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त्रैमासिक - पन्द्रहवां संस्करण अप्रैल, 2014
अनुक्रमणिका हमारा संस्थान
  1. प्रशिक्षण आवश्यकता पृष्ठभूमि
  2. अपनी बात ....
  3. ग्रामीण विकास में युवाओं की भूमिका
  4. केस स्टडी - टूटती बेंडि़याॅं
  5. मनरेगा द्वारा इलेक्ट्रानिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम (ई.एफ.एम.एस.)
  6. सफलता की कहानी - प्रशिक्षण ने बदल दी मेरी तकदीर
  7. स्ट्रेटजीस फाॅर अपस्केलिंग प्रोडक्शन सिस्टम टेक्नोलाॅजीस अंडर आई.डब्ल्यू.एम.पी. प्रशिक्षण

प्रशिक्षण आवश्यकता पृष्ठभूमि

मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अन्तर्गत महात्मागांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान म.प्र. जबलपुर में दिनांक 31.12.2013 से दिनांक 03.01.2014 तक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें कुल 6 जिलों के 27 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इसमें ग्राम प्रवेश एवं वातावरण निर्माण, गरीब कौन ,गरीबी के कारण गरीबी का प्रभाव, गरीबी का दुष्चक्र गरीबी दूर करने क उपाय, ग्राम प्रवेश की प्रक्रिया का सही क्रम, प्रेरक की भूमिका, समूह गठन हेतु सदस्यों चयन ,सामूहिक बचत का महत्व, पदाधिकारीयों का चयन कार्य एवं दायित्व, समूह के सामान्य नियम बैठक संबंधी नियम, बचत के नियम, ऋण संबंधी, लेनदेन संबंधी नियम, लेखा संधारण संबंधी नियम, पंचसूत्र पर चर्चा, बैठक में निर्णय प्रक्रिया, बैठक का ऐजेण्डा, नेतृत्व विकास, सूक्ष्म ऋण एवं वित प्रबंधक लेखा संधारण का महत्व आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया।

इस परियोजना का मुख्य उद्वदेश्य ग्राम के अन्तर्गत ऐसी सशक्त संस्थाओ का गठन करना है जो कि अपनी सहायता स्वंय कर सके एवं अपनी आजीविका गतिविधियो का क्रियान्वयन कर सशक्त एव स्थायी बन सके।

ग्राम में प्रवेश समन्वयक सहयोग दल अपनी टीम के सभी सदस्यो के साथ करे। इससे टीम की एक सामुहिक समझ गाॅव के बारे में बनती हेै। जो परियोजना कियान्ववयन के लिये अति महत्वपूर्ण हैं। रिबन गेम -गरीब व्यक्ति को बोलने

सुनने देखने एवं कहीं भी आने-जाने तथा रोजगार के अवसर न मिलने से उसकी स्थिति रिबन में जकडे व्यक्ति के जैसी हो जाती है। यदि गरीबी हटाना है तो हमें एक-एक कर के रिबन के कारण वाली स्थिति दूर करना होगी।

सामूहिक बचत का महत्व-छोटी-छोटी बचत भी समूह में करने से किसी सदस्य की जरूरत पूरी की जा सकती है। नेतृत्व की आवश्यकता- किसी अच्छे साथी के द्वारा मार्गदर्शन देने पर कार्य अच्छे से पूर्ण होता है। अतः समूह में भी नेतृत्व की आवश्यकता होती है।

पंचसूत्र -यह सभी सूत्र पंचसूत्र के रूप में समूह शक्ति एवं प्रगति का प्रतीक होता है। समूह को हमेशा इन पंचसूत्रो को ध्यान रखना और पालन करना जरूरी है।

इस प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षकों को पंचायतो के पूर्ण ज्ञान के साथ-साथ व्यक्तिगत कौषल उन्नयन पर भी जोर दिया गया जो सफल क्रियान्वयन में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभा सकेगे।

  अनुक्रमणिका  
ग्रामीण विकास में युवाओं की भूमिका
अपनी बात .....


‘‘पहल’’ का पन्द्रहवां संस्करण प्रकाशित करते समय हमें अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। देश की प्रगति में युवाओं का बड़ा योगदान होता है, भारत की जनसंख्या में युवाओं की संख्या अन्य देशों की अपेक्षा अधिक है। ‘पहल‘ के इस अंक में हमने पंचायत एवं ग्रामीण विकास के कई पहलूओं पर आलेख प्रस्तुत किये है, ‘‘ग्रामीण विकास में युवाओं की भूमिका’’, ‘‘केस स्टडी-टूटती बेडि़यां’’, ‘‘मनरेगा अंतर्गत इलेक्ट्राॅनिक फंड मैनेजमेन्ट सिस्टम’’, ’’सफलता की कहानी - प्रशिक्षण ने बदल दी तस्वीर’’ जैसे विषयों पर लेखों का समावेश किया है जिससे इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर आवश्यक जानकारी सांझा कर सकें।

सफलता की अनेक कहानियाॅं हमें लगातार प्राप्त होना इस बात का घोतक है कि सफल प्रयासों का अनुसरण ग्राम पंचायतें एवं ग्रामवासियों ने करना प्रारंभ कर दिया है। यह बहुत उत्साहवर्द्धक संकेत है एवं हमारा प्रयास है कि सफलता की इन कहानियों को आपके हर अंक में लगातार प्रकाशित कर सके। शुभकामनाओं सहित।



निलेश परीख
संचालक

किसी भी देश की प्रगति में उस देश के युवाओं का बहुत बडा हाथ होता है इस बात से कोई भी इंकार नही कर सकता है क्योंकि यही युवा उस देश का भविष्य होता है और आने वाले समय मे देश की तकदीर व तस्वीर कैसी हो इसकी जिम्मेदारी भी उसकी ही होती है। अब यदि हम हमारे देश की बात करें तो हम पाते है कि हमारे देश की कुल जनसंख्या का लगभग आधे से अधिक प्रतिशत जनसंख्या युवा है यहाॅं हम यह समझ ले कि युवा की परिभाषा अनेकोनेक हो सकती है किंतु हमारी सरकार द्वारा कराई गई जनगणना के आकंडों का सहारा यहाॅं पर लिया गया है। हमारी जनसंख्या के नवीनतम् आकंडो के अनुसार पूरी दुनिया मे सर्वाधिक युवा हमारे देश में है, इसका सीधा सा आशय यह है कि हमारे पास दुनिया के सर्वाधिक युवाओं की शक्ति है। इसका प्रयोग हम अपने देश के विकास में कर सकते है। जैसा कि हम जानते है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है और हमारे देश की 80 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों मे निवास करती है। यही पर हमारा ग्रामीण युवा भी अपनी पूरी ताकत के साथ देश के विकास में अपना योगदान दे रहा है किंतु यह देखने मे आ रहा है कि हम उनकी पूरी ताकत का इस्तेमाल सही तरीके से नही कर पाते है हमारा मानव संसाधन का प्रबंधन में अभी और सुधार की आवश्यकता लगती है, ग्रामीण क्षेत्रों की यदि हम बात करते है तो पाते है कि वहाॅं पर युवाओं के पास वर्ष भर कार्य की कमी होती है वे प्रत्यक्ष रूप से तो कार्य करते है किंतु परोक्ष रूप से वे बेजरोजगारी का शिकार रहते है। उनके पास साल मे सिर्फ कुछ माह ही कृषि कार्य रहता है किंतु बाकी समय वे बेरोजगार रहते है। ऐसी स्थिती मे वे या तो गलत रास्तें पर चले जाते है या फिर वे ऐसा कार्य करने लगते है जिसमे उन्हें कार्य तो मिल जाता है किंतु उनकी क्षमताओं का सही उपयोग नही होता है फलस्वरूप उनमे असंतोष की भावना पनपने लगती है और यही असंतोष बाद मे विभिन्न प्रकार से प्रकट होता है जिसमें अनेक प्रकार की समाज विरोधी गतिविधियों मे भी युवा शामिल हो जाता है परिणामस्वरूप उसकी उर्जा का दुरूपयोग करने वाली देश विरोधी ताकतों को बल मिलता है और वे उन्हें बहला-फुसलाकर गलत रास्ते पर ले जाते है जिसके उदाहरण हमे यदा कदा देखने को मिलते है। यद्वपि हमारी सरकार युवाओं के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाओं को ला रही है जो कि उन्हे न केवल अच्छी शिक्षा प्रदान करने मे सहयोग करती है बल्कि शिक्षा के हर स्तर पर जाकर उन्हें विभिन्न प्रकार से सहायता भी प्रदान करती है एवं शिक्षित युवाओं के रोजगार की गारंटी भी सरकार ले रही है, इन सभी प्रयासों से यह प्रतीत होता है कि सरकार भी युवा शाक्ति के सही उपयोग हेतु संवेदनशील है। यदि हम मध्यप्रदेश सरकार की बात करे तो हम पाते है कि बच्चे की पढाई से लेकर उसके रोजगार की व्यवस्था की चिंता करते हुए सरकार ने अनेक कल्याणकारी योजनाओं को प्रस्तुत किया है जो कि गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवार के लिए काफी कारगर सिद्व हो रही है। ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार गारंटी योजना पढे लिखें युवाओें के लिए कौशल आधारित योजानाएॅं जिसमें सरकार की ओर से ऋण दिए जाने का प्रावधान है और इसकी वापसी की गारंटी स्वयं सरकार ले रही है जो कि युवाओं के बीच अधिक लोकप्रिय है। यदि हम सरकार के प्रयासों को देखे तो यह पाते है कि सरकार भी युवाओं के प्रति अधिक संवेदनशील है, और यही संवेदनशीलता सभी विभागों को युवाओं के प्रति लानी होगी,तभी कही जाकर हम देश के युवाओं की शक्ति का सदुपयोग कर सकेगें एवं श्रेष्ठ भारत का निर्माण संभव हो सकेगा।





  अनुक्रमणिका  
नीलेश राय,
संकाय सदस्य, जबलपुर
केस स्टडी - टूटती बेंडि़याॅं

महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान जबलपुर की सहायता से यूएनडीपी सीडीएलजी द्वारा उमरिया फेस-2 महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका उद्देश्य सरपंच महिलाओं को अपने क्षेत्र में पूर्ण रूप से आत्मविश्वास के साथ कार्य करने एवं सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु उनके कार्यशैली एवं मनोबल बढ़ाना था। जिससे वह अपने दायित्वों का निर्वाहन वहाॅं की दिशा एवं दशा में परिवर्तन लाने हेतु सहायक सिद्ध हो सकें।

यह कार्यक्रम उतना सफल नहीं होता अगर इसे योजनाबद्ध तरीके से कार्यान्वित नहीं किया गया होता। मगर अच्छी योजना एवं सफल नियोजन के माध्यम से यह कार्यक्रम पूर्ण रूप से सफल रहा। इस कार्यक्रम में उमरिया जिले के 3 जनपद पंचायतों मानपुर, करकेली एवं पाली का चुनाव किया गया। जिनमें से श्रीमति सीमा सिंह जो कि करकेली जनपद के दुब्बार ग्राम पंचायत से सरपंच हैं और वह भी अन्य सरपंच महिलाओं की तरह कार्य कर रहीं थीं, परन्तु इस बार कुछ अलग होने वाला था जिससे वहाॅं की ग्राम पंचायत के वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन आ सके।

श्रीमति सीमा सिंह एक साधारण महिला सरपंच हैं, जिनके सभी दायित्वों एवं कार्यों का निर्वाहन अप्रत्यक्ष रूप से उनके पति के द्वारा किया जाता था एवं उनको अपनी सरपंच के रूप में भागीदारी की जानकारी नहीं थी। एक महिला सरंपच को घर से बाहर जाकर किसी भी प्रकार के कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाती थी एवं सभी कार्य उनके पति के द्वारा ही किये जाते थे और उनके क्षेत्र में किये जा रहे विकास के कार्यों की जानकारी तक उनको नहीं होती थी। उनका कार्य केवल हस्ताक्षर करने तक ही सीमित था। परंतु जनता की उनसे बहुत कुछ अपेक्षाऐं थीं।

एक दिन उनको महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान जबलपुर से पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें उल्लेख था कि उन्हें तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने हेतु अपने एक सहयोगी के साथ जबलपुर और उसके पश्चात् जलगांव (महाराष्ट्र) शैक्षणिक भ्रमण हेतु जाना है। इस आवासीय प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों के सहयोगियों को उनके साथ प्रशिक्षण लेने की अनुमति नहीं थी एवं पृथक रूप से उन्होंने तीन दिन का प्रशिक्षण लिया। जिसमें उन्हें ग्रामीण विकास से संबंधित सभी आवश्यक योजनाओं एवं जानकारियों से अवगत कराया गया एवं उन्हें उनके दायित्वों एवं कार्यों को विस्तृत रूप से बताया गया। इसमें सहभागी चर्चा, खेल एवं रोल प्ले विधाओं का मुख्य रूप से उपयोग किया गया। इस दौरान सभी प्रतिभागियों की सभी गतिविधियों का प्रशिक्षकों द्वारा अवलोकन किया गया।

प्रशिक्षण के प्रथम दिवस महिला प्रशिक्षकों द्वारा ब्रेन स्टाॅर्मिंग विधा द्वारा उन्हें बोलने एवं आपस में चर्चा करने में सक्षम करने हेतु प्रयास किये गये। एवं वातावरण का निर्माण किया गया जिससे की वे समान रूप से आपस में चर्चा करने हेतु तैयार हो सकंे। तीन दिवसीय के अंतिम सत्र में यह देखने को मिला कि प्रतिभागियो में आपसी समझ एवं एक दूसरे से बात करना एवं अपनी समस्याओं को बताने में सक्षम होने लगी। इसके दौरान महिला सरपंच श्रीमति सीमा सिंह द्वारा अपनी ग्राम पंचायत से संबंधित योजनाओं के बारे समस्त प्रतिभागियों के सामने विस्तृत रूप से व्याख्यान दिया। जो उनके लिए एक अलग ही अनुभव था।

तीन दिवसीय प्रशिक्षण के उपरांत समस्त प्रतिभागियों का जलगांव (महाराष्ट्र) भ्रमण कराया गया। जिसमें उत्कृष्ट पंचायतों की कार्यालीन कार्य एवं योजनाऐं जैसे जल प्रबंधन एवं प्राकृतिक संसाधनों का योजना एवं प्रबंधन से संबंधित कार्यों का भ्रमण कराया गया। जिसमें महिला सरपंचों के द्वारा विभिन्न पूछे गये प्रश्नों का उत्तर भी वहीं दिया गया। उसके पश्चात् सभी महिलाऐं अपने-अपने पंचायतों पर लौट गईं। और अब महिलाओं में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई पड़ने लगे थे। ये वही महिलाऐं थीं जो कभी ग्राम सभा की बैठकों में प्रतिनिधित्व नहीं पाती थंी, शक्तिहीन थीं और जिनमें आत्मविश्वास की कमी थी। उनमें बड़ें बदलाव आने लगे थे। इसी के साथ-साथ अब श्रीमति सीमा सिंह ने जल प्रबंधन, मर्यादा अभियान एवं सभी योजनाओं पर कार्य करना शुरू कर दिया था एवं अब वे अपने पति की सहायता नहीं लेती थी एवं समय पड़ने पर अगर कोई कठिनाई पड़ती थी तो अन्य लोगों से उनके अनुभव के आधार पर एवं योजनाओं के नियमानुसार अपने निर्णय स्वयं लेती थी। अब उन्होंने योजनओं का क्रियान्यावन ग्राम सभाओं का आयोजन एवं मार्यादा अभियान के संबंध में सभी ग्राम वासियो के लिए जागरूकता अभियान चलाया। एवं तब से वे सुचारू बेवाक रूप से कार्य कर रही हैं।

इस कार्यक्रम के कुछ समय पश्चात् 123 महिला सरपंचों में से 10 महिला सरपंचों को दिल्ली जाने हेतु चुना गया। जिसमें उन्हें पंचायतीराज मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इस कार्यक्रम के अनुभवों को बांटने हेतु एवं उनमें हुए, सकारात्मक परिवर्तनों के बारे में चर्चा करने हेतु एक दिवसीय कार्यशाला के आयोजन हेतु चुना गया। इस कार्यशाला में किसी भी महिला सरपंच को अपने साथी को ले जाने की अनुमति नहीं थी। एवं श्रीमति सीमा सिंह एवं सभी महिला सरपंचों द्वारा बड़े ही आत्मविश्वास अपने अनुभवों को बाॅंटा गया।

वो समय था जब सीमा सिंह की आॅंखों में आॅंसू थे और आज वो अपने आप को बड़ा ही कृतज्ञ महसूस कर रही थी। और आज सभी महिला सरपंचों नें ठान लिया था कि अब अपने ग्राम के हर कार्य को सही रूप में परणित करने हेतु हर संभव प्रयास करेंगे एवं अपने निर्णय स्वयं लेंगे। इसके पश्चात सभी सरपंच महिलाऐं सुचारू रूप से अपने-अपने ग्राम पंचायतों में कार्य कर रही हैं एवं अन्य के लिए उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं।




  अनुक्रमणिका  
सुरेन्द्र प्रजापति,
संकाय सदस्य, जबलपुर
मनरेगा द्वारा इलेक्ट्रानिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम (ई.एफ.एम.एस.)

इलेक्ट्रानिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम (ई.एफ.एम.एस.)
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम-मध्यप्रदेश (मनरेगा) में ईएफएमएस का मतलब ‘‘इलेक्ट्रानिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम’’ से है। इस योजना में मजदूरों को तथा कार्यो पर सामग्री व्यय करने के लिए ग्राम पंचायतों को अन्य क्रियान्वयन एजेंसियों को समय-समय पर राशि की जरूरत होती है। योजना में समय पर मजदूरी भुगतान करना एवं सभी क्रियान्वयन एजेंसियों के पास भुगतान हेतु पर्याप्त राशि होना जरूरी होता है। इसके साथ ही योजनांतर्गत अनुपयोगी राशि (फण्ड पार्किगं) के कारण जिले तथा राज्य को राशि मिलने में होने वाली असुविधा से बचने के लिये जिला एवं राज्य स्तर पर पर्याप्त राशि की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए इलेक्ट्रानिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम की जरूरत है।

खातों का संचालन
ई-एफएमएस योजना में जिला स्तर पर योजना का एक ही खाता होगा, जिसे ई-एफ.एम.एस. खाता माना जायेगा। एनआरईजीए साफ्टवेयर के माध्यम से मस्टररोल पर दर्ज मूल्याकंन के आधार पर मजदूरों की भुगतान सूची को तथा सामग्री भुगतान की स्थिति में विक्रेताओं, सर्विस प्रोवाईडर को उनके बैंक खातों में डिजिटल सिगनेचर के माध्यम से भुगतान आर्डर तैयार कर जिले के ई-एफ.एम.एस. खाते के माध्यम से राशि हस्तांतरित की जायेगी। अब क्रियान्वयन एजेंसियों के पृथक खाते की आवश्यकता नहीं होगी।

वित्तीय प्रबंधन
इस योजना से क्रियान्वयन एजेंसियों तथा ग्राम पंचायतों को पृथक से खाते रखने की आवश्यकता नहीं होगी। अतः एजेंसी के पास अनुपयोगी राशि होने की स्थिति अथवा एजेंसियों के पास राशि की कमी की स्थिति से छुटकारा मिल सकेगा तथा जिला स्तर पर जिले की आवश्यकतानुसार पर्याप्त राशि राज्य द्वारा सीधे टाॅपअप की जा सकेगी। इसे अतिरिक्त राशि प्राप्त करने हेतु होने वाली असुविधा तथा बैंक क्लियरेंस में लगने वाले समय को समाप्त किया जा सकेगा। एनआरईजीएस सॅाफ्टवेयर में भुगतान से पूर्व मस्टररोल फीड करना अनिवार्य होगा। इस हेतु पृथक से कोई एम.आई.एस. सिस्टम नहीं होगा।

मजदूरों के खाते
मस्टररोल के आधार पर एनआरईजीए साॅफ्टवेयर द्वारा मजदूरों की भुगतान सूची तैयार की जायेगी। उक्त सूची में मजदूरों के बैंेक अथवा पोस्ट आॅफिस खाते की जानकारी सत्यापित एवं सही होना अत्यन्त आवश्यक है। अतः खातों का सत्यापन उपरान्त फ्रीज करने यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि उक्त खाते सही हैं एवं इसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकेगा।

यदि एक बार मजदूरों के बैंक खाते सत्यापित करने के उपरांत फ्रीज कर दिये जाये तो उसमें बदलाव संभव नहीं है। यदि बैंक अथवा पोस्ट आॅफिस में यदि कोई त्रुटि है तो मजदूरी का प्रथम इलेक्ट्रानिक भुगतान होने से पूर्व तक जनपद तथा जिले द्वारा अनुरोध भेजने पर राज्य स्तर पर उक्त खाते को अनफ्रीज कर दिया जायेगा। फ्रीज खाते में त्रुटि सुधार केवल प्रथम इलेक्ट्रानिक भुगतान आदेश जारी होने से पूर्व तक राज्य स्तर से सुधार किया जा सकता है। यदि प्रथम इलेक्ट्रानिक आदेश उक्त मजदूर के नाम से जारी हो चुका है तो मजदूर के फ्रीज किये गये खाते में बदलाव राज्य स्तर से नहीं हो सकता है।

मजदूरों का खाता अन्य बैंक में खुलने पर पूर्व खाते को हटाये जाने के संबंध में ध्यान रखना होगा कि, यदि प्रथम इलेक्ट्रानिक आदेश जारी हो गया है एवं खाता क्रियाशील है तो ऐसी स्थिति में बीच में खाते में बदलाव नहीं हो सकेगा। खाते

फ्रीज होने पश्चात् जाॅबकार्डधारी परिवारों के सदस्यों/ मजदूरों के नवीन खाते जोड़ने की प्रक्रिया के संबंध में उल्लेखनीय है कि, यदि परिवार के सदस्यों का नवीन खाता खोला जाता है तो उसे एनआईजीए साॅफ्टवेयर के माध्यम से विहित प्रक्रिया से जोड़ा जा सकेगा।

मजदूरों के बैंक खाते का सत्यापन
मजदूरों के बैंक अथवा पोस्ट आॅफिस खाते सत्यापित करना प्रथम स्तर पर ग्राम पंचायत के सचिव की जिम्मेदारी होगी तथा द्वितीय स्तर पर संबंधित बैंक की तथा तृतीय स्तर पर जनपद पंचायत की जिम्मेदारी होगी। मजदूरों के बैंक अथवा पोस्ट आॅफिस खाते की जानकारी सत्यापित करने के लिये सर्वप्रथम एनआरईजीए पोर्टल से मजदूरों की खातों की जानकारी डाउनलोड करनी होगी, जिसका प्रिंटआउट प्राप्त कर ग्राम पंचायतों को सौंपा जायेगा। ग्राम पंचायतों द्वारा रिकार्ड मिलान कर बैंकों से सत्यापित कराके जनपद पंचायतों को सौंपेंगे। जनपद पंचायतों द्वारा सत्यापन कर मजदूरों के खाते एनआरईजीए डाटाबेस में आॅनलाईन पोर्टल के माध्यम से अद्यतन करने उपरांत मजदूरों के खातों को फ्रीज किया जायेगा।

मजदूरों के खातों की जानकारी को प्रत्येक मस्टररोल अथवा भुगतान सूची पर दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होगी। एनआरईजीए डाटाबेस में मजदूरों के खाते सत्यापित करने के उपरांत उन्हें फ्रीज किया जायेगा। मजदूरों के खातों की जानकारी भुगतान सूची में साॅफ्टवेयर के द्वारा डाटाबेस से प्राप्त किये जायेंगे।

ई-एफ.एम.एस. हेतु प्रक्रियाओं में बदलाव
सर्वप्रथम मस्टररोल की फीडि़गं का चरणबद्ध तरीके से भुगतान से पूर्व फीड करना अनिवार्य होगा। मस्टर रोल एम.आई.एस. में जारी करने से लेकर मूल्याकंन तक की जानकारी चरणबद्ध तरीके से करने से डाटा एन्ट्री के कारण मस्टररोल भुगतान में विलंब नहीं होगा। इस प्रकार से देखा जाए तो इलेक्ट्रानिक मस्टररोल का उपयोग इस योजना में उपयुक्त विकल्प है। मस्टररोल के आधार पर इलेक्ट्रानिक वेज लिस्ट एनआईजीए पोर्टल से आॅनलाईन तैयार करना होगी तथा वेज लिस्ट के आधार पर फण्ड ट्रांसफर आॅर्डर (एफटीओ) एनआरईजीए साॅफ्टवेयर के माध्यम से तैयार होगा। सक्षम प्राधिकारी द्वारा डिजीटल सिगनेचर के माध्यम से उक्त एफटीओ को जिले के ई-एफ.एम.एस. अकाउंट में प्रेषित किया जायेगा।

पंरपरागत मस्टररोल एवं इलेक्ट्रानिक मस्टररोल
परंपरागत मस्टररोल को कार्य के विरूद्ध बिना मजदूरों के सूची जारी किया जाता है एवं इसमें जारी करते समय मस्टररोल उपयोग होने की संभावित तिथि का उल्लेख नहीं होता है। अतः यह स्पष्ट नहीं होता है कि कार्यक्रम अधिकारी द्वारा जारी मस्टररोल का उपयोग क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा कब किया जायेगा एवं इस पर कितने मजदूर कार्य कर रहे हैं। अतः अग्रिम रूप से एम.आई.एस. के माध्यम से मस्टररोल उपयोग की जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती।

इलेक्ट्रानिक मस्टररोल से आशय एनआरईजीए साॅफ्टवेयर के माध्यम से तैयार मस्टररोल से है जिसमें मजदूरों की मांग एवं कार्य का नाम का उल्लेख होगा। इलेक्ट्रानिक मस्टररोल में मजदूरों की रोजगार की मांग एवं मजदरों के कार्य आवंटन तथा कार्य जिसके विरूद्ध जारी किया जाना है एवं कार्य आवंटन की प्रारंभ दिनांक अंकित होगी। एनआरईजीए साॅफ्टवेयर से इलेक्ट्रानिक मस्टररोल जारी करने के लिये समस्त जानकारी को अग्रिम एन्ट्री एम.आई.एस. में दर्ज करना अनिवार्य है। इस प्रकार से सिस्टम के माध्यम से यह अग्रिम रूप से स्पष्ट हो जायेगा कि कार्यक्रम अधिकारी द्वारा जारी मस्टररोल का उपयोग क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा कब किया जायेगा एवं कार्य पर मजदूरी करने वाले मजदूर कौन होंगे।

इलेक्ट्रानिक मस्टररोल
इलेक्ट्रानिक मस्टररोल की आवश्यकता इसलिये है कि, क्यों कि भुगतान की पद्धति इलेक्ट्रानिक पद्धति से की जाना है अतः यह आवश्यक है कि मस्टररोल पर दर्ज मजदूरों की मांग एवं कार्य आवंटन की जानकारी मस्टररोल पर दर्ज मजदूरों की मांग एवं कार्य आवंटन की जानकारी मस्टररोल पर मूल्याकंन से पूर्व दर्ज हो जाए, अन्यथा मस्टररोल पर मूल्याकंन के बाद मस्टररोल एन्ट्री करने में विलंब होगा तथा मस्टररोल ट्रेकिगं करना मुश्किल होगा कि मूल्याकंन कब होना है एवं भुगतान कब होना है।

योजना की मूल मंशा के आधार पर समय सीमा में मजदूर का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रानिक मस्टररोल का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। इस सिस्टम से मूल्याकंन हेतु अग्रिम जानकारी प्राप्त हो सकेगी तथा समय पर मूल्याकंन हेतु जिला एवं जनपद स्तर से माॅनीटरिंग की जा सकेगी। मस्टररोल जारी करने से पहले एम.आई.एस. में कार्य की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति दर्ज करना अनिवार्य होगा। इलेक्ट्रानिक मस्टररोल पर केवल उन्हीं मजदूरों के नाम दर्ज हो सकेंगे, जिनके परिवार के 100 दिवस का रोजगार पूर्ण नहीं हुआ है।

इलेक्ट्रानिक मस्टररोल प्राप्ति की प्रक्रिया
ग्राम पंचायत द्वारा कार्य पर मांग करने वाले मजदूरों एवं उनका कार्य आवंटन की जानकारी को एन्ट्री आफलाईन अथवा आन लाईन मोड में करनी होगी। इसी प्रकार लाईन विभागों द्वारा क्रियान्वित कार्यो पर लगने वाले मजदूरों की मांग एवं कार्य आवंटन एम.आई.एस. में दर्ज करने की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत/ लाईन विभाग की होगी।

कार्यक्रम अधिकारी द्वारा जनपद पंचायत स्तर से कार्य आवंटन एवं कार्य प्रारंभ होने की तिथि के अनुसार संबंधित कार्य का मस्टररोल जारी कर सकेगा। यह मस्टररोल एम.आई.एस. सिस्टम के माध्यम से ही जारी किया जा सकेगा। जनपद पंचायत द्वारा आफलाईन डाटा एन्ट्री करने की स्थिति में रोजगार की मांग, कार्य आवंटन तथा जारी मस्टररोल की जानकारी अधिकतम दो दिवस में आॅनलाईन करने हेतु अपलोड करना अनिवार्य होगा।

ग्राम पंचायतों द्वारा प्रिंटेड मस्टररोल जनपद पंचायत से प्राप्त किया जा सकता है या आफलाईन एन्ट्री का डाटा दो दिवस में आनलाईन होने पर अथवा सीधे आनलाईन एन्ट्री होने पर तत्काल सीधे संबंधित क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा अपने लागिन से जाकर मस्टररोल प्रिंट किया जा सकता है। इस हेतु जनपद पंचायत पर मस्टररोल प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी।

मूल्याकंन की जानकारी को एम.आई.एस. में दर्ज करने की प्रक्रिया
मस्टररोल की निर्धारित अवधि की पूर्व सूचना संबंधित उपयंत्री को जनपद पंचायत द्वारा दी जायेगी। उपयंत्री द्वारा मस्टररोल क्लोज होने के दो दिवस के अंदर कार्य स्थल से मूल्याकंन को जानकारी प्राप्त कर स्वयं एम.आई.एस. में दर्ज करायेंगे अथवा स्वयं दर्ज करेंगे। बिना इलेक्ट्रानिक मस्टररोल के भी इलेक्ट्रानिक फण्ड ट्रांसफर आर्डर जारी किया जा सकता है। इलेक्ट्रानिक फण्ड ट्रासंफर आर्डर एनआरईजीए साॅफ्टवेयर के माध्यम से जनरेट करने के लिए मस्टररोल एन्ट्री भुगतान से पूर्व दर्ज करना अनिवार्य है।

इलेक्ट्रानिक वेज लिस्ट
मूल्याकिंत मस्टररोल की एन्ट्री एम.आई.एस. में दर्ज होने के बाद मस्टररोल मूल्याकंन के आधार पर मजदूरों को भुगतान योग्य राशि तथा मजदूरों के खातों की जानकारी सहित तैयार भुगतान सूची (वेज लिस्ट) एनआरईजीए साॅफ्टवेयर के माध्यम से तैयार होती है। वेज लिस्ट मजदूरों के खाते में जिन संस्थानों में उपलब्ध है, उसके अनुसार एनआरईजीए साॅफ्टवेयर के माध्यम से पूर्ण की जाती है। इसका उपयोग मजदूरों की मजदूरी भुगतान हेतु बैंक अथवा पोस्ट आॅफिस में साॅफ्ट कापी को प्रेषित किया जा सकता है। इलेक्ट्रानिक मस्टररोल एवं इलेक्ट्रानिक वेज लिस्ट एनआरईजीए साॅफ्टवेयर में आॅनलाईन मोड एवं आफलाईन मोड में उपलब्ध है। आॅफ लाईन एन्ट्री के माध्यम से इलेक्ट्रानिक फण्ड ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। इलेक्ट्रानिक फण्ड ट्रांसफर करने के लिये वेज लिस्ट आॅन लाईन तैयार कर एफटीओ मय डिजिटल सिगनेचर के साथ ई-एफएमएस खाते में प्रेषित किया जाना अनिवार्य है।

डिजिटल सिगनेचर
डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेशन अथारिटी द्वारा जारी किये गये सिगनेचर होते हैं, जिसमें प्रायवेट एवं पब्लिक को इंफ्रास्ट्रक्चर की जानकारी होती है। उक्त डिजिटल सिगनेचर व्यक्तिगत अथवा संस्थागत रूप से जारी किये जाते हैं, जिसका उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिये किया जाता है कि सेंडर द्वारा भेजी गई जानकारी किसके द्वारा भेजी जा रही है एवं उसको नेटवर्किगं अथवा सायबर हेकर्स के द्वारा मूल दस्तावेज अथवा फाईल में किसी प्रकार की टेंपरिंग अथवा छेड़छाड़ नहीं की गई है। डिजिटल सिगनेचर्स भेजी जाने वाली जानकारी की सुरक्षा एवं प्रायवेसी सुनिश्चित करने के लिये उपयोग किये जाते हैं। समस्त जनपद पंचायत के सीईओ तथा सहायक लेखाधिकारी एवं लाईन विभाग के डीडीओ के डिजिटल सिगनेचर्स तैयार किये जायेगें।

एक सवाल यहां यह उभरता है कि, क्या जनपद सीईओ के डिजिटल सिगनेचर्स हेतु दोबारा आवेदन करने की आवश्यकता है ? इसका जबाव यह है कि, जी नहीं। लोक सेवा प्रबंधन विभाग द्वारा जनपद पंचायत सीईओ के डिजिटल सिगनेचर क्याल-2 तैयार करने की कार्यवाही यदि पूर्व में की जा चुकी है तो उक्त सिगनेचर का उपयोग ई-एफएमएस हेतु किया जा सकेगा। अतः उन्हें दोबारा आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।

लाईन विभाग के अधिकारियों को ई-टेंडर हेतु उपलब्ध डिजिटल सिगरेचर्स का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। क्यों कि, अधिकांश अधिकारियों के ई-टेंडर हेतु डिजिटल सिगनेचर क्लास-1 तैयार हुये, जो वित्तीय ट्रांजेक्शन हेतु उपयुक्त नहीं हैं। अतः क्लास-2 विथ इंक्रिप्शन डिजिटल सिगनेचर प्राप्त करना ई-एफएमएस हेतु अनिवार्य है।

डिजिटल सिगनेचर की अवधि 02 वर्ष के लिये होगी। डिजिटल सर्टिफिकेशन्स अथाॅरिटी आॅफ इंडिया द्वारा देश में 08 एजेंसियों को डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेशन एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है। उक्त एजेंसियों के नाम इस प्रकार है:- टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस, एनआईसी, एमटीएनएल, ई-मुद्रा, सिफी, एनकोड, नेशनल फर्टिलाइजर आर्गनाईजेशन। डिजिटल सिगनेचर प्राप्त करने के लिये अधिकृत एजेंसियों को डिजिटल सिगनेचर में व्यक्गित दस्तावेज एवं शुल्क सहित आवेदन करना होता है। उक्त आवेदन का प्रारूप आॅन लाईन उपलब्ध है।

डिजिटल सिगनेचर्स के उपयोग के संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि, डिजिटल सिगनेचर्स को सर्वप्रथम कम्प्यूटर्स पर स्थापित करना होगा तथा सक्षम प्राधिकारी के डिजिटल सिगनेचर्स का इंरोलमेंट नरेगा साॅफ्ट में किया जायेगा। उसके उपरान्त उक्त डिजिटल सिगनेचर्स का उपयोग ई-एफएमएस योजना में किया जा सकेगा।

ई-एफएमएस योजना में मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया
मजदूरी भुगतान हेत सर्वप्रथम एनआरईजीए साॅफ्टवेयर में दर्ज मस्टररोल के आधार पर वेज लिस्ट तैयार की जायेगी। उक्त वेज लिस्ट वेरीफाई करने के उपरांत जनपद पंचायतों अथवा लाईन विभागों के सक्षम प्राधिकारी द्वारा उनके डिजिटल सिगनेचर के साथ एनआरईजीए साॅफ्टवेयर के माध्यम से जिले के ई-एफएमएस खाते के माध्यम से भुगतान हेतु प्रेषित की जायेगी, जहां से इलेक्ट्रानिक माध्यम से राशि सीधे संबंधित मजदूर के खाते में हस्तांतरित होगी।

इलेक्ट्रानिक मस्टररोल पर दर्ज मस्टररोल अनुसार यदि मजदूर उपस्थित नहीं होते है तो उनको अनुपस्थित किया जा सकेेगा। यदि मजदूर को कार्य आवंटन एवं कार्य प्रारंभ होने की तिथि की सूचना पूर्व में दी गई है एवं उसका नाम मस्टररोल पर होने के उपरांत वह कार्य पर उपस्थित नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में अनुपस्थित दर्ज किया जाये।

यदि कार्य बीच में बंद हो जाये एवं मजदूरों को किसी अन्य कार्य पर रोजगार देना हो, तो ऐसी स्थिति में ई-मस्टर पर दर्ज मजदूर दूसरे मस्टर पर समान अवधि में कार्य कर सकते हैं इस संबंध में उल्लेखनीय है कि, यदि ई-मस्टर में दर्ज मजदूरों को कार्य स्थगित होने की स्थिति में अन्य किसी कार्य पर आवंटन किया जाना हो तो ऐसी स्थिति में सर्वप्रथम उक्त कार्य को एम.आई.एस. में सस्पेंडेंट किया जाना अनिवार्य होगा। उसके उपरांत उक्त मजदूरों को अन्य कार्य पर कार्य आवंटन कर उक्त कार्य का इलेक्ट्रानिक मस्टररोल जारी किया जा सकेगा।

संबंधित जनपद पंचायत के अधिकारियों की लंबी अवधि के अवकाश पर जाने, निलंबन होने अथवा वित्तीय अधिकार छीनने आदि की स्थिति में उक्त अवधि में शासन द्वारा घोषित लिंक अधिकारी (नजदीक की जनपद पंचायत के संबंधित अधिकारी) को उक्त कार्य सौंपा जावेगा। जिन्हें यह कार्य सौंपा गया है वे अपने डिजिटल सिगनेचर्स के साथ एफटीओ बैंक को प्रेषित करेगें।

डिजिटल सिगनेचर्स गुम हो जाने अथवा निलबंन आदि की स्थिति में डिजिटल सिगनेचर रिबोक करने हेतु जिले के माध्यम से मुख्यालय को अवगत कराया जायेगा तथा नवीन डिजिटल सिगनेचर्स को इंरोलमेंट करने की कार्यवाही की जायेगी। डिजिटल सिगनेचर्स का पिन नं. संबंधित अधिकारी के व्यक्गित ई-मेल आईडी पर प्राप्त होगा। यह ध्यान में रखने वाली बात है कि, संबंधित अधिकारी डिजिटल सिगनेचर आवेदन पर अपना व्यक्गित ई-मेल आईडी का उल्लेख करें।

को-आॅपरेटिव बैंक में मजदूरों के खाते होने पर इलेक्ट्रानिक फण्ड ट्रांसफर की प्रक्रिया
मजदूरी भुगतान हेतु सर्वप्रथम एनआरईजीए साॅफ्टवेयर में दर्ज मस्टररोल के आधार पर वेज लिस्ट तैयार की जायेगी। उक्त वेज लिस्ट वेरीफाई करने के उपरांत जनपद पंचायतों अथवा लाईन विभागों के सक्षम प्राधिकारी द्वारा उनके डिजिटल सिगनेचर के साथ एनआरईजीए साॅफ्टवेयर के माध्यम से जिले के ई-एफएमएस खाते के माध्यम से भुगतान हेतु प्रेषित की जायेगी। ई-एफएमएस खाते से उक्त राशि सहकारी (को-आॅपरेटिव बैंक) के कमर्शियल बैंक अथवा राष्ट्रीयकृत बैंक स्थित खाते में हस्तांतरित होगी। को-आॅपरेटिव बैंक द्वारा उक्त राशि को संबंधित मजदूरों के खाते में हस्तांतरित करने की कार्यवाही की जायेगी।

पोस्ट आॅफिस के खातेधारी मजदूरों को मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया
मजदूरी भुगतान हेतु सर्वप्रथम एनआरईजीए साॅफ्टवेयर में दर्ज मस्टररोल के आधार पर वेज लिस्ट तैयार की जायेगी। उक्त वेज लिस्ट वेरीफाई करने के उपरांत जनपद पंचायतों अथवा लाईन विभागों के सक्षम प्राधिकारी द्वारा उनके डिजिटल सिगनेचर के साथ एनआरईजीए साॅफ्टवेयर के माध्यम से जिले के ई-एफएमएस खाते के माध्यम से भुगतान हेतु प्रेषित की जायेगी। ई-एफएमएस खाते से उक्त राशि हेड पोस्ट आॅफिस के कमर्शियल बैंक अथवा राष्ट्रीयकृत बैंक स्थित खाते में हस्तांतरित होगी। पोस्ट आॅफिस द्वारा संचय साॅफ्टवेयर का उपयोग कर उक्त राशि को संबंधित मजदूरों के खाते में हस्तांतरित करने की कार्यवाही की जायेगी।

ग्राम पंचायत एवं अन्य क्रियान्वयन एजेंसी
अब ग्राम पंचायतों एवं लाईन विभागों (अन्य क्रियान्वयन एजेंसियों) के बैंक खाते नहीं होंगे। समस्त एजेंसियों द्वारा मजदूरी, सामग्री तथा प्रशासनिक भुगतान जिला स्तरीय ई-एफएमएस खाते के माध्यम से होगा। ई-एफएमएस के बाद ग्राम पंचायतों को टाॅपअप करने की आवश्यकता नहीं होगी। अब ग्राम पंचायत तथा लाईन विभागों को जिला अथवा जनपद पंचायत के पास राशि की मांग प्राप्त करने हेतु आवेदन नहीं करना होगा।

ई-एफएमएस के बाद ग्राम पंचायतों की व्यय की सीमा के निर्धारण के संबंध में उल्लेखनीय है कि, ग्राम पंचायतों को टाॅपअप सीमा का इस योजना के क्रियान्वयन होने के बाद कोई औचित्य नहीं होगा। इस हेतु कोई बजट आवंटन अथवा बजट सीमा की आवश्यकता नहीं होगी। ग्राम पंचायत द्वारा लेबर प्रोजेक्शन तथा वर्क प्रोजेक्शन के आधार पर व्यय कर सकते हैं। अतः ग्राम पंचायत एनआरईजीए प्रावधानों के अनुसार रोजगार की मांग के अनुरूप ग्राम पंचायतों द्वारा क्रियान्वित कार्यो पर होने वाले व्यय की सीमा को ग्राम पंचायत की सीमा व बजट होगा। लाईन विभाग की व्यय सीमा के संबंध में उल्लेखनीय है कि, लाईन विभाग द्वारा योजनान्तर्गत मापदण्डों का पालन करते हुये क्रियान्वित कार्यो के अनुरूप लाईन विभाग के कार्यो पर होने वाले व्यय ही उनकी व्यय सीमा होगी।





  अनुक्रमणिका  
संजय राजपूत
संकाय सदस्य, जबलपुर
सफलता की कहानी - प्रशिक्षण ने बदल दी मेरी तकदीर

केदार सिंह लोधी पुत्र श्री मोतीलाल केदार सिंह लोधी पुत्र श्री मोतीलाल लोधी ग्राम सलैया तहसील करैरा के निवासी है। परिवार में केदार के अलावा माता-पिता, पत्नी, बच्चे और बहन थे। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। परिवार में इतने सदस्य होने के बावजूद आय का कोई भी स्त्रोत न था। तभी एक दिन केदार सिंह को न्यूज पेपर के माध्यम से पता चला कि ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान शिवपुरी द्वारा लाइट मोटर व्हीकल ड्रायविंग का 15 दिवसीय निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। केदार ने निश्चय किया कि वह इस सुनहरे अवसर को अपने हाथ से नही जाने देगा। उसने तुरन्त शिवपुरी आकर अपना रजिस्ट्रेशन करवाया तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया केदार के साथ विभिन्न ग्रामीण प्रशिक्षुओं ने भी अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रशिक्षण श्री अतुल श्रीवास्तव जी ने दिया, प्रारंभ में केदार कुछ दिन असहज रहा । परंतु जैसे प्रशिक्षण सत्र संचालक व फेकल्टी प्रेरणादायक बातें की व उन्हें इस प्रशिक्षण का महत्व बताया तो अन्य प्रशिक्षुओं के साथ-साथ केदार का मनोबल ऊँचा हुआ।

अगले दिन ट्रेनर श्री अतुल श्रीवास्तव और बाबूलाल जाटव से अल्टो 800 और बोलेरो गाड़ी का प्रशिक्षण प्राप्त करते है । प्रशिक्षण कार्यक्रम में धीरे-धीरे सभी प्रशिक्षु वाहनों को चलाना सीखते हैं । तथा सभी प्रशिक्षुओं का मनोबल बढ़ता जाता हैं । और उन्हें लगता है कि अब वे यहां से जाकर कुछ कर सकते हैं ।

प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात् केदार अपने गांव पहुचकर सबसे पहले गांव के सभी बड़े लोगो से बात करते हैं । कि किस प्रकार उन्होंने शिवपुरी में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया । तथा अब वे सकुशल ड्राइविंग कर लेते हैं ।

यह सुनकर गांव के ही दर्शन सिंह ने उन्हें अपनी टाटा मैजिक एम.पी.-33-टी-792 की ड्राइवरी करने के लिए अवसर प्रदान करते हैं । जिसे वह सहर्स स्वीकार कर लेते हैं । तथा ड्राइवरी करने के लिए केदार को 5500/-प्रति महीना मिलता हैं ।

4 महीने बाद केदार ने स्वयं की टाटा मैजिक यू.पी.-93-टी-6817 खरीद ली है । जिससे उन्हें स्वयं 10000 से 12000 प्रति महीना आय प्राप्त हो रही है। इस प्रकार केदार सिंह का जीवन ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के सम्पर्क में आने से सुखमय हो गया।

  अनुक्रमणिका  
स्ट्रेटजीस फाॅर अपस्केलिंग प्रोडक्शन सिस्टम टेक्नोलाॅजीस अंडर आई.डब्ल्यू.एम.पी. प्रशिक्षण

एन.आई.आर.डी. नेटवर्किंग प्रशिक्षण की श्रृंखला में संस्थान में दिनांक 24 से 28 फरवरी 2014 की अवधि में ‘‘स्ट्रेटजीस फाॅर अपस्केलिंग प्रोडक्शन सिस्टम टेक्नोलाॅजीस अंडर आई.डब्ल्यू.एम.पी. प्रशिक्षण‘‘ आयोजित किया गया।

इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण में जबलपुर, सतना, रीवा, कटनी, सिंगरौली, दमोह व मण्डला जिले के कुल 29 अधिकारी को प्रशिक्षण दिया गया।

राज्य शासन द्वारा महसूस किया गया कि राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन मिशन के अधिकारियों को कार्यक्रम की अवधारणा व क्रियान्वयन के साथ ही, इस विषय पर प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है, ताकि निर्मित भूमि व जल संग्रहण संरचनाओं में संग्रहित जल का उपयोग, कृषि उत्पादन तकनीकों का उपयोग कर बढ़ाया जा सके व कृषकों की आय बढ़ सके।

इस कार्यक्रम की खास बात यह थी कि प्रतिभागियों का संस्थान का कृषि विशेषज्ञों द्वारा कक्षागत प्रशिक्षण के साथ ही, जवाहर लाल कृषि विश्वविद्यालय,कृषि क्षेत्र का भ्रमण कर कृषि तकनीकों का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया, प्रतिभागियों को कृषि उपकरणों की जानकारी भी क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान दी गई।

इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान केन्द्र, लखनवाड़ा, जबलपुर का भ्रमण भी करवाया गया, जहां विभिन्न कृषि तकनीकों की जानकारी प्रतिभागियों को दी गई।

प्रशिक्षण के अंत में उपस्थित अधिकारियों द्वारा इस प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी बतलाया गया क्योंकि इसमें कक्षागत के साथ ही व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त हुआ, जिसका उपयोग वे परियोजना क्षेत्र में कर कृषि उत्पादन कर सकेंगे।

  अनुक्रमणिका  
प्रकाशन समिति

संरक्षक एवं सलाहकार
  • श्रीमती अरुणा शर्मा(IAS),अपर मुख्य सचिव,
    म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.,
  • श्री संजीव झा(IAS),सचिव,म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.


प्रधान संपादक

निलेश परीख,
संचालक,
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान-म.प्र., जबलपुर


सह संपादक
संजीव सिन्हा, उप संचालक, म.गां.रा.ग्रा.वि.स.-म.प्र., जबलपुर

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