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त्रैमासिक - सत्रहवां संस्करण अक्टूबर, 2014
अनुक्रमणिका हमारा संस्थान
  1. ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत म.प्र.लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित नवनियुक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं विकासखण्ड अधिकारियों का आधारभूत प्रशिक्षण
  2. अपनी बात ....
  3. शौचालय निर्माण होने से आई खुशहाली
  4. सांसद आदर्श ग्राम योजना
  5. गांव की साफ-सफाई में ‘‘ग्रामसभाओं और ग्रामसभा स्वस्थ ग्राम तदर्थ समिति’’ की जबावदारी
  6. एन.आर.एल.एम. अन्तर्गत अध्ययन भ्रमण
  7. पंचायत सशक्तिकरण एवं जबावदेही प्रोत्साहन पुरूस्कार योजनांतर्गत ‘‘पी.ई.ए.आई.एस.’’ एप्लीकेशन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण

ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत म.प्र.लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित नवनियुक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं विकासखण्ड अधिकारियों का आधारभूत प्रशिक्षण

संस्थान द्वारा ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित नवनियुक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारियों एवं विकासखण्ड अधिकारियों का आधारभूत प्रशिक्षण का आयोजन किया जाता है।

संस्थान द्वारा उक्त अधिकारियों के आधारभूत प्रशिक्षण के लिये माड्यूल तैयार किया गया है। उक्त प्रशिक्षण दिनांक 14 अगस्त से 9 सितम्बर 2014 अवधि में 15 कार्यकारी दिवस में आयोजित किया गया। इसमें नवनियुक्त 5 मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा 1 विकासखण्ड अधिकारी इस प्रकार 6 अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया गया।

उल्लेखनीय है कि सामान्यतः उपरोक्त अधिकारियों को 65 कार्यकारी दिवस का प्रशिक्षण आधारभूत प्रशिक्षण के रूप में दिया जाता है, किन्तु इस सत्र के पूर्व अधिकारियों को आरसी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी, भोपाल द्वारा प्रशिक्षण प्रदाय किया जा चुका था। अतएव उन्हें पंचायतराज, वित्तीय प्रावधान, लेखा प्रणाली एवं ग्रामीण विकास की योजनाओं पर प्रशिक्षित किया गया।

  अनुक्रमणिका  
शौचालय निर्माण होने से आई खुशहाली
अपनी बात .....


‘‘पहल’’ का सत्रहवां संस्करण प्रकाशित करते समय हमें अत्याधिक हर्ष महसूस हो रहा है। भारत सरकार ने सांसद आदर्श ग्राम योजना लागू करके प्रत्येक सांसद को ग्राम को गोद लेकर उसका विकास करने का कार्य सौंपा है। साथ ही स्वच्छता हेतु स्वच्छ भारत मिशन के द्वारा सम्पूर्ण भारत को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया है।

‘‘पहल’’ के इस संस्करण में इन दोनों योजनाओं पर आलेख प्रस्तुत किये गये है। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन विषय पर भी आलेख प्रस्तुत किया गया है।

’पहल’ के इस सत्रहवें संस्करण की प्रस्तुतिकरण के साथ ही इस त्रैमासिक ई न्यूज लेटर के सफलतम 4 वर्ष पूर्ण कर लिये गये है।

हमें पूर्ण विश्वास है कि मिश्रित विषयों पर आधारित ‘पहल’ का यह संस्करण आपकी आशाओं के अनुकूल एवं रूचिकर प्रतीत होगा।
शुभकामनाओं सहित।



राजेन्द्र सिंह
संचालक

कार्य का नाम:- शौचालय निर्माण
हितग्राही का नाम:- बारातीलाल
पिता का नाम:- फागूलाल
ग्राम पंचायत:- पनारझिर
जनपद पंचायत:- घंसौर जिला सिवनी (म.प्र.)
मद का नाम:- मनरेगा + मर्यादा अभियान (कन्वरजेंन्स)
तकनीकी स्वीकृति क्र. 02/2013 दिनांक 24/05/2013
प्रशासकीय स्वीकृति क्र. 07/2013 दिनांक 25/05/2013
कुल स्वीकृत लागत राशि - मनरेगा मद (4400.00) मर्यादा अभियान मद - (4600.00) हितग्राही राशि- 900.00 कुल राशि- 9900.00

सिवनी जिले के आदिवासी विकास खण्ड - घंसौर के ग्राम पंचायत - पनारझिर में निर्मल ग्राम पंचायत के तहत मनरेगा उपयोजना - निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत बीपीएल जाॅबकार्ड धारी का शौचालय निर्माण कार्य स्वीकृत कराया गया। स्वीकृत कार्य उपरान्त ग्राम पंचायत एजेन्सी के द्वारा हितग्राही के शौचालय निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया गया। जिसमें हितग्राही स्वयं ने शौचालय बनाने के लिए 900/- परिश्रम के तौर पर कार्य किया गया। जिसमें हितग्राही द्वारा स्वयं की रूचि व उत्साह से शौचालय पूर्ण बनवाया गया। हितग्राही ने स्वयं अपने कथन में बताया कि उसने शासन की इस योजना का लाभ लिया। वह शौचालय निर्माण होने से सपरिवार घर में शौचालय का उपयोग कर रहें हैं। वे सभी खुश होकर शासन की योजना का लाभ लेकर धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।



  अनुक्रमणिका  
विकास मिश्रा,
संकाय सदस्य, सिवनी
सांसद आदर्श ग्राम योजना

वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 11 अक्टूबर 2014 को जयप्रकाश नारायण की जयन्ती के पूर्व संध्या पर सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरूआत की है। इस योजना को उनकी जयंती के दिन इसीलिए शुरू किया गया चूंकि लोेकनायक की ग्रामीण विकास की गांधीवादी विचारधारा में गहरी प्रतिबद्धता थी जिसके अनुसार भारत राजनीतिक रूप से स्वतंत्र और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर गांवों का एक राष्ट्र बनने का सामर्थ रखता है। इस योजना में यह अनुबंधित है कि संसद के प्रत्येक सदस्य/सांसद को अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के एक गांव को गोद लेना होगा और उसे एक वर्ष के भीतर आदर्श गांव के रूप में विकसित करना होगा। लोकसभा का सदस्य मैदानी क्षेत्रों में 3000-5000 और पर्वतीय क्षेत्रों में 1000-3000 की आबादी वाले किसी भी गांव का चयन कर सकता है। राज्यसभा सदस्य उस राज्य जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है, के किसी गंाव को चुन सकता है। तथापि न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा का कोई भी सदस्य अपने गांव या अपने पति/पत्नी से संबंधित गांव का चयन नही कर सकते है। बाद में वे इस प्रयोजना के लिए दो और गंावों का चयन करेगें। इस तरह से वर्ष 2019 तक हजारों गांवों का चयन होगा। इस उद्देश्य के लिए सांसद स्थानीय क्षेत्रीय विकास योजना (MPLADS) को केन्द्र और राज्य प्रयोजित योजनाओं में मिला दिया जाएगा।

पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री श्री नितिन गड्करी के अनुसार ‘‘सांसदों से ग्राम विकास योजना में मदद करने कार्यकलापों को शुरू करने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित करने और फंड की कमी को पुरा करने के लिए 5 करोड़ रूपये की संासद निधि इस्तेमाल करने की उम्मीद है। साथ ही अतिरिक्त संसाधनों से भी खासतौर से माल-व्यय और जल आपूर्ति योजनाओं में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के जरिये फंड उपलब्ध कराया जा सकता है।‘‘

उनके अनुसार ‘‘इस प्रयोजना के लिए एक विस्तृत निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है । पहली समीक्षा किसी स्वतंत्र अभिकरण द्वारा पाॅंच महिने के पश्चात् की जाएगी । जिलाधीश बेसलाइन सर्वे करेंगे और उसके पश्चात् इसकी प्रगति को माॅनीटरिंग करने के लिए मासिक समीक्षा बैठकें की जाएगी। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव इसी पर एक अधिकार प्राप्त समिति का नेतृत्व करेंगे और ग्रामीण विकास मंत्री और ग्रामीण विकास सचिव राष्ट्रीय स्तर की समिति के अध्यक्ष के रूप में इस योजना की निगरानी करेंगे।‘‘(दी हिन्दू नोएडा, 12 अक्टूबर 2014, पृ. 6)

सांसद आदर्श ग्राम योजना को मूर्त रूप देने के लिए सभी प्रदेशो के नोडल अधिकारियों की दो दिवसीय ट्रेनिंग हैदराबाद में हो गई है। म0 प्र0 से ग्रामीण विकास विभाग के आयुक्त रघुवीर श्रीवास्तव जी ने इसमें हिस्सा लिया है। सांसद आदर्श ग्राम योजना को साकार करने के लिए उपर्युक्त कदम सहायक सिद्ध हो सकते है -

  1. संसदो को निर्णय लेने की प्रक्रिया में ग्राम सभा और ग्राम पंचायत संस्थाओं को भी शामिल करना चाहिए ताकि उन्हे सही अर्थो में भागीदार बनाया जा सके।
  2. राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायतीराज संस्थान हैदराबाद को राष्ट्रीय स्तर पर संासदों और अन्य हितधारकों का क्षमता विकास कार्य शुरू करना चाहिए।
  3. राज्य ग्रामीण विकास संस्थानों (एसआईआरडी) को ग्राम पंचायतों के सदस्यों और ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों की क्षमतावर्धन का कार्य सौंपा जा सकता है जिससे इस योजना के कार्यान्वित होने की अधिक संभावना है।
  4. सांसद आदर्श ग्राम योजना को महिलाओं और अन्य कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान देकर इसे अर्थो में समावेश प्रकृति का बनाया जाना चाहिए।

इस योजना के अन्तर्गत चुने गए गांवों की वार्षिक विकास योजनाओं को ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों, जिला परिषदों और जिला योजना समितियों की वार्षिक योजना का एक हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

एसआईआरडी को इन गांवों की ग्राम सभाओं में विशेष जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।

सांसदो, जिला प्रशासन अधिकारियों जिला (ग्रामीण विकास अभिकरणों) के कार्यकर्ताओं, पंचायतीराज संस्थानों के निर्वाचित प्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं तकनीकीविदों और सम्बन्ध विभागों के अधिकारियों सहित हितधारकों के मानसिकता को बदलने की जरूरत है।

सांसद आदर्श ग्राम का प्रारुप
आदर्श गाॅवो का पैमाना:

सांसद आदर्श ग्रामों में बुनियादी विकास कुछ ऐसे होंगे कि यह दूसरो के लिए आदर्श बनेगें। एक आदर्श ग्राम में शिक्षक और ट्रेनर दूसरे आदर्श ग्राम को विकसित करने में मदद करेंगे। ग्रामों में सामूहिक गतिविधि एवं स्थानीय नेतृत्व को उभारने के मकसद से शुरू हो रही इस योजना के आदर्श महात्मा गाँधी है। आदर्श ग्रामों को विकास के लिए व्यक्तिगत विकास, मानव विकास, सामाजिक विकास, आर्थिक विकास, पर्यावरण विकास, बुनियादी सुविधाएं, सामाजिक सुरक्षा और गुड गर्वेनेस जैसे आठ हिस्सों में बंटा गया है। इसके साथ ही व्यक्तिगत विकास के तहत इन गांवों में स्वच्छता की आदतों को बढ़ावा देना, व्यायाम और खेल की अच्छी आदतों को बढ़ावा देने के साथ शराब, धूम्रपान और बुरी आदतों में कमी का प्रयास होगा।

समग्र विकास पद जोर:

आर्थिक विकास के लिए जैविक खेती पर जोर दिया जाएगा। गांवों में फीड बैक के अलावा गोबर बैक, पशुओं कि लिए अस्पताल संकेत कृषि से व केन्द्रों की स्थापना होगी। जरूरी सुविधाओं कि हिसाब से सभी घरों में पीने के लिए सप्लाई का पानी उपलब्ध कराया जाएगा। सभी घरों और सार्वजनिक स्थलों पर टायलेट बनाए जाएंगे। सड़को के किनारे ढके वालों की व्यवस्था की जाएगी। सभी घरों में बिजली की व्यवस्था के साथ सौर ऊर्जा के प्लांट लगाए जाएंगे।

विश्वस्तरीय स्वास्थ्य एवं शिक्षण सुविधाएं:

विश्वस्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिसमें हेल्थ कार्ड से लेकर स्वास्थ्य जाँच की पूरी व्यवस्था होगी। पूर्ण टीकाकरण, लिंग अनुपात की समानता, 100 प्रतिशत सुरक्षित प्रसव, दसवीं तक की शिक्षा के लिए विश्वस्तरीय साधन विकसित किए जाएगें।

सूचना तकनीकि से लैस स्कूल:

स्कूलों को स्मार्ट स्कूलों में बदला जाएगा। इनके क्लासरूम पूरी तरह सूचना तकनीकि से लैस होगेे, वेब आधारित शिक्षा व्यवस्था के साथ ई-लाइब्रेरी, प्रौढ़ शिक्षा, ई-शिक्षा और हर ग्राम में लाइब्रेरी विकासित की जाएगी।

बैंक पोस्ट आफिस से लेकर एटीएम तक:

गॅावों में बाजार, जन वितरण दुकानें, बैंक, पोस्ट आॅफिस, एटीएम, ब्रांडबैण्ड कनेक्टिविटी होगी। यूआईडी कार्ड के अलावा सभी ग्राम सभाएं ई-गवर्नेंस वेब से जुड़ी होगी। सभी सेवाए निर्धारित समय में पूरी की जाएंगी। इन गाॅवो में गुड गवर्नेस की झलक साफ दिखाई देगी।

सभी का होगा स्वास्थ्य बीमा:

गाॅव के सभी वरिष्ठ नागरिको को पेंशन आम आदमी बीमा, हेल्थ इंश्योरेस समेत तमाम सुविधाएं दी जाएगी। सड़को के किनारे पेड़ लगाए जाएंगे तथा जल संचयन के तमाम साधन विकसित किए जाएंगे।




  अनुक्रमणिका  
त्रिलोचन सिंह,
संकाय सदस्य
गांव की साफ-सफाई में ‘‘ग्रामसभाओं और ग्रामसभा स्वस्थ ग्राम तदर्थ समिति’’ की जबावदारी

मध्यप्रदेश में लगभग 52000 गांव हैं। इन गांवों में साफ-सफाई का जिम्मा पंचायतों का है। प्रदेश में ग्राम सभाएं चौथी और महत्वपूर्ण ईकाई के रूप में विद्यमान हैं। प्रदेश के पंचायत एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 द्वारा स्वच्छता के विशेष सन्दर्भ में विभिन्न कार्य और शक्तियां दी गई हैं। ग्रामसभा अगर चाहे तो अपने ग्राम को पूरी तरह से स्वच्छ बना सकती हैं। ग्रामीणों की ग्रामसभाओं से अपने गांव के विकास और स्वच्छता के लिए अपेक्षाएं की जाती हैं। अधिनियम के प्रावधानों में उनका उल्लेख ग्राम सभा के कार्यो के रूप में किया गया है। आईये जानते हैं वे क्या हैं?

ग्राम सभा से अपेक्षाएं:

सबसे पहली बात तो यह है कि ग्रामसभाएं स्वच्छता, सफाई और न्यूसेन्स का निवारण का कार्य कर सकती हैं। स्वच्छता और सफाई से मतलब है, पर्यावरण, घरों और व्यक्तिगत स्वच्छता। न्यूसेन्स का मतलब कोई ऐसा कार्य, जगह और चीजों को देखने, सूंधने या सुनने से, विश्राम करने में नुकसान हो रहा हो या बाधा आ रही हो। इस प्रकार से गांव की साफ-सफाई के लिए और ऐसी कोई बात जो न्यूसेंस फैला रही हो उसके निवारण करने के लिए ग्रामसभाओं द्वारा कार्रवाही की जा सकती है।

ग्रामसभाएं अपने गांव में जरूरत के मुताबिक सार्वजनिक कुओं, तड़ागों और तालाबों का निर्माण ग्राम पंचायत निधि से अथवा संबधित योजना से करवा सकती हैं। जो सार्वजनिक कुएं, तड़ाग और तालाब पहले से बने हैं इनकी लगातार देख-रेख करने, समय-समय पर इनकी मरम्मत करवा कर इन्हें उपयोगी बनाये रखने का प्रयास कर सकती है।

घरों से निकलने वाली खुली नाली, हैण्डपंप के पास, खुले में नहाने इत्यादि से निकलने वाले पानी, गंदगी मचाते हैं और यही स्थान मच्छर पनपने की जगह भी बनती हैं। जो कि बहुत से रोग फैलाने में सहायक होते हैं। ग्राम सभा को नहाने तथा धोने और पालतू पशुओं को पीने के लिए जल प्रदाय हेतु जल के स्त्रोतों का सन्निर्माण और अनुरक्षण की व्यवस्था करना चाहिए। गांव में सार्वजनिक सड़कों, संडासों, नालियों, तालाबों कुओं तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों का बनाने उनकी साफ-सफाई करवाते रहने की जिम्मेदारी ग्राम सभा की रखी गयी है। गांव में उपयोग में न लाये जाने वाले कुओं, अस्वच्छ तड़ागों, खाईयों तथा गड्डों को भरना सीढ़ीदार कुओं ( बाबडि़यों) को स्वच्छ कुओं में परिवर्तित करना, ग्राम मार्गो और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रकाश की व्यवस्था करना, मकानों, संडासों, मूत्रालयों, नालियों तथा फ्लष शौचालयों के सन्निर्माण का विनियमन, शवों, पशु-शवो और अन्य घृणोत्पादक पदार्थो के व्ययन के लिए स्थानों का विनियमन, लावारिसों शवों और पशु शवों का व्ययन, कचरा इकट्ठा करने के लिए स्थानों का पृथक् रक्षण, माॅंस के विक्रय तथा परीक्षण का विनियमन के लिए शक्तियां और कार्य ग्राम सभा को सौंपे गये हैं।

ग्राम की स्वच्छता के लिए ‘‘मध्यप्रदेश ग्राम सभा स्वस्थ ग्राम तदर्थ समिति (गठन, कारबार संचालन तथा बैठक) नियम, 2010’’ बनाया गया है। इस नियम की प्रमुख बातें निम्न हैं:

समिति का गठन:

ग्राम सभा की एक तदर्थ समिति के रूप में ‘‘ग्राम सभा स्वस्थ ग्राम तदर्थ समिति’’ का गठन किया जावेगा। जिसमें कम से कम बारह एवं ज्यादा से ज्यादा बीस सदस्य विषय के संबंध में हित रखने वाले होंगे जिनमें से न्यूनतम 50 प्रतिशत महिला सदस्य रहेंगी। कोई व्यक्ति जिसका नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में दर्ज हो तथा विषय के संबंध में हित रखता हो, इस समिति में सदस्य रह सकेेगा। समिति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग का कम से कम एक सदस्य होगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के कम से कम एक महिला नामनिर्दिष्ट होगी। समिति में ग्राम की सभी महिला पंच, आशा कार्यकर्ता, स्थानीय आगंनवाड़ी कार्यकर्ता, उप स्वास्थ्य केन्द्र की ए.एन.एम., मातृ सहयोगिनी समिति की अध्यक्ष, मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के लिये उत्तरदायी स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष तथा क्षेत्र का हैण्ड पम्प मैकेनिक समिति के पदेन सदस्य होंगे। समिति के सदस्यों को पारस्परिक सहमति से ग्राम सभा द्वारा नामनिर्दिष्ट किया जाएगा। महिला सदस्य समिति की सभापति होगी तथा समिति के खाते के लिए पृथक कोषाध्यक्ष होगी। लोक स्वास्थ्य विभाग से संबंधित कार्यक्रमों के लिए कोषाध्यक्ष आशा कार्यकर्ता होगी। सभापति और कोषाध्यक्ष का नामांकन समिति के सदस्यों द्वारा आम सहमति से किया जाएगा।

समिति का सचिव:

समिति के समस्त कृत्य, समिति के सचिव द्वारा सम्पादित किए जाएंगे। समिति का प्रबंध के लिए ग्राम पंचायत का सचिव, समिति का सचिव होगा, स्थानीय आंगनवाड़ी केन्द्र का आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एन.आर.एच.एम.) के अधीन आशा कार्यकर्ता, सहायक सचिव होगी जो समिति के सचिव को प्रशासनिक कार्यो में सहायता करेगी और सचिव द्वारा उसकी अनुपस्थिति के दौरान उनको सौंपे गए कृत्यों का निर्वहन करेगा/ करेगी। यदि ग्राम मे एक से अधिक आगंनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता हैं तो व्यक्ति जो आगंनवाड़ी तथा आशा कार्यकर्ता में से उच्चतर अर्हता रखते हों, सहायक सचिव होगा, समान शैक्षणिक अर्हता होने की दशा में कम आयु कार्यकर्ता का चयन किया जाएगा।

समिति का लेखा:

समिति द्वारा संचालित किए जाने वाले तीन योजनावार खाते संधारित किए जाएंगे, समिति का प्रथम खाता ‘‘जल स्वच्छता अभियान खाता’’ कहलाएगा, जिसमें जल तथा स्वच्छता की प्रात्तियां राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम से संबंधित निधियां जमा की जाएंगी। यह खाता, समिति के अध्यक्ष (चेयरपर्सन) तथा ग्राम पंचायत के सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर द्वारा संचालित किया जाएगा। समिति का द्वितीय खाता ‘‘स्वास्थ्य निधि खाता’’ कहलाएगा, जिसमें राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से संबंधित निधियां जमा की जाएंगी। यह खाता भी अध्यक्ष (चेयरपर्सन) तथा आशा कार्यकर्ता के संयुक्त हस्ताक्षर द्वारा संचालित किया जाएगा। ग्राम में एक से अधिक आशा कार्यकर्ता होने की दशा में ऐसी आशा कार्यकर्ता जो उच्चतर शैक्षणिक अर्हता रखती है,

द्वारा खाता संचालित किया जाएगा या समान अर्हता की दशा में, उक्त खाते को संचालित करने हेतु कम आयु के कार्यकर्ता का चयन किया जाएगा। समिति का तृतीय खाता ‘‘पोषाहार खाता’’ कहलाएगा तथा यह खाता समिति के अध्यक्ष (चेयरपर्सन) तथा आशा कार्यकर्ता के संयुक्त हस्ताक्षर द्वारा संचालित किया जाएगा। ग्राम में एक से अधिक आशा कार्यकर्ता होने की दशा में ऐसी आशा कार्यकर्ता जो उच्चतर शैक्षणिक अर्हता रखती है, द्वारा खाता संचालित किया जाएगा या समान अर्हता की दशा में, उक्त खाते को संचालित करने हेतु कम आयु का व्यक्ति उक्त खाते के संयुक्त संचालन हेतु हकदार होगा। समिति, समग्र स्वच्छता अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अधीन उसके द्वारा प्राप्त निधियां तथा महिला एवं बाल विकास विभाग से भी प्राप्त निधियां पृथक् रूप से खाते में जमा करेगी और यह आवश्यक होगा कि प्रत्येक खाते से रकम/ निधि के संवितरण के पूर्व बैठक में, समिति का अनुमोदन/ मंजूरी अभिप्राप्त करें।

कैश(रोकड़)रजिस्टर:

समिति, योजनावार तीन कैश रजिस्टर संधारित करेगी। प्रथम कैश रजिस्टर, स्वच्छता रजिस्टर तथा राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम के अधीन सम्पूर्ण संव्यवहार हेतु संधारित किया जाएगा। द्वितीय कैश रजिस्टर स्वास्थ्य निधि हेतु तथा तृतीय महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनवाड़ी कार्यक्रम की निधियों के लिए संधारित किया जाएगा और योजनावार निधियों की प्रविष्टियां तथा योजन के लिए संवितरण निधियां, तारीख, रकम तथा उसकी समस्त आवश्यक प्रविष्टियां सचिव, ग्राम पंचायत, आशा कार्यकर्ता तथा आगंनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा की जाएंगी।

समिति की बैठक:

समिति की बैठक एक माह में एक बार अनिवार्य रूप से रखी जाएगी, तथापि जब और जहां अपेक्षित हो, कोई विशेष बैठक रखी जा सकेगी। बैठक की सूचना और कार्यसूची समिति के सचिव के हस्ताक्षर के अधीन जारी की जाएगी। बैठक की तारीख, समय, कार्यसूची तथा स्थान अध्यक्ष (चेयरपरसन) के परामर्श से सचिव द्वारा विनिश्चित की जाएगी। बैठक में समिति की गणपूर्ति इसके कुल सदस्यों के आधे से होगी, यदि गणपूर्ति नहीं होती है तो बैठक एक घंटे के लिए स्थगित की जा सकेगी तथा स्थगित बैठक पुनः करने के प्रयोजन हेतु गणपूर्ति अपेक्षित नहीं होगी।

कार्यवृत्त रजिस्टर:

समिति में कार्यवृत्त रजिस्टर होगा। समिति के सचिव द्वारा बैठक में लिए गए विनिश्चय, उक्त रजिस्टर में दर्ज किए जाएंगे। उक्त रजिस्टर पर ऐसे सदस्य हस्ताक्षर करेंगे जो बैठक में उपस्थित हों, तथा उसके तत्पश्चात अध्यक्ष (चेयरपर्सन) और सचिव द्वारा प्रतिहस्ताक्षर किए जाएंगे। कार्यवृत्त हिन्दी में अभिलिखित किए जाएंगे तथा सचिव द्वारा बैठक का कार्यवृत्त ग्राम पंचायत, ब्लाक स्तर पंचायत, स्थानीय आगंनवाड़ी केन्द्र तथा उप-स्वास्थ्य केन्द्र को भी परिचालित किए जाएंगे।

समिति की अवधि:

समिति की अवधि ऐसी होगी जैसी कि ग्राम पंचायत की है। नई ग्राम पंचायत के गठन के पश्चात के गठन के पश्चात ग्राम सभा, समिति के सदस्यों को पुनर्नामनिर्दिष्ट करेगी। यदि कोई सदस्य लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहता है तो उसकी सदस्यता कम से कम पचास प्रतिशत सदस्यों के अनुमोदन के पश्चात समाप्त कर दी जाएगी। ग्राम पंचायत अर्ह सदस्य के नामनिर्देशन के द्वारा रिक्ति भरेगी। जब समग्र स्वच्छता अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन तथा पोषहार कार्यक्रम अभियान सभी पहलुओं से पूरे हो जाते हैं तो संबंधित तदर्थ समिति स्वतः ही भंग हो जाएगी।

शक्तियां, कृत्य तथा समिति का उत्तरदायित्व:

समिति को शक्तियों का प्रयोग करने तथा कार्यो का पुनर्विलोकन, पर्यवेक्षण, मानीटर तथा समन्वयन की भूमिका और उसे सौंपे गये दायित्वों जैसे समग्र स्वच्छता अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन तथा पोषहार कार्यक्रम अभियान का निर्वहन करने हेतु सशक्त किया गया है। संबंधित योजना, विभाग, योजना के कार्यान्वयन भूमिका तथा समिति के उत्तरदायित्वों के लिए पृथक् तथा संयुक्त रूप से प्रशासनिक निर्देश जारी करेंगे।

प्रशिक्षण:

समिति से संबंधित समस्त सदस्यों को उनकी भूमिका, कृत्य तथा उत्तरदायित्वों के संबंध में प्रशिक्षण दिया जाएगा। ऐसे प्रशिक्षण के लिये पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और महिला बाल विकास विभाग का संयुक्त प्रशिक्षण नियमावली बनाएंगे।

संपरीक्षा तथा लेखा:

योजनावार संपरीक्षा तथा आय और व्यय तथा वित्त से संबंधित अभिलेखों की संपरीक्षा संबंधित विभाग द्वारा उनके संपरीक्षा दल/ चार्टड एकाउंटेन्ट के माध्यम से प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर की जाएगी।

अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान:

ग्राम पंचायत सचिव, समिति के कार्य संचालन में सहयोग तथा मार्गदर्शन करेगा। समिति, ग्राम पंचायत के सरपंच, ख्यातिप्राप्त गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.), स्वयंसेवी समूह (एस.एच.जी.) अध्यक्षों/ सदस्यों को विशेष आमंत्रिती के रूप में समिति की बैठक में आमंत्रित कर सकेगी। समिति द्वारा समग्र स्वच्छता अभियान, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पी.एच.ई.) तथा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आर.ई.एस.) में कार्यरत तकनीकी कार्मिकों से तकनीकी मार्गदर्शन लिया जा सकेगा और उनके सुझाव हिन्दी में अभिप्राप्त किए जाएंगे। सुझाव, यादि कोई हों तो, अध्यक्ष (चेयरपर्सन) को संबोधित किए जाएंगे। समस्त प्राक्कलन, समिति तथा किसी भी कार्यकारी अभिकरण को हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किए जाएंगे। समिति की बैठक में लिए गए विनिश्चय के विरूद्ध अपील, जनपद स्तर की ग्राम सभा अपील समिति को प्रस्तुत की जा सकेगी। समिति, प्रारम्भिक अवस्था में ग्राम सभा की तदर्थ समिति के रूप में गठित की जा रही है किन्तु समिति, यथाशक्तयषीघ्र लोकहित में एक स्थायी समिति के रूप में गठित की जाएगी।

संदर्भ- मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 (क्रमांक 1) की धारा 7, मध्यप्रदेश ग्रामसभा स्वस्थ ग्राम तदर्थ समिति (गठन, कारबार संचालन तथा बैठक) नियम, 2010

  अनुक्रमणिका   डाॅ. संजय राजपूत,
संकाय सदस्य

एन.आर.एल.एम. अन्तर्गत अध्ययन भ्रमण

दिनांक 07.08.2014 को प्रातः 10 बजे प्रशिक्षणार्थी दल द्वारा सत्र संयोजक श्री पंकज राय के साथ मण्डला जिला के निवास-तहसील के ग्राम ग्वारा में एन.आर.एल.एम. अन्तर्गत गठित स्वसहायता समूह से सम्पर्क/अध्ययन हेतु प्रस्थान किया। सर्वप्रथम उपस्थित धनवर्षा समूह सदस्यों द्वारा अपना परिचय दिया गया। प्रतिभागी सदस्यों द्वारा भी समूहों को अपना परिचय दिया गया।

सुश्री लक्ष्मी रजक ग्राम नोडल द्वारा अपने परिचय एवं आगुन्तक के अभिवादन उपरान्त, समूह सदस्यों ने समूह गान के साथ गणेश स्तुति प्रस्तुत की। महिलाओं द्वारा एक दूसरे का हाथ पकड़कर समूह गान करना ठीक लगा, उपरान्त कार्यवाही प्रारंभ की। बैठक का आयोजन किया गया। साप्ताहिक बचत की राशि एकत्रित की जाकर सचिव को दी गई एवं पूर्व के सदस्यों द्वारा लिए गए ऋण की वापसी एवं नये अन्य सदस्य को ऋण स्वीकृति एवं प्रदाय की कार्यवाही की गई। समूह के बचत एवं ऋण प्रदाय एवं वापसी के ब्यारौ पत्रक तैयार कर समूह सचिव द्वारा प्रस्तुत कर वाचन किया गया। समूह में 10 महिला सदस्य है जो उपस्थित रही। सचिव 8वीं उत्तीर्ण हो कर सक्रिय एवं कर्मठ है। समूह के 10 सदस्यों में प्रत्येक 770 रूपये जमा होकर कुल 7770 रू. जमा है। दिनांक 27 मार्च 2013 को गठित है। प्रति सप्ताह बैठक होती है। बचत 10 रूपये प्रति सप्ताह है। आपसी लेन-देन जारी है। क्रेश क्रेडिट 80,000/- हजार तक ऋण दिया गया है। जिससे सदस्य सब्जी व्यवसाय सिलाई कार्य, महुआ खरीदी, बकरी पालन, लुहारी, राशन विक्रय हेतु ऋण दिया गया है। इलाहाबाद बैंक निवास में बचत खाता एवं ऋण खाता संचालित है। बैक से कोई परेशानी नहीं है। बैंक जाते समय अध्यक्ष, सचिव हर बार अपने साथ सदस्य को लेकर जाते हैं। ताकि आपसी विश्वास बना रहे। समूह में बुक कीपर रखा है जो संधारण अभिलेख हेतु सहयोग करता है। अब सचिव सीख चुकी हैं। समूह द्वारा कैंसर पीडि़त को दस किलो चावल दान दिया गया। समूह द्वारा सामाजिक समस्या एक सदस्य के बालक के स्कूल न जाने के विषय में चर्चा कर घर पर जाकर प्रेरित करना तय किया गया। बैठक की अगली तारीख को स्थान दूसरे सदस्य के यहाॅं तय किया गया। शेष सदस्य समूह में सहयोग करते हैं प्रत्येक बैठक में चावल एकत्र करते हैं एवं बाजार से कम दर विक्रय करते हैं।

समूह में अभिलेख हेतु आठ रजिस्टर रखे गए जो हमारे लिए एक नया अनुभव रहा, जिससे समूह की प्रत्येक गतिविधि पृ. 2 क्र. 2 देखी जा सके। यह ज्ञात हुआ कि यह आंध्रप्रदेश की तर्ज पर है।

जैसे बैठक प्रस्ताव रजिस्टर, उपस्थिति और बचत पुस्तक, व्यक्तिगत पास बुक ,ऋण पुस्तक ,नगद पुस्तक ,खाता बही, मासिक प्रतिवेदन, बैंक पासबुक (बैंक द्वारा प्रदाय)।

उपरोक्त अभिलेख को संधारण में बुक कीपर को ग्राम नोडल सुश्री लक्ष्मी रजक द्वारा मार्गदर्शन दिया गया। इस क्षेत्र में बी.पी.एल. एवं ए.पी.एल. का कोई बंधन नहीं है। गरीबों के सत्यापन हेतु डब्ल्यू.व्ही.आर. वर्गीकरण सर्वे कराया जा कर ग्राम सभा से अनुमोदित कराया गया। ग्राम नोडल द्वारा बताया कि आंध्रप्रदेश क्षेत्र के पेटर्न पर इस क्षेत्र में लगभग अभी 10 समूह संचालित है। जिनकी कुल बचत 45000 हजार कुल रिवाॅल्विंग फण्ड 1.30 लाख एव कैश लिमिट 2.95 लाख है। कम्युनिटी इन्वेस्ट फण्ड प्रति समूह 50000 हजार के अनुपात से 4.00 लाख स्वीकृत होकर क्रियाशील है।

पूरे दिन प्रशिक्षण भ्रमण अध्ययन उपरांत सभी को धन्यवाद अभिवादन उपरांत पुनः प्रस्थान किया। वस्तुतः भ्रमण अध्ययन का अनुभव सभी प्रतिभागियों को अच्छा एवं नया लगा, सभी संतुष्ट हुए।

  अनुक्रमणिका   पंकज राय,
संकाय सदस्य
पंचायत सशक्तिकरण एवं जबावदेही प्रोत्साहन पुरूस्कार योजनांतर्गत ‘‘पी.ई.ए.आई.एस.’’ एप्लीकेशन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण

संस्थान में पंचायतीराज संचालनालय मध्यप्रदेश, भोपाल के सौजन्य से पंचायत सशक्तिकरण एवं जबावदेही प्रोत्साहन पुरूस्कार योजनांतर्गत पी.ई.ए.आई.एस. एप्लीकेशन पर दो पायलेट जिलों क्रमशः सागर, सीहोर की डाटा प्रविष्टि हेतु एन.आई.सी. नई दिल्ली द्वारा दिनांक 25 अगस्त 2014 से 26 अगस्त 2014 (दो दिवसीय) प्रशिक्षण आयोजित किया गया।

इस प्रशिक्षण हेतु पायलेट जिले के तौर पर सागर एवं सीहोर जिले की दो-दो जनपद पंचायत की 10-10 ग्राम पंचायतों को चुना गया।

प्रशिक्षण में भाग लेने हेतु जिला स्तर एवं जनपद स्तर से एक-एक पंचायत

प्रकोष्ठ अधिकारी एवं एक कम्प्यूटर आपरेटर तथा ग्राम पंचायत स्तर से ग्राम रोजगार सहायकों को नामांकित किया।

एन.आई.सी. दिल्ली से अतिथिवक्ता के रूप में श्री मयंक मृणाल एवं श्री दीपक नेगी द्वारा ‘‘पीस’’ एप्लीकेशन पर आये प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया। प्रशिक्षण के दौरान पंचायतीराज संचालनालय मध्यप्रदेश भोपाल से श्री नितिन डोबाल भी उपस्थित रहे।

इस प्रशिक्षण में सागर एवं सीहोर जिलों से जिला/जनपद/ग्राम पंचायतों स्तर के कुल 58 प्रतिभागी उपस्थित हुए।

प्रकाशन समिति

संरक्षक एवं सलाहकार
  • श्रीमती अरुणा शर्मा(IAS),अपर मुख्य सचिव,
    म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.,
  • श्री संजीव झा(IAS),सचिव,म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.


प्रधान संपादक

राजेन्द्र सिंह,
संचालक,
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान-म.प्र., जबलपुर


सह संपादक
श्रीमति सुनीता चौबे, उप संचालक, म.गां.रा.ग्रा.वि.स.-म.प्र., जबलपुर

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