महात्मा गाँधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान जबलपुर (म.प्र.)

    ई-समाचार पत्र

Download E-News Letter

त्रैमासिक - द्वितीय संस्करण ०२ जनवरी, २०११
पेसा एक्ट पर ट्रेनिंग कार्यक्रम संपन्न
पूर्व मुख्य सचिव श्री बी.डी. शर्मा एवं श्री एस.सी. बेहार ने संबोधित किया |

विगत माह 13 दिसंबर से 18 दिसंबर की अवधि में महात्मा गाँधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान अधारताल, जबलपुर में पेसा एक्ट (Panchayat Extention to Schedule Area Act 1996) पर विभिन्न विभागों के अधिकारियों का प्रशिक्षण संपन्न हुआ | यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान (NIRD), हैदराबाद के द्वारा प्रायोजित था |

प्रशिक्षण सत्र का उदघाटन एवं प्रथम सत्र का संबोधन श्री बी.डी. शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव द्वारा किया गया | उन्होंने PESA Act के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु ग्रामसभा के सशक्तिकरण पर बल दिया तथा प्रतिभागियों से एक-एक ग्राम सभा को सशक्त करने हेतु संकल्प कराया |

संस्थान के संचालक श्री के.के. शुक्ल ने उदघाटन के अवसर पर बताया कि विगत माह सचिव, पंचायत राज मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने प्रदेश भ्रमण के समय पंचायत पदाधिकारियों एवं क्रियान्वयको के प्रशिक्षण हेतु PESA Act के सन्दर्भ में प्रशिक्षण माड्यूल बनाये जाने हेतु निर्देशित किया,


जिसके अनुपालन में संस्थान द्वारा विगत दिनांक 9 से 11 दिसंबर में कार्यशाला का आयोजन भी किया गया था | आगामी समय में प्रदेश के सभी अनुसूचित क्षेत्र से सम्बंधित 20 जिलों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है |

उल्लेखनीय है कि कार्यशाला को श्री एस.सी. बेहार ने भी सम्बोधित किया उन्होंने अपने क्षेत्र में प्रतिभागियों की शंका का न केवल समाधान किया वरन संभावित समस्याओं का भी चिन्हाकन करते हुए उनके व्यवहारिक निराकरण का भी पक्ष स्पष्ट किया | इस अवसर पर संस्थान के उपसंचालक श्री संजीव सिन्हा, सत्र समन्वयक श्री बी.के. द्विवेदी तथा NIRD, हैदराबाद से श्री अन्नामलई भी उपस्थित रहे |

श्रीप्रकाश चतुर्वेदी
अनुदेशक
म.गां.रा.ग्रा.वि.सं.
जबलपुर
ग्राम पंचायत की स्थाई समितियां कैसे अपनी भूमिका निभाएं

पंचायतीराज व्यवस्था किसी आदमी, अध्यक्ष या सरपंच बनाने की व्यवस्था नहीं है | पंचायत का मतलब है लोगों के समूह द्वारा मिलजुलकर शासन और व्यवस्था चलाना | पंचायत के नाम पर केवल सरपंच या अध्यक्ष ही शासन न चलाये इसके लिए पंचायत के भीतर कामकाज के बंटवारे के लिए स्थाई समितियों के गठन की व्यवस्था, म.प्र. पंचायतीराज अधिनियम १९९३ की धारा ४६ में की गई है |

ग्राम पंचायत में तीन स्थाई समितियों के गठन का प्रावधान किया गया है, जो निम्न है -

ग्राम पंचायत
सामान्य प्रशासन समिति निर्माण तथा विकास समिति शिक्षा स्वास्थ्य तथा समाज कल्याण समिति

ग्राम पंचायत की स्थाई समितियां, अपनी भूमिका सक्रिय रूप से निभाएं, इसके लिए सभी सदस्यों को निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा -

  1. समिति के सभापति(सरपंच) एवं सचिव यह सुनिश्चित करें की सम्बंधित समिति के सभी सदस्यों को बैठक की सूचना तीन दिन पूर्व एजेंडा सहित समय पर दी जा सके एवं इसे लिखित में सदस्यों के हस्ताक्षर सहित पावती के रूप में प्राप्त करें | जिससे किसी को शिकायत का मौका न मिल सके एवं बैठक में सदस्यों की उपस्थिति अधिक से अधिक हो |
  2. समिति के सभापति एवं सचिव को यह भी ध्यान रखना होगा की, एजेंडा में शामिल विषयों की जानकारी देने हेतु सम्बंधित ग्राम पंचायत स्तर के विभागीय अधिकारी बैठक में अनिवार्यता उपस्थित हो | उपस्थिति के अलावा सम्बंधित अधिकारी सदस्यों को शासकीय योजनाओं तथा कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण बातें समझाएं तथा शासन से प्राप्त आदेश, निर्देश जो जनप्रतिनिधि के लिए महत्वपूर्ण हो उसकी फोटोकॉपी सभी सदस्यों को उपलब्ध करवाएं |
  3. बैठक में रखे गए विषयों पर समिति क्या फैसला नहीं कर सकती यह बताना भी सरपंच/सचिव/अधिकारी का प्रमुख दायित्व है | इसके कारण ही बैठकों में नियम विरुद्ध प्रस्ताव पारित नहीं होंगे एवं शालीनता से सभी सदस्य मिलकर अच्छे निर्णय ले सकेंगे |


  1. ग्राम स्तर पर कार्यरत संस्थाओं जैसे आंगनबाड़ी, सहकारी समिति, स्वास्थ्य केंद्र, शालाएं इत्यादि का नियमित भ्रमण, कभी-कभी अचानक भेंट सम्बंधित समिति के सदस्य करें एवं इस सम्बन्धी समीक्षा भी बैठक में की जाना चाहिए |
  2. ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत अच्छे कर्मचारियों को राष्ट्रीय पर्व १५ अगस्त, २६ जनवरी, २ अक्टूबर आदि अवसरों पर सम्मानित किया जाना चाहिए, इसका प्रस्ताव भी समितियां पारित करके क्षेत्र के विकास में सहयोगात्मक भूमिका निभा सकती हैं |
  3. कर्मचारियों के कार्यकारी नियंत्रण हेतु व्यक्तिगत लाभ से परे होकर अनुशासनात्मक कार्यवाही जैसे एक दिन का वेतन रोकना, अवकाश स्वीकृत करना आदि प्रस्ताव पारित करके विभाग को कार्यवाही हेतु लिख सकते है |
  4. सबसे अंतिम परन्तु महत्वपूर्ण बात यह है, सभी पंच, सरपंच को सचिव तथा अन्य अधिकारियों से जानकारियां प्राप्त करनी होगी | कहा जाता है सूचना ही शक्ति है | सूचनाएं/जानकारियां हमें कोई भी अधिकारी/कर्मचारी स्वयं उपलब्ध नहीं कराएँगे उन्हें प्राप्त करने हेतु हमें स्वयं प्रयास करने होंगे, जिसे पढकर हम अपने आप को सशक्त बनाकर पंचायतों के क्रियान्वयन में सहयोग दे सकते है |

प्रीति बाखले
संकाय सदस्य
म.गां.रा.ग्रा.वि.सं.
जबलपुर
पंचायत की बैठक

पंचायतराज अधिनियम के तहत धारा ४४ में, पंचायत की बैठक एवं काम काज संचालन की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है| पंचायतराज व्यवस्था में सत्ता का विकेन्द्रीयकरण किया गया है| अर्थात पंचायतराज व्यवस्था के अंतर्गत किसी पद या व्यक्ति को कोई अधिकार नहीं सौपें गए है | अधिकार पंचायतराज संस्थाओं को दिए गए है | इस का अर्थ हुआ की समस्त अधिकार बैठकों में लिए गए निर्णयों, पारित संकल्पों में समाहित हैं |

पंचायत की बैठक माह में कम से कम एक बार होना आवश्यक है | बैठक को बुलाने की जिम्मेदारी अध्यक्ष की होती है | बैठक के एजेंडा तैयार करवाने की जिम्मेदारी अध्यक्ष की है, जो सचिव द्वारा अध्यक्ष की सहमति से तैयार किया जाता है | बैठक की सूचना निर्धारित तारीख से ७ दिन पहले सभी सदस्यों को दी जानी चाहिए | साथ ही बैठक का एजेंडा भी संलग्न किया जाना चाहिए | सूचना पत्र में बैठक की दिनांक/समय/स्थान का उल्लेख किया जाना चाहिए |



बैठक का कोरम जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत में पंचायत के एक तिहाई सदस्यों की उपस्थिति से पूरा होता है, जबकि ग्राम पंचायत में आधे सदस्यों की उपस्थिति से बैठक का कोरम पूरा माना जाता है | कोरम पूरा न होने पर बैठक स्थगित की जाती है, जिसकी सूचना पंचायत के सूचना पटल पर लगाईं जाती है |

स्थगित बैठक के लिए कोरम पूर्ति की आवश्यकता नहीं होती, किन्तु इस बैठक में पूर्व में जारी एजेंडे में शामिल विषयों के अलावा नए विषय पर चर्चा नहीं की जा सकती |

बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष के द्वारा की जाती है, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष बैठक की अध्यक्षता करते है | अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपस्थित सदस्यों की सहमति के आधार पर एक सदस्य का चयन अध्यक्ष हेतु उस दिन की बैठक के लिए किया जाता है |

बैठक में निर्णय पहले तो सर्वसम्मति से लेने का प्रयास करना चाहिए, यदि सर्वसम्मति नहीं बनती तो बहुमत के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए| यदि किसी प्रस्ताव पर सर्वसम्मति और बहुमत से निर्णय नहीं होता तो अध्यक्ष का मत निर्णायक होता है| अध्यक्ष का मत जिस पक्ष की तरफ जाता है वही निर्णय का आधार बनता है|

यदि अध्यक्ष किसी माह में बैठक बुलाने में असफल होता है तो पिछली बैठक के २५ दिन पूरे होने के साथ ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सचिव) द्वारा बैठक की सूचना जारी कर अध्यक्ष को सूचित किया जाता है |

पंचायत के सदस्य यदि किसी विशेष प्रयोजन के कारण पंचायत की बैठक आयोजित करना चाहते हैं तो ५० प्रतिशत से अधिक सदस्यों द्वारा लिखित में मांग किये जाने पर विशेष बैठक का आयोजन किया जा सकता है | विशेष बैठक मांग करने के सात दिनों के अन्दर बुलाई जाती है, इसकी सूचना ३ दिन पहले जारी की जाती है | यदि अध्यक्ष बैठक बुलाने में असफल रहते हैं तो मांग करने वाले सदस्य स्वयं बैठक आयोजित कर सकते हैं, जिसकी सूचना सचिव द्वारा जारी की जाती है |

धारा ४५ के अनुसार बैठक में लिए गए निर्णयों पर पुनर्विचार दो स्थिति में किया जाता है -

  1. मत देने वाले तीन चोथाई सदस्यों द्वारा लिखित में इसकी अनुमति दी गई हो |
  2. विहित प्राधिकारी ने पुनर्विचार के निर्देश दिए हो |

यदि अध्यक्ष स्वयं या मांग पर बैठक बुलाने में कम से कम तीन अवसरों पर विफल रहते है तो धारा ४० के अंतर्गत उन्हें पद से हटाये जाने की कार्यवाही की जा सकती है |

वंदना तिवारी
संकाय सदस्य
म.गां.रा.ग्रा.वि.सं.
जबलपुर
खेत का पानी खेत में

म.प्र. शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, राजीव गाँधी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन मिशन दिनांक २० अगस्त, १९९४ से राज्य में क्रियान्वित किया जा रहा है |

सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम के ९वें बैच के अंतर्गत वर्ष २००४ में भारत शासन द्वारा शहडोल जिले में ३००० हेक्टेयर क्षेत्र का विकास, जलग्रहण क्षेत्र विकास की अवधारणा के अनुरूप विकसित करने की स्वीकृति प्रदान की थी | परियोजना के अंतर्गत ६ माइक्रो वाटरशेड सम्मिलित थे | इन्हीं में से एक जुगवारी भाग-२ माइक्रो वाटरशेड के अंतर्गत विकासखंड सोहागपुर, जिला शहडोल में भी जलग्रहण क्षेत्र विकास सम्बन्धी कार्य वर्ष २००४ में शुरू किया गया | कार्यक्रम के परियोजना अधिकारी ने जलग्रहण क्षेत्र विकास सम्बन्धी कार्यों के सम्बन्ध में ग्राम के श्री हरिसिंह गौंड से संपर्क किया, क्योंकि उसकी ५ एकड़ भूमि पड़त भूमि थी| श्री हरिसिंह अपना जीविकोपार्जन, शहडोल जिला मुख्यालय में मजदूरी कार्य से कर रहा था| वह कई बार काम न मिलने से मुसीबत में भी पड़ जाता था, क्योंकि आजीविका का उसके पास कोई और स्रोत नहीं था| शुरुआत में तो श्री हरिसिंह ने अपनी ५ एकड़ पड़त भूमि के सुधार के सम्बन्ध में ज्यादा रूचि नहीं ली, तब परियोजना अधिकारी ने ऐसे कृषक जो पहले से अच्छी खेती कर रहे थे, उनको साथ में लेकर श्री सिंह से संपर्क किया| उसकी पड़त भूमि में मेड़ बंधी के फायदे बतलाये| अन्तत: श्री हरिसिंह अपनी ५ एकड़ पड़त भूमि में मेड़ बंधी करने तैयार हुआ| कार्यक्रम के तहत रु. १८ हजार की लागत से उसके खेत में मेड़ बंधी का कार्य किया गया| श्री हरिसिंह ने इस कार्य में ५ प्रतिशत आर्थिक योगदान भी मजदूरी के रूप में किया| इसके पश्चात् वर्षा जल का पानी खेत में रुकने से कृषक हरिसिंह ने गाँव में उधारी से बीज, खाद की व्यवस्था की व अपने खेत में धान की फसल लगाईं, जिससे उसे २५-३० क्विंटल धान की उपज खरीफ सीजन में प्राप्त हुई, रबी सीजन में भी उसने गेंहू व चना की मिश्रित फसल लगाईं, जिसमें उसे २० क्विंटल से अधिक अनाज का उत्पादन हुआ|

इस कार्यक्रम की सफलता के सम्बन्ध में हरिसिंह ने बतलाया की पहले दूसरों के पास मजदूरी करता था, यह दूसरों की गुलामी थी, आज वह अपने खेत में कार्य करने से अपने पैरों पर खड़ा हो गया है|



उत्साहजनक बात यह है कि अब वह अपने पूरे गाँव के लोगों को उनकी जमीन का विकास करने, मेड़बंधी करने समझा रहा है कि दूसरे के यहाँ मजदूरी करने से अच्छा है कि अपनी भूमि में कार्य किया जावे| वास्तव में "खेत का पानी खेत में" होने का परिणाम ही है कि आज हरिसिंह गौंड अपने खेत में कार्य कर, स्वावलंबी जीवन जीने में सफल हुआ है| वह पूरे गाँव के लोगों को समझाता है कि सभी अपने-अपने खेत में पानी रोकें व गाँव का पानी गाँव में रोककर इस अभियान को सफल बनायें| इसका असर भी हुआ है व गाँव का अधिकांश पानी लोग गाँव में ही रोक रहे है, जिससे पूरे गाँव में प्रगति हुई है| "खेत का पानी खेत में" व "गाँव का पानी गाँव में" की अवधारणा ने इस गाँव का बहुत सुधार किया है|


एन.पी. गौतम
संकाय सदस्य
म.गां.रा.ग्रा.वि.सं.
जबलपुर
कार्यालय प्रबंधन

शासकीय और अन्य व्यावसायिक आदि कार्यों के सुचारू संपादन के लिए एक कार्यालय बनाया जाता है, जहाँ बैठकर हम अभिलेखीय कार्यों को सम्पादित करते हैं| वस्तुत: सौंपे गए दायित्वों के सफल संपादन हेतु यह कार्यालय अपरिहार्य सहयोगी की भूमिका निभाता है| कार्यालय का प्रबंधन एक गंभीर और वृहत दायित्व है, जिसे कुशलता पूर्वक निर्वाहित करना प्रत्येक कार्यालय प्रमुख एवं जिम्मेदार अधिकारी के लिए अत्यंत आवश्यक है| प्रबंधन से शासकीय कार्यों को सुनियोजित ढंग से समय पर कुशलता से सम्पादित करने की रणनीति के अनुरूप कार्य करना वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति जन्मजात रूप से प्रबंधन के गुर किसी न किसी रूप में जानता ही है किन्तु कुशल कार्यालय प्रबंधन के लिए निम्नांकित तत्वों पर द्रष्टिपात करना प्रासंगिक होगा|

कार्यालय प्रबंधन के तत्व :

  1. भौतिक तत्व : कक्ष, फर्नीचर, स्टेशनरी आदि |
  2. मानवीय तत्व : सहयोगी अधिकारी, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि |
  3. वातावरण |
  4. उद्देश्य |


उक्त तत्वों पर गंभीरता और सूक्ष्मता से विचार करने पर यह स्पष्ट होता है कि जहाँ एक ओर भौतिक तत्व हमें मूलभूत ढांचा और सहयोगी सामग्री उपलब्ध करते है, वहीं दूसरी ओर मानवीय तत्व कार्य के कुशल संपादन में उत्प्रेरक की भूमिका अदा करते हैं| दायित्व संपादन में अपेक्षित वातावरण भी बुनियादी जरुरत है, क्योंकि यदि माहौल स्वस्थ नहीं होगा और व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सकारात्मक सहयोग नहीं देगा तो कार्य करना दुष्कर हो जायेगा और धीरे-धीरे व्यक्ति की कार्यक्षमता भी जबाव देने लगेगी|

अत: कुशल कार्यालय प्रबंधक वही है जो भौतिक तत्वों के साथ-साथ अपने सहयोगी अधिकारियों/कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और कार्यों की दशाओं को ध्यान में रखते हुए उचित समय पर विवेकपूर्ण निर्णय लेता है, इससे भिन्न स्थिति होने पर प्रबंधन तो कुप्रबंध में बदलता ही है, साथ ही धीरे-धीरे परिणाम भी नकारात्मक नजर आने लगते है और असफलता का कारण बनता है| अत: सम्यक प्रबंधन सफलता की बुनियादी जरुरत है और कुशल प्रबंधक एक परिपूर्ण व्यक्तित्व का प्रतीक|

सुधीर जैन
प्रशासनिक अधिकारी
म.गां.रा.ग्रा.वि.सं.
जबलपुर
स्थानीय स्वशासन हेतु क्षमतावर्द्धन परियोजना के प्रयास

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार तथा यू.एन.डी.पी. द्वारा म.प्र. में "स्थानीय स्व-शासन हेतु क्षमतावर्द्धन" परियोजना लागू की गयी है| इस परियोजना का कार्यकाल 04 वर्ष 06 माह का है जिसके अंतर्गत विभिन्न चरणों में इसे क्रियान्वित किया जायेगा | यह परियोजना पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किये जा रहे क्षमता विकास कार्यों में तकनीकी सहायता प्रदान करेगी | इस परियोजना के उद्देश्य क्षमतावर्द्धन की रणनीतियों को सशक्त करना, नीतिगत, शोध तथा नेटवर्क सपोर्ट, अच्छी कार्यप्रणालियों का आदान-प्रदान एवं समर्थन, सामुदायिक सशक्तिकरण एवं मोबिलाईजेशन परियोजना हेतु क्षमतावर्द्धन करना है |



उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु परियोजना के अंतर्गत 37 कार्यशालाओं, 02 भ्रमण कार्यक्रमों, 02 प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन, परामर्शदाताओं की नियुक्ति तथा प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु पाठ्य पुस्तकों का मुद्रण कराया गया| इन सभी गतिविधियों के सफलतापूर्ण संपादन में संस्थान के अधिकारियों एवं संकाय सदस्यों, पंचायतराज के प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों एवं प्रशिक्षण अधिकारियों ने सक्रिय योगदान प्रदान किया|

जिसके परिणाम स्वरुप पंचायत प्रतिनिधियों/सदस्यों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं की पहचान हेतु दो विधियाँ विकसित की गई, प्रशिक्षण आवश्यकताओं की पहचान की गई, आवश्यकतानुसार माड्यूल एवं पाठ्य सामग्री का विकास किया गया, प्रशिक्षण सम्बन्धी सूक्ष्म योजना, प्रपत्र एवं प्रशिक्षण के क्रियान्वयन से सभी प्रशिक्षण अधिकारियों, जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों एवं प्रशिक्षण मूल्यांकनकर्ताओं को अवगत कराया गया|


महिला सशक्तिकरण हेतु नवनिर्वाचित महिला प्रतिनिधियों का नेटवर्क तैयार किया गया एवं अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत का विस्तार अधिनियम (पेसा एक्ट) विषय पर प्रशिक्षण माड्यूल का विकास किया गया|

आगामी गतिविधि के रूप में "पेसा" क्षेत्रों में प्रशिक्षण हेतु 'प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण' नामक कार्यशाला तथा 'मॉडल अकाउन्टिंग सिस्टम' नामक कार्यशाला का आयोजन किया जाना है|

कु. शिल्पा नामदेव
तकनीकी सहायता अधिकारी
UNDP-CDLG
प्रकाशन समिति

संरक्षक एवं सलाहकार
श्री आर. परशुराम, अतिरिक्त मुख्य सचिव, म.प्र. शासन (IAS)


प्रधान संपादक
श्री के.के. शुक्ल, संचालक, म.गाँ.रा. ग्रा. वि. सं.-म.प्र., जबलपुर

संपादक मंडल
श्री संजीव सिन्हा, श्री श्रीप्रकाश चतुर्वेदी, डॉ. अश्विनी अम्बर,
श्री सुधीर जैन, श्री बी.के. द्विवेदी, श्री संजय राजपूत

फोटो संकलन
श्री रमेश गुप्ता, म. गाँ. रा. ग्रा. वि. सं. - म. प्र., जबलपुर

ई-न्यूज़ के सम्बन्ध में अपने फीडबेक एवं आलेख छपवाने हेतु कृपया इस पते पर मेल करे - mgsirdpahal@gmail.com
Our Official Website : www.mgsird.org, Phone : 0761-2681450 Fax : 761-2681870
Best View in 1024×768 resolution WindowsXP IE-6
Designed & Developed by Mr. J.K. Shrivastava and Mr. Ashish Dubey, Programmer, MGSIRD, JABALPUR
cialis online