्रार्थ करने वाली विद्ववान मण्डन मिश्र की पत्नी एक स्त्री ही थी। न्याय एवं प्रशासनिक क्षेत्र में अहिल्याबाई होल्कर के योगदान को कैसे भुलाया जा सकता है। अंग्रेजांे से दो-दो हाथ करने वाली, वीरता के क्षेत्र में हिन्दुस्तान का परचम लहराने वाली झाॅसी की रानी को क्या विस्मृत किया जा सकता है। वो रत्नावली ही थी जिन्होने अपने पति तुलसीदास को ऐसा मार्ग दिखाया कि वो हमेशा के लिए स्मरणीय हो गए। हमारे अनेको ग्रन्थ इन अविस्मरणीय वृत्तान्तों से भरे हुए है। जिनकों आज का भारत नमन करता है। रामकृष्ण परमहंस की जीवनी में माॅ शारदा के योगदान को कौन भुला सकता है। स्वामी विवेकानन्द ने भी परिवार की मूलभूत नींव के पीछे महिलाओं के योगदान को स्वीकार किया है।

इसलिए यह कहना कि महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है पूर्णतः सही प्रतीत नही होता है। भारत का संविधान भी महिलाओं के समानता के अधिकार की वकालत करता है। वर्तमान समय में कुछ राक्षसी सोच के चलते महिलाओं के प्रति दहेज हत्या, यौन हिंसा, भूण हत्या, घरेलू हिंसा, कहीं-कहीं पर असमानता आदि की घटनाओं में ज़रुर इज़ाफा हुआ है। ये कुछ संस्कृतियों के अतिक्रमण का प्रभाव भी हो सकता है। इससे हमारी कुछ परम्परायंे, परिवेश ज़रुर प्रभावित हुआ है,

लेकिन मेरा विश्वास है यह क्षणिक गतिरोध हमारे निश्छल, सनातन

परम्परा के चलते शीघ्र ही खत्म हो कर भारत की छवि को विश्व मे एक विशेष आभामण्डल प्रदान करेगा।

कुछ महिलायें जरूर अपने प्राकृतिक अस्तित्व को विस्मृत करती हुई प्रतीत होती हैं लेकिन समय आने पर अच्छे परिपक्व सानिध्य के मिलने पर अच्छी शिक्षा के साथ अपने दृढ एवं विनम्र व्यक्तित्व के साथ भारत की छवि को गढ़ने मे अपना सहयोग दंेगी, इससे इंकार नही किया जा सकता है। अभी 16/11/2016 दिनांक के दैनिक भास्कर के अंक पर मेरी नज़र एक रिपोर्ट पर गयी जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा आशा व्यक्त की गई है कि अगर भारत में कार्यस्थल पर पुरूषांे के बराबर महिलाओं की संख्या कर दी जावे तो देश की कुल आय में 27 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है। महिला सशक्तिकरण पर IMF की प्रबंधकीय निदेशक क्रिस्टीन लेगार्ड का कहना है महिलाओं को समान वेतन और बेहतर अवसर देने से आर्थिक विकास को गति मिलती है। आॅकड़े चांैकाने वाले है उनके अनुसार अमेरिका की आय मे मात्र 5 प्रतिशत, जापान की आय में मात्र 9 प्रतिशत लेकिन आश्चर्यजनक रुप से भारत की आय में 27 प्रतिशत तक बढोत्तरी हो सकती है। इससे देश की आर्थिक असमानता दूर होगी।

यदि कहीं महिलायें असफल भी होती हंै तो हमारे दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति अब्दुुल कलाम के असफलता के अर्थ को हम इस तरह समझ सकते है,- FAIL मतलब First Attempt in Learning । घिसते-घिसते एक पत्थर भी शिव की पिण्डी का रुप धारण कर लेता है। फिर हम तो सजीव जीते-जागते इंसान है। बदलाव क्यों नहीं होगा। किसी भी संस्कृति का अतिक्रमण हमें संक्रमित नही कर सकता, क्योंकि हमारे शाश्वत मूल्य हमारे साथ हैं। जरुरत है उनको पुनः व्यवहार में लाने की। क्या हम नहीं चाहते कि समस्त देवतागण हमारे घरों में निवास करें, तो हमें नारियों की पूजा, सम्मान तो करना ही होगा क्योंकि यह निम्नांकित श्लोक कुछ ऐसा ही प्रतिपादित करता है “यत्र भार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवताः“।




  अनुक्रमणिका  
वंदना योगेन्द्र,
प्राचार्य, ई.टी.सी. ग्वालियर
अनुपम मिश्रः पर्यावरण व परम्परागत जल संरक्षण के पुरोधा को श्रद्धांजलि

अनुपम मिश्र का जन्म 1948 को प्रसिद्ध हिन्दी कवि भवानी प्रसाद मिश्र के यहां वर्धा महाराष्ट्र में हुआ था। उनमें मानवता व पर्यावरण के अंर्तसंबंध की गहरी समझ थी। इस क्षेत्र में वे जीवनपर्यन्त कार्य करते रहे। उन्हें हमारे देश के पूर्व से लेकर पष्चिम व उत्तर से लेकर दक्षिण तक की परम्परागत जल संरक्षण संरचनाओं की गहरी समझ थी। उनकी स्थानीय परम्परागत संरचनाओं में अटूट आस्था थी। ‘‘आज भी खरे है तालाब‘‘ पुस्तक का लेखन उनके द्वारा ही किया गया है। जिसमें उन्होंने परम्परागत जल संरक्षण के उपायों को बखूबी लेखबद्ध किया है। इस कृति के लिए उन्हें जमना लाल बजाज पुरूस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही श्री मिश्र को 1996 में इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरूस्कार भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दिया गया था।

दिल्ली के परम्परागत तालाब हो या जबलपुर जिले के सिहोरा तहसील में स्थित बुढ़ान सागर तालाब या गोड़वाना कालीन तालाब हो, सभी पर उन्होंने विस्तार से लिखा है व परम्परागत जल संरक्षण तकनीक को सर्वोच्च मान्यता दी है। वे तरूण भारत संघ के तीस वर्ष तक अध्यक्ष रहे। वे एक जमीनी कार्यकर्ता की तरह कार्य करते थे। उन्होंने राजस्थान की जल चेतना यात्रा में सरिस्का के 1100 वर्ग किलो मीटर के इलाके में पैदल यात्रा की थी। इन अनुभवों से प्राप्त परम्परागत ज्ञान के बाद ही उन्होंने ‘‘आज भी खरे है तालाब‘‘ और ‘‘राजस्थान की रजत बूदें‘‘ लिखी थी। वे नदियों की स्वतंत्रता की वकालत करते थे।

अनुपम जी मानते थे कि जगह-जगह निर्माण कर हम नदियों के प्रवाह को अक्षुण्य नहीं बना सकते। बाढ़मेर जिले में जब बाढ़ आयी व स्टाॅपडेम बह गये, तो उन्होंने कहा फाउण्डेशन में हार्ड स्ट्रेटा न होने के कारण ये टूट गये। इंजीनियरों ने मेनुअल के हिसाब

से सात फीट तक फाउण्डेशन खोदी थी। उसके नीचे रेत मिट्टी होने से वे बहाव में कट गये व डेम टूट गये। इससे पता चलता है कि उन्हें परम्परागत जल संरक्षण संरचनाओं के बारे में कितना ज्ञान था। इसी प्रकार उन्होंने मरूस्थल में जल संरक्षण के उपायों को अपनी पुस्तकों में आलेखबद्ध किया है। राजस्थान के अलवर में नदी को पुर्नजीवित करने के कार्य में उन्हांेने जनसमुदाय को व्यापक रुप से जोड़ा था। उन्होंने पर्यावरण के लिए उत्तराखंड व राजस्थान के लापोड़िया में परम्परागत जल स्त्रोतों के पुर्नजीवन की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने उत्तराखण्ड में चिपको आंदोलन व तरुण भारत सेवा के साथ लंबे समय तक संबद्ध होकर वन संरक्षण व जल संरक्षण पर कार्य किया।

अनुपम जी ऐसे व्यक्ति थे, जिनमें जन समुदाय की क्षमता के प्रति अगाध श्रद्धा थी। एक और बात जो उनकी विलक्षण प्रतिभा को दर्शाती है, वह है लोगोें से प्राप्त जानकारी को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करने की प्रवृत्ति। जिन संरचनाओं की वे लेख में चर्चा करते, उसके स्कैच/फोटोग्राफ भी लगाते थे। साथ ही उस व्यक्ति, संस्था जिसने उसके निर्माण में भूमिका निभायी, उसका उल्लेख करना नहीं भूलते थे। इससे भी आगे उन्होंने परम्परागत जल संरक्षण संरचनाओं के आसपास के रहवासियों को गांव व शहरों में ढूंढ-ढूंढ कर उनसे चर्चा कर जानकारी प्राप्त की व उनके पते भी अंत में संदर्भ सूची में पूर्ण पते के साथ लिखे। इससे पता चलता है कि जानकारी की सत्यता व उसके स्त्रोत व्यक्ति को अत्यन्त महत्व देते थे। सम्भवतः उनका यही कार्य व व्यवहार ही उन्हें असाधारण मानव की श्रेणी में ला खड़ा करता है।

अनुपम जी का 67 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली में दिनांक 19 दिसम्बर 2016 को निधन हो गया। ईष्वर ने उन्हें हमारे देश से असमय छीन लिया। लेकिन उनके कार्य व व्यवहार हमेशा जीवित रहेंगे। उनके कार्य व व्यवहार विकास के क्षेत्र में कार्य करने वालों के हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे। वे पर्यावरण के अमर योद्धा थे। उनके लिये सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम प्रकृति व मानव के अंर्तसंबंध को समझते हुये विकास के कार्य करें।




  अनुक्रमणिका  
एन.पी. गौतम,
संकाय सदस्य
पंचायत पदाधिकारियों एवं ग्राम पंचायत विकास योजना के प्रशिक्षण माड्यूल एवं अध्ययन सामग्री तैयार करने हेतु राज्य स्तरीय रिसोर्स समूह की कार्यशाला

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के अन्तर्गत सतत् विकास के 17 लक्ष्यों को ध्यान में रख कर त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के तहत् निर्वाचित पदाधिकारियों के प्रशिक्षण एवं ग्राम पंचायत विकास योजना के सही आंकलन एवं जनभागीदारी से निर्माण हेतु प्रशिक्षण माड्यूल डिजाईन एवं अध्ययन सामग्री तैयार करने हेतु चरणबद्ध कार्यशालाओं के आयोजन का निर्णय लिया गया।

प्रथम कार्यशाला 04-06 अक्टूबर 2016 - ईटीसी भोपाल में राज्य स्तरीय विशेषज्ञों के दल के साथ (थिंक टेन्क) प्रथम कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में विशेष रुप से श्रीमती नीलम शमी राव, प्रमुख सचिव म.प्र. शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने उपस्थित होकर प्रशिक्षण माड्यूल एवं अध्ययन सामग्री की विशेषताओं पर चर्चा की, साथ ही साथ उन्होने निर्देशित किया कि सतत् विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रख कर ग्राम पंचायतें अपनी विकास योजना की तैयारी करे जिससे समयावधि में लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके। इसके उपरांत आगामी कार्यशालाओं की रणनीति तैयार की गई।

द्वितीय कार्यशाला 14-18 अक्टूबर 2016 - प्रथम कार्यशाला में लिये गये निर्णय के अनुरुप द्वितीय कार्यशाला महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान जबलपुर में चयनित सदस्यों द्वारा अध्ययन सामग्री तथा प्रशिक्षक मार्गदर्शिका का लेखन कार्य किया गया।

तृतीय कार्यशाला- 22-23 अक्टूबर 2016 - यह कार्यशाला क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र भोपाल में 22 से 23 अक्टूबर की आयोजित की गई जिसमें सरपंच, सचिव एवं रोजगार सहायक के प्रशिक्षण में 5 दिवसीय प्रशिक्षण माड्यूल तथा प्रशिक्षण के लिये मास्टर ट्रेंनर्स के लिये प्रशिक्षण माड्यूल तैयार किया गया तथा विषयवस्तु के अनुसार पावर प्वाईट प्रजेन्टेशन तैयार किये गए।

चतुर्थ कार्यशाला 25 एवं 26 नवम्बर 2016 - इस कार्यशाला के माध्यम से स्टेट रिर्सोस समूह द्वारा तैयार की गई अध्ययन सामग्री एवं पावरप्वाइंट प्रजेन्टेशन प्रस्तुतिकरण देख सुझाव प्रस्तुत किये गये एवं अंतिम स्वरूप प्रदान किया गया, जिसमें पाठ्यसामग्री के साथ-साथ जिंगल्स, फ्लिपचार्टस्, पोस्टर्स, लघु फिल्मस् आदि को भी सम्मिलित किये जाने का निर्णय लिया गया एवं जिन्हे आगामी प्रशिक्षणों में उपयोग किया जावेगा।




  अनुक्रमणिका  
प्रकाशन समिति

संरक्षक एवं सलाहकार
  • श्री राधेश्याम जुलानिया (IAS), अपर मुख्य सचिव,
    म.प्र.शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग,
  • श्रीमती नीलम शमी राव (IAS), प्रमुख सचिव,
    म.प्र.शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग,


प्रधान संपादक
संजय कुमार सराफ
संचालक
म.गां.रा.ग्रा.वि.एवं प.रा.संस्थान-म.प्र., जबलपुर
सह संपादक
श्रीमती सुनीता चौबे, उप संचालक, म.गां.रा.ग्रा.वि.एवं प.रा.स.-म.प्र., जबलपुर



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