Click Here to Download
त्रैमासिक - चौदहवां संस्करण जनवरी, 2014
अनुक्रमणिका हमारा संस्थान
  1. मनरेगा के ई-एफ.एम.एस. अंतर्गत लेखा संधारण की कार्यशाला
  2. अपनी बात ....
  3. कपिलधारा ने बदली छनकलाल की तकदीर
  4. ग्रामीण विकास में शिक्षा का योगदान
  5. कृषि विकास स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार समस्याऐं
  6. बजट
  7. पंच परमेश्वर योजना (संदर्श योजना)
  8. जल प्रबन्धन का बेहतर नमूना ....
  9. ग्रामों की सामाजिक समस्याऐं और सामाजिक परिवर्तन
  10. मनरेगा अंतर्गत कार्यो के सामाजिक अंकेक्षण में ग्राम सामाजिक संपरीक्षा समिति की भूमिका

मनरेगा के ई-एफ.एम.एस. अंतर्गत लेखा संधारण की कार्यशाला

मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद भोपाल द्वारा दिनाॅंक 28 अंक्टूबर 2013 को महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान अधारताल में जबलपुर, रीवा, एवं शहडोल संभाग की इलेक्ट्रानिक फण्ड मेनेजमेन्ट सिस्टम (ई-एफ.एम.एस.) अंतर्गत फण्ड ट्रान्सफर आर्डर की अविलंब भुगतान करने हेतु जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत स्तर पर तथा पोस्ट आॅफिस तथा सहकारी बैंक के अधिकारियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया।

उक्त कार्यशाला का संचालन मनरेगा परिषद से आए अतिथि वक्ता श्री औबेस अहमद ने किया जिसमें आॅंन लाइन फीडिंग मे क्या कठिनाईयाॅं आ रही है एवं बैंको के साथ कैसे समन्वय बनाकर काम करे पोस्ट आॅफिस एवं बैंको की क्या जिम्मेदारी होगी इन सभी बातों को लेकर चर्चा की गई। उक्त कार्यशाला का संचालन दो सत्रों मे किया गया प्रथम सत्र 10:30 से 1:30 जिसमे जबलपुर संभाग के सभी जिलों से आए प्रतिभागीयों ने सहभागिता दी तथा दूसरे सत्र मे 2:30 से 5:30 शहडोल एवं रीवा संभाग के जिलो से आए प्रतिभागियों ने सहभागिता दी। कार्यशाला के अंत मे सभी प्रतिभागियों का महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान की ओर से आभार व्यक्त किया गया।

  अनुक्रमणिका  
कपिलधारा ने बदली छनकलाल की तकदीर
अपनी बात .....


सहभागी प्रशिक्षण पद्धति की सबसे बड़ी खासियत है कि हम प्रशिक्षार्थियों के अनुभवों को बाँट पाते हैं। उनके अनुभवों के आधार पर योजनाओं के क्रियान्वयन को बेहतर बनाने के सुझाव दिए जा सकते हैं। अनुभवों के इसी आदान प्रदान में हमने पाया कि जानकारी के अभाव में शासन के कई आदेश, निर्देष लागू ही नहीं हो पाते है। ‘पहल‘ के इस अंक में हमने ‘‘ग्रामीण विकास में शिक्षा का योगदान’’, ‘‘पंच परमेश्वर योजना’’, ‘‘ग्रामों की सामाजिक समस्याऐं और सामाजिक परिवर्तन’’ जैसे विषयों पर लेखों का समावेश किया है जिससे इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर आवश्यक जानकारी बाँट सकें।

सफलता की अनेक कहानियाॅं हमें प्राप्त होने लगी हैं जिससे साबित हो रहा है कि सफल प्रयासों का अनुसरण ग्राम पंचायतें एवं ग्रामवासियों ने करना शुरू कर दिया है। यह बहुत उत्साहवर्द्धक संकेत है। हम प्रयास कर रहें है कि सफलता की इन कहानियों को आपके हर अंक में प्रकाशित कर सके। शुभकामनाओं सहित।



निलेश परीख
संचालक

महात्मा गांघी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत गरीब किसानों को उनके खेतों में सिचाई सुविधा बढाने और गावं के लोगों को रोजगार के अवसार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कपिलधारा योजना प्रारंभ की है। इस योजना में किसान के खेत में कूप निर्माण के लिए मदद दी जाती है। जनपद पंचायत कुण्डम की ग्राम पंचायत जैतपुरी देवहरा के आदिवासी किसान छनकलाल के पास लगभग 3.2 एकड असिंचित जमीन थी जिसमें वह वर्षा के सहारे मक्का, उड़द, धान की थोडी बहुत फसल ले पाता था जिससे वह अपने परिवार का बमुश्किल से पालन पोषण कर पा रहा था। लेकिन जबसे महात्मा गांघी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की उपयोजना कपिलधारा के तहत कूप निर्माण के लिए सहायता मिली है तबसे उसके जीवन में खुशहाली आ गई है।

उल्लेखनीय है कि छनकलाल को कपिल धारा के योजना के तहत कूप निर्माण के लिए 1.33 लाख की सहायता मिली जिससे लगभग 60 फुट गहरा कुआ का निर्माण कराया गया जिसमें वर्तमान में कुआं लबालब भरा हुआ है। इस कूप के निर्माण से न केवल उसका कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है बल्कि साल में एक के स्थान पर एक से अधिक फसलें लेने लगा है, जिससे उसकी आय में कई गुना वृद्धि हो गई है छनकलाल कहता है कि इस कुएं ने तो तकदीर और तस्वीर ही बदल दी है। क्योकि मैने तो पहले अपनी तकदीर में गरीबी को स्वीकार लिया था लेकिन अब बढे हुए कृषि उत्पादन व बढी आय से जीवन में कोई कमी नही है। छनकलाल बताता है कि कूप निर्माण के दौरान पथरीली मिट्टी निकली थी उसे खेत की मेढों पर डाल दिया तो मजबूत मेढ मुफ्त में मिल गई इसके बरसात में भी खेत के कोने कोने तक मेढ के सहारे आने जाने की सुविधा मिल गई है। वह बताता है कि मेढ बंदी से खेत का पानी खेत में रूकता है और खेतों में अधिक समय तक नमी रहती है जिसका फायदा फसल को मिल रहा है। जनपद पंचायत कुण्डम के उपयंत्री ने बताया कि छनकलाल के खेत में कुए के पास रिचार्ज पिट भी बनवा दिया गया है जिससे रिचार्ज पिट का पानी कुए में रिस रिस कर जा सके । आज कुआं लबालब भरा है। छनकलाल ने अपने खेत में सोयाबीन, मक्का उडद जैसी फसलें ले ली है वह बताता है कि गर्मियों में पहली बार चना व गेहू की फसल ले रहा है। छनकलाल का कुआं जिला पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व जिला स्तर के अधिकारियों ने देखा कुआ देखकर सभी ने छनकलाल को अच्छी पैदावार करने को कहा ।





  अनुक्रमणिका  
पंकज राय,
संकाय सदस्य, जबलपुर
ग्रामीण विकास में शिक्षा का योगदान

शिक्षा, मानव समाज को वह पथ प्रदान करता है जिससे विकास के मापदण्डो को पूरा करने में सहायता मिलती है। शिक्षा एक माध्यम है जिससे मानव ने अपनी मानसिक आध्यात्मिक और सामाजिक प्रगति की है। महात्मा गाॅधी के अनुसार शिक्षा में मेरा अभिप्राय बच्चे के शरीर मन और आत्मा में विद्यमान सर्वोत्तम गुणो का सर्वागीण विकास करना है। परिभाषा से स्पष्ट है कि शिक्षा वह प्रक्रिया है जिससे मानव में उन गुणो का विकास किया जाता है जिसके द्वारा वह सामाजिक व भौतिक पर्यावरण से अनुकूलन करके अपने व्यक्तित्व का विकास करता है।

भारत की प्रगति सीधे तौर पर ग्रामीण जनसंख्या के विकास से जुडी है। ग्रामीण क्षेत्रो में साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम है।

भारत में ग्रामीण शिक्षा का इतिहास को तीन भागो में विभक्त किया जा सकता है -

    1.पूर्व ब्रिटिश भारत में शिक्षा - ब्रिटिश आगमन से पूर्व शिक्षा धर्म प्रधान थी। जिसमें संसार की उत्पत्ति से लेकर विभिन्न प्राकृतिक घटनाओ की व्याख्या ईश्वर और धर्म के आधार पर की जाती थी। प्राचीन शिक्षा में ज्ञान का आदान प्रदान मुख्य रूप से मौखिक होती थी जो पीढ़ी दर पीढी हस्तातरित होती थी।
    2.ब्रिटिश शासन में शिक्षा - अग्रेजी के उपयोग का कार्य इस काल में शुरू हुआ जिसमें अधुनिक शिक्षा की झलक आने लगी। अग्रेजी काल में शिक्षा का उपयोग साम्राज्य को बढ़ाने में लगाया गया। न कि सामाजिक सुधार में ग्रामीण शिक्षा की समस्या निरतंर बनी रही।
    3.स्वतंत्र भारत में शिक्षा - स्वतंत्रता पश्चात् ग्रामीण शिक्षा पर ध्यान दिया गया एवं राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी पर केन्द्रित किया गया। ग्रामीण शिक्षा की आवश्यकता इस लिए है कि आर्थिक सामाजिक, राजनैतिक, नैतिक, सास्कृतिक रूप से यह प्रभावित करती है। क्योकि कुल जनसंख्या का 70 प्रतिशत आवादी ग्रामीण क्षेत्रो में है।जो आर्थिक रूप में कृषि, कुटीर प्रकृति से संबंधित र्है। विकास के लिए शिक्षा आवश्यक है।

कुछ प्रमुख बातें शिक्षा के विस्तार के समय ध्यान देने योग्य है।

    1.शिक्षा के लक्ष्य का निर्धारण
    2.शिक्षा का प्रशासकीय ढांचा
    3.शिक्षा के विस्तार के तकनीकी एवं अन्य साधन पूजी की प्रबन्ध

इन सभी मुद्दो पर विचार कर ग्रामीण शिक्षा की दिशा को एक नया आयाम दिया जा सकता है। जैसे शिक्षा के विकास में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। निर्णायक बिन्दु यह कहता है कि ग्र्रामीण शिक्षा को सफल बनाने के लिए विस्त्रृत रूप में वैज्ञानिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक योजनाए प्रबल रूप से लागू होनी चाहिए। जो विकास की रूप रेखा को सफलता में परिवर्तित करती है।

कृषि विकास स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार समस्याऐं

भारत में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। देश के उद्योग धन्धो, विदेशी व्यापार, विदेशी मुद्रा, अर्जन, समाज के उदर पोषण यहा तक कि राजनैतिक स्थायित भी कृषि पर ही निर्भर करता है। भारत की पहली पंचवषीय योजना से ही कृषि के विकास को सर्वोच प्राथमिकता का 37 प्रतिशत रखा गया है। आज ग्रामीण भारत के जीवन में भले ही अभूतपूर्व परिवर्तन अया हो फिर भी अधिकांश ग्रामीण एक बेहतर जीवन की चाह हेतु शहर की ओर पलायन कर रहे है। आज भी अधिकतर गाॅव भोजन, विद्यालय, चिकित्सा केन्द्र, सड़क एवं संचार शुद्ध पेयजल इत्यादि मूलभूत सुविधाओ से वंचित है।

हमारे देश में ग्रामीण क्षेत्रो में भूमिहीन श्रमिको के जीवन स्तर को ऊचा उठाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम की शुरूवात 2 फरवरी 2006 को 200 पिछडे जिलो में चयन कर लागू किया गया अप्रैल 2008 तक इस कार्यक्रम को पुरे देश में लागू कर दिया गया। पहले से अब ग्रामीण क्षेत्रो में मजदूरी की दरो में वृद्धि हुई है और ग्रामीणो का जीवन स्तर पहले से ऊचा हुआ है। इससे ग्रामीण क्षेत्रो से शहरो की ओर पलायन रूका है।

यादि भारत को 2020 तक विकासित देशो की श्रेणी में आना है तो ग्रामीण क्षेत्रो के विकास हेतु पंचवर्षीय योजना के माध्यम से भारी निवेश करने की आवश्यकता है। इसके अलावा प्रत्येक राज्य में आई.आई.टी., एम्स, होटल मेनेजमेंट, केन्द्रिय विश्वविद्यालय, इत्यादि केन्द्रो को खोला जाना चाहिऐ। इसके लिऐ पूजीपतियो से भी सहायोग लेना चाहिऐं। यादि सरकार ऐसा करती है। तो ग्रामीण क्षेत्रो का विकास तेजी से होगा। साथ ही साथ ही रोजगार के अवसर प्राप्त होगे।





  अनुक्रमणिका  
बजट
बजट क्या है ?

बजट आने वाले वर्ष के लिए खर्चो तथा प्राप्तियां का सोचा समझा अनुमान है। लेखे-जोखे की साल की शुरूआत 1 अप्रेल से आगामी 31 मार्च तक के समय के लिए शामिल किया जाता है सभी शासकीय कामकाजों में यही अवधि वित्तीय वर्ष कहलाती है ।

मतलब यह हुआ इसी वित्तीय वर्ष के लिए आय-व्यय का अन्दाज लगाना होता है। म.प्र. पंचायतराज एंव ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 73 के अन्तर्गत बजट बनाने के प्रावधान है।

धारा-73(1)प्रत्येक ग्राम पंचायत प्रति वर्ष ऐसे प्रारूप में, ऐसी रीति में, तथा ऐसी तारीख तक जैसा विहित है। आगामी वित्तीय वर्ष के लिये अपनी प्राप्तियाॅं तथा व्यय के लिए बजट का प्राक्कलन तैयार करेगी।

धारा 73(2)उस धारा 1 के अधीन तैयार किये गये बजट प्राक्कलन ऐसे प्राधिकारियों द्वारा विहित प्रावधान अनुसार विहित रीति में अनुमोदित किये जावेंगे।

विहित प्राधिकारी-विहित प्राधिकारी विकृत रीत में बजट अनुमोदित करेंगे।

ग्राम पंचायत के लिए-डी.डी.पी.(उपसंचालक पंचायतद्ध)

ज.पं.के लिए-जे.डी.पी.(संयुक्त संचालक पंचायत संभागीयद्ध)

जिला पंचायत के लिए-(संचालक पंचायत एंव समाज कल्याणद्ध)

बजट तैयार करने के लिए म.प्र. पंचायतराज अधिनियम में(बजट अनुमान)नियम 1997 बनाये गये हैं। (धारा 73 के अन्तर्गत)नियमों के अनुसार

  • 1.वित्तीय वर्ष से अभिप्राय - 1 अप्रेल से 31 मार्च
  • 2.विहित प्रारूप-नियमों से संलग्न प्रारूप
  • 3.बजट अनुमान का तैयार किया जाना -

ग्राम पंचायत द्वारा तैयार किये गये बजट में प्रत्येक बजट प्रावधान तथा प्रस्तावित प्रावधानों का उल्लेख होना चाहिए।

अधिनियम के उपबन्धों के अधीन गठित ग्राम पंचायत की स्थायी समितियां आगामी वर्ष के लिए अपने अपने कार्यक्रम सामान्य प्रशासन समिति को प्रस्तुत करेगी । तदोपरान्त सामान्य प्रशासन समिति प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण करेगी तथा आगामी वित्तीय वर्ष के लिये प्रारूप ग्राम वं. ब.अ.-एक में आय एंव व्यय के बजट अनुमान तैयार करेगी। उसको अपनी रिपोर्ट सहित विचार एंव अनुमोदन हेतु ग्राम पंचायत को प्रस्तुत करेगी।

  • 4.बजट अनुमानों पर विचार और अनुमोदन -

ग्राम पंचायत बजट अनुमानों पर विचार करेगी तथा उसमें ऐसे बदलाव एवं परिवर्तन कर सकेगी जैसा वह उचित समझे। तत्पश्चात विहित प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जावेगा।

ग्राम पंचायत के बजट अनुमान प्राप्त होने पर विहित प्राधिकारी बजट अनुमोदन परीक्षण करेंगे। यदि वह समझते हैं तो उपान्तरण या बिना उपान्तरण के अनुमोदित करेंगे और वापस एक प्रति ग्राम पंचायत को निर्दिष्ट करेंगे।

  • 5.बजट अनुमानो को तैयार करने हेतु भागदर्शी सिद्वान्त -

आगामी वर्ष के लिये बजट तैयार करते समय निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखा जावे।

  • 1.प्राप्तियों का अनुमान विस्तृत तथा सावधानी पूर्वक तैयार किया जाना चाहिये
  • 2.अनुमान इतना निकटतम तथा यर्थाथ होना चाहिये जितना संभव हो सके। किसी अनुमान में बचत दिखाना उतनी ही बड़ी अनियमितता है जितनी अनुमान में आधिक्य।
  • 3.अनुमानों के सहित प्राप्तियों का अनुमान गत दो वर्ष के तुलना पर आधारित होगा।
  • 4.स्थायी स्थापना और भाड़ा भत्ते आदि के स्थायी आवर्ती प्रभारों पर होने वाले व्यय का अनुमान बचत का ध्यान न देते हुए मंजूर किये गये वास्ताविक मान के अनुसार तैयार किया जावेगा।
  • 5.आकसिम्क व्यय के लिये अनुमान विगत दो वर्षो के वास्तविक व्यय पर आधारित होगा।
  • 6.विशिष्ट कार्यों के लिये राज्य सरकार, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत द्वारा आबंटित राशि की व्यवस्था उन्ही कार्यो के लिए की जावेगी अन्य प्रयोजन हेतु नहीं।
  • 7.ग्राम पंचायत द्वारा संविदा पर लिये गये ऋण संबंधी सभी दायित्वों के निर्वहन के लिए बजट वर्ष के दौरान संदाय के लिए तथा अन्य प्रतिबद्धताओं के लिए उपबन्ध होना चाहिए।
  • 8.बजट वर्ष के दौरान आंकड़ों और गत वर्ष के आंकड़ों में 10 प्रतिशत से अधिक की घट-बढ़ को स्पष्ट रूप से वर्णित किया जाना चाहिए।
  • 9.बजट में दर्शाये जाने वाला अन्तिम अतिशेष ग्राम पंचायत द्वारा संग्रहित कर उपकर आदि से संबंधित अनुमानित प्राप्तियों के पांच प्रतिशत से कम नहीं होगा।
  • 10.सहायता प्राप्त या सहायता संबंधी कार्यक्रमों के नगद अंशदानों का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिये।
  • 11.अपूर्ण निर्माण कार्यो को पूर्ण करने के लिए यथोचित राशि की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • 12.बजट के अनुमानित आंकड़ों को निकटतम गुणांकों में लिखा जाना चाहिये। उदाहारण 525/- को 500 तथा और यदि 560 से अधिक हो तो 600/- लिखे।
  • 7.बजट का प्रावधान मंजूरी नहीं ।
  • 8.बजट आबंटन से अधिक व्यय-

ध्यान रखा जाय कि कोई ग्राम पंचायत बजट में शामिल नहीं की गई व्यय की किसी मद को प्राधिकृत नहीं करेगी। बजट आबंटन से अधिक व्यय के लिये उस स्त्रोत को उपदर्शित करना होगा। जिससे वह व्यय किया जा सकेगी, यदि ऐसे व्यय के लिये किसी प्राधिकारी की मंजूरी आवश्यक है तो ग्राम पंचायत ऐसी मंजूरी के बाद ही व्यय उपगत करेगी।

  • 9.बजट अनुमानों का व्यपगत होना-

बजट में किये गये प्रावधान सम्बन्धित वर्ष के अन्त में व्यपगत हो जावेंगे। व्यय न की गई शेष रकम का कोई भी भाग तब तक व्यय नहीं किया जावेगा। जब तक उस कार्य हेतु पुनः बजट में आगामी वर्ष के लिये प्रावधान न कर दिया है।

  • 10.पुनर्विनियोग-

यथा पारित बजट में दी गई रकम को एक शीर्ष से दूसरे शीर्ष में ग्रा.पं.(2) निम्न शर्तों के अधीन पुनः विनियोजित किया जा सकता है।

  1. प्रस्तावित पुनविनियोग का पंचायत द्वारा अनुमोदित होना चाहिये।
  2. ग्रा.पंचा. के ........... से 15 दिन के भीतर जनपद पंचायत को सूचित किया जावेगा।
  • 11.अनुपूरक बजट-

वर्ष के दौरान जहां कहीं किसी भी समय यह प्रतीत हो कि पारित बजट के प्रावधान पर्याप्त नहीं हैं। वहा सामान्य प्रशासन समिति प्रारूप ग्रा.पं.ब.अ. भाग-3 में अनुपूरक बजट बनायेगी। तथा ग्रा.पं. के समक्ष विचार एवं अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करेगी। इस अनुपूरक बजट का प्रस्ताव प्रस्तावित मांग को न्यायोचित ठहराते हुए जनपद पंचायत को भेजा जावेगी।

  • 12.अनुपूरक बजट की मंजूरी-

जनपद पंचायत अनुपूरक बजट की प्राप्ति के 15 दिन के भीतर अपनी मंजूरी के साथ ग्राम पंचायत को वापिस भेजेगी।

  • 13.बजट शीर्ष-

राज्य सरकार के बिना अनुमोदन के बजट के शीर्षों की सूची में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा। इसी प्रकार अधिनियम की धारा 7 के प्रावधान अनुसार ग्रामसभा का बजट निश्चित रीति निश्चित समय में नियमों के अनुसार बनाया जावेगा।





  अनुक्रमणिका  
सुमन शर्मा,
संकाय सदस्य, ई.टी.सी. ग्वालियर
सफलता की कहानी - पंच परमेश्वर योजना (संदर्श योजना)
  • कार्य का नाम- पंचपरमेश्वर सी.सी. रोड कमोद के घर से जगदीश के घर तक
  • ग्राम का नाम-धारपाठा
  • ग्राम पंचायत-धारपाठा
  • वित्तीय वर्ष-2012-13
  • तक. स्वीकृति-1291/4/10/2012
  • प्रशा.स्वीकृति- 4220/8/10/2012
  • स्वीकृत राशि- 361000=00
  • व्यय राशि-360520=00

सिवनी जिले आदिवासी विकास खण्ड लखनादौन के ग्राम पंचायत धारपाठा के ग्राम धारपाठा में वित्तीय वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम-म. प्र. अंतर्गत पंच परमेश्वर योजना (संदर्श योजना) के तहत् कमोद के घर से जगदीश के घर तक सीमेंट कांक्रीट सड़क निर्माण किया गया। कांक्रीट सडक निर्माण के पूर्व में बरसात में कीचड़ एवं गंदगी होने के कारण आवागमन में परेशानियों का सामना करना पडता था। सडक पर गंदगी होने के कारण तरह-तरह की बीमारियां के प्रकोप का खतरा बना रहता था। अतः राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम-म.प्र.के तहत सीमेंट कांक्रीट सडक निर्माण से ग्रामीणों का आवागमन सुगम हो गया, तथा आसपास स्वच्छ वातावरण निर्मित हो गया। इस कार्य से कुल 1641 मानव दिवस सृजित हुये एवं 55 ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त हुआ, तथा 23 जाॅवकार्ड धारी लाभांवित हुये।

आज धारपाठा ग्राम के समस्त ग्रामीणजन अत्यंत खुश है,एवं इस सी.सी.रोड को देखकर एवं आसपास के स्वच्छ वातावरण को देखकर महात्मागांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम-म.प्र.को धन्यवाद देते है।





  अनुक्रमणिका  
विकास मिश्रा
संकाय सदस्य, ई.टी.सी. सिवनी
जल प्रबन्धन का बेहतर नमूना बिछिया उद्वहन सिंचाई योजना

शहडोल जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है,कृषि के लिए पानी महत्वपूर्ण अवयव होता है,यदि किसान को फसल सिंचाई हेतु समय पर आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध हो जाय तो फसल उत्पादन में वृद्धि स्वयंमेव हो जाती है तथा किसान पानी की एक-एक बूॅद का हिसाब रखने लगता है,जिसका उदाहरण विछिया ग्राम में स्टाप डैम पर बनायी गयी उद्वहन सिंचाई योजना से प्राप्त किया जा सकता है।

शहडोल जिले के बुढ़ार जनपद पंचायत के ग्राम बिछिया में बहने वाले जमुआ नाले में कृषि की सिंचाई तथा आम निस्तार के उद्देश्य से ग्रामीण यांत्रिकी विभाग द्वारा 1991-1992 वर्ष में स्टाप डैम बनाया गया था। बिछिया ग्राम में आदिवासी जाति के लोग निवास करते हैं, इन गरीब किसानों के पास स्वयं की इतनी पूंजी नहीं थी कि विद्युत या डीजल पम्प के माध्यम से स्टाप डैम में एकत्र जल का उपयोग लिफ्ट करके अपने खेतों में पहुंचा सकें।जिसके कारण वे वर्षा के पानी पर आश्रित थे।परन्तु सिंचाई हेतु पानी की कमी उन्हें खलती जरूर थी।

वर्ष 2002 में जिला पंचायत द्वारा निर्णय लेकर उद्वहन सिंचाई योग्य स्त्रोतों के चयन का विशेष अभियान चलाया गया अभियान के दौरान ग्रामीणों ने उस क्षेत्र के सहायक विस्तार अधिकारी को स्टाप डैम में संचित जल को दिखाकर सिंचाई सुविधा की व्यवस्था कराने हेतु आवेदन किया। ए.डी.ओ. द्वारा गाॅव वालों को सिंचाई क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले 14 आदिवासी कृषकों को संगठित कर समूह गठित करने की सलाह दी गयी। ग्रामीणों ने अपना समूह बनाकर सर्वसम्मति से श्री लोकनाथ सिंह को अध्यक्ष निर्वाचित कर लिया। इसके बाद ए.डी.ओ. ने स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत् उद्वहन सिंचाई योजना का प्रकरण बनाकर बैंक को भेज दिया।

बैंक से 1.65 लाख रूपये का ऋण एवं अनुदान स्वीकृत कर दिया गया । जिसमें 94 हजार रूपये अनुदान तथा 71 हजार रूपये ऋण था । किसानों ने इस राशि से

पम्प हाउस खेतों में नाली निर्माण तथा दो विद्युत पम्प खरीद लिये। अब समस्या थी विद्युत लाइन की। जिसे जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के अधो संरचना मद से विद्युत विभाग को राशि उपलब्ध कराकर विद्युत लाइन पम्प हाउस तक पहुंचा दी।

विद्युत की समस्या सुलझतें ही किसानों ने स्टाप डैम से पानी लिफ्ट करके अपने खेतों में पानी पहुंचा दिया। जिले में पंचायत ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा गत 2 फरवरी 2002 को जल जिले में ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के संचालन की जानकारी लेने हेतु दौरा किया गया तो विछिया उद्वहन सिंचाई योजना के समूह के अध्यक्ष श्री लोकनाथ सिंह ने बताया कि साहब मेरी किस्मत बदल गयी। अब हम सब आपसी निर्णय के आधार पर इसका संचालन करते हैं तथा आवश्यकतानुसार अपने खेतों में पानी पहुंचाते हैं

इस योजना के प्रारम्भ हो जाने से समूह के सदस्यों की 19.4 हेक्टेयर जमीन सिंचित हो रही है तथा पहले हम जहां कोदो, कुटकी की फसल लेते थे वहीं आज हम धान की उत्तम किस्म की फसल तथा गेहूॅ की फसल लेने लगे हैं । आवश्यकता से अधिक पानी रहने पर किराये पर दूसरे के खेतों की सिंचाई कर अतिरिक्त आय अर्जित कर लेते हैं प्राप्त राशि को संचित रखकर बिजली का बिल पटाने एवं अन्य आकस्मिक खर्चों में करते हैं। इस वर्ष हमने दुगुनी फसल का उत्पादन किया गया है ।

यह प्रथम वर्ष था जो हम सदस्यों के लिए नया अनुभव था । अब हम सब किसानों को प्रकृति की वर्षा पर निर्भर नहीं रहना पडे़गा, हमारे उपयोग के लिए पर्याप्त पानी है । यह बात हम सबके समझ में आ गयी है। अगले वर्ष से हम लोग गर्मी में सब्जी भाजी की खेती कर बैंक ऋण पटाना प्रारम्भ कर देगें । यह बात सुनकर प्रमुख सचिव महोदय अत्यन्त प्रसन्न हुए तथा इसी तरह की योजनाओं का लाभ आस-पास के अन्य ग्रामीणों को लेने हेतु प्रेरित करने की सलाह दी।

  अनुक्रमणिका  
ग्रामों की सामाजिक समस्याऐं और सामाजिक परिवर्तन

भारतीय परिवेश हमेशा ही सामाजिक तानेवाने से बंधा रहा है। पुराने जमाने से ही हमारी संस्कृति में सामाजिक ढ़ाचे का एक विशेष स्थान रहा है। त्यौहार, पर्व, लोकगी, नृत्य, खेल व मेले हमारे जीवन रौली में विद्यमान रही है। परन्तु विदेशी शासन ने इस व्यवस्था को बहुत ही नुकसान पहुॅचाया, विदेशी सभ्यता तथा संस्कृति के प्रचार प्रसार ने गावों में भी परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है। गाॅव की अर्थिक दशा भी लुप्त होकर निरंतर विघटित होने लगी है।

सामाजिक समस्यों को निम्न लिखित कारण प्रभावित कर रहे है -
  1. जनसंख्या समस्या - जनसंख्या की समस्या भारत के लिए एक गंभीर समस्या है। खद्यान की दृष्टि से ग्रामीण क्षेत्र भी अति जनसंख्या की समस्या से पीडि़त माना जाता है। अति जनसंख्या से भारत के ग्रामों में छोटे-छोटे खेतो की व्यवस्था पाई जाती है। प्रत्येक व्यक्ति के पास खेत तो है। पर छोटे है। जिसके कारण उन्नत मशीनों का प्रयोग मुश्किल से हो पाता है।
  2. ग्रामीण कृषि एवं उद्योगो की समस्या - भारतीय कृषि के पिछडेपन के निम्न कारण है।
  3. प्राकृतिक कारण, भूमि पर जनसंख्या का अत्यधिक दबाव प्राचीन कृषि यत्र, सिचाई के साधनो की कमी, प्राचीन काल में उद्योग धन्धे बहुत आगे थे। कारीगर अपने कार्यो में बहुत ही कुशल थे। परन्तु अग्रेजी काल में इसका पतन हो गया। उनके द्वारा कुटिर उद्योग को बहुत ही हानी पहुचाई गई। मशीनों से बनें माल इग्लैण्ड से आने लगे। और कल कारखानों की स्थापना आदि से भारतीय उद्योग लगभग समाप्त हो गये।
  4. ग्रामीण भारत में जातिवाद की समस्या-जातिवाद भारत में विकराल रूप धारण किए हुए है। प्रत्येक जाति के अपने रीति रिवाज प्रथाऐं और सामाजिक नियम है। इस जातपात के कारण राष्ट्रीय एकता में बाधक का काम कर रही है।
ग्रामीण सामाजिक समस्यों की कुछ अन्य भी कारण है जो निम्नानुसार है-
  1. सामाजिक गतिशीलता का अभाव
  2. धर्म,प्रथा रूढि़यां
  3. सरल एवं सादा जीवन
  4. कृषि मुख्य व्यवसाय
  5. जाति प्रथा
  6. जनमत का अधिक महत्व
  7. शासन वर्ग का दृष्टिकोण
  8. स्वच्छ पेयजल का अभाव
  9. अच्छे स्कूलो का अभाव
  10. ग्रामीणो में ऋण ग्रस्तता
  11. सामाजिक दायित्व के प्रति विश्वास
  12. ग्रामीण समाज के ईष्र्या एवं जलन
  13. ग्रामीण पंचायती न्याय में विश्वास।

इन समस्यों ध्यान में रखते हुए योजनाओं को बनाना एवं लागू करना चाहिए।

  अनुक्रमणिका  
मनरेगा अंतर्गत कार्यो के सामाजिक अंकेक्षण में ग्राम सामाजिक संपरीक्षा समिति की भूमिका

प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में मनरेगा अंतर्गत सम्पन्न समस्त कार्यो का प्रत्येक 06 मास में न्यूनतम एक बार सामाजिक अंकेक्षण किया जाना अनिवार्य (Mandatory) किया गया है। इसके लिए ग्राम सामाजिक संपरीक्षा समिति का गठन ग्राम पंचायत स्तर पर किया गया है। समिति से जुड़ी मोटी मोटी बातें नीचे लिखी हैं:-

गठन की प्रक्रिया-

सामाजिक अंकेक्षण ग्राम सभा द्वारा ही किया जाना है, अतः ग्राम पंचायत के अधीनस्थ समस्त ग्रामों की सम्मिलित एक ग्राम सभा के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर 07 सदस्यों वाली ग्राम संपरीक्षा समिति गठित होगी, जिससे समस्त ग्रामों के प्रतिनिधित्व के साथ ही महिला एवं जाॅबकार्ड धारी श्रमिकों को अनिवार्यतः शामिल किया जावे। ग्राम संपरीक्षा समिति के सदस्य समिति के व्यवस्थित संचालन हेतु बहुमत के आधार पर किसी एक सदस्य को अध्यक्ष तथा प्रतिवेदन लेखन हेतु किसी एक शिक्षित सदस्य को सचिव के रूप में चिन्हांकित करेगी।

कार्यकाल-

ग्राम संपरीक्षा समिति का कार्यकाल 01 बार सम्पन्न होने वाली सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया हेतु होगा। आवश्यकतानुरूप आगामी सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया हेतु इसका पुर्नगठन किया जा सकता है।

समिति के दायित्व
  • (1) दस्तावेजों की प्राप्ति - ग्राम पंचायत से विगत कार्यो से संबंधित समस्त दस्तावेज एतद् मस्टर रोल, बिल व्हाउचर पंजी एवं नस्तियों को सामाजिक अंकेक्षण विशेष ग्राम सभा के 15 दिवस पूर्व प्राप्त करना।
  • (2) प्रक्रिया का परीक्षण - परिवारों का पंजीयन, जॉबकार्ड वितरण, शेल्फ ऑफ़ प्रोजेक्ट के अनुसार कार्य की मांग, कार्य आवंटन से कार्य की पूर्णता तक की प्रक्रिया की सतत् जांच परख तथा पूर्ण कार्यो की प्रविष्टि परिसंपत्ति पंजी एवं राजस्व अभिलेखों में सुनिश्चित करना।
  • (3) भौतिक सत्यापन-सामाजिक अंकेक्षण हेतु विशेष ग्राम सभा के पूर्व मनरेगा अंतर्गत निर्मित संरचनाओं की गुणवत्ता, सार्थकता एवं उपयोगिता के आधार पर भौतिक सत्यापन।
  • (4) दस्तावेज सत्यापन-मनरेगा प्रावधान अंतर्गत ग्राम पंचायत स्तर पर संधारित किए जाने वाले समस्त दस्तावेजों का सूक्ष्म परीक्षण।
  • (5) मौखिक सत्यापन - मस्टर रोल अनुरूप मजदूरों द्वारा किए गए कार्य एवं प्राप्त मजदूरी तथा क्रय की गई सामग्री की मात्रा, गुणवत्ता, दर एवं कार्य स्थल पर उपलब्ध सुविधाओं का प्रति परीक्षण।
  • (6) प्रतिवेदन निर्माण - निर्धारित प्रपत्रों के अनुरूप किए गए कार्य का सरांष निर्माण तथा विशेष ग्राम सभा में प्रस्तुतिकरण। समिति द्वारा सामाजिक संपरीक्षा रिपोर्ट, स्थानीय भाषा में तैयार की जाएगी और ग्राम पंचायत के सूचना पटल पर प्रदर्शित की जाएगी।
  • (7) समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण - ग्राम संपरीक्षा समिति के सदस्य समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया (Concurrent Social Audit) हेतु Village Monitoring Committee (VMC) के दायित्व का निर्वहन करेगें।

(संदर्भ स्त्रोत - मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, परिपत्र क्र.-1 (क) (सामाजिक अंकेक्षण) क्र. 175/MPS-4/ 2014, भोपाल दि. 06-01-2014)

  अनुक्रमणिका  
प्रकाशन समिति

संरक्षक एवं सलाहकार
  • श्रीमती अरुणा शर्मा(IAS),अपर मुख्य सचिव,
    म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.,
  • डाॅ.रविन्द्र पस्तौर(IAS),सचिव,म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.


प्रधान संपादक

निलेश परीख,
संचालक,
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान-म.प्र., जबलपुर


सह संपादक
संजीव सिन्हा, उप संचालक, म.गां.रा.ग्रा.वि.स.-म.प्र., जबलपुर

ई-न्यूज़ के सम्बन्ध में अपने फीडबेक एवं आलेख छपवाने हेतु कृपया इस पते पर मेल करे - mgsirdpahal@gmail.com
Our Official Website : www.mgsird.org, Phone : 0761-2681450 Fax : 761-2681870
Best View in 1024×768 resolution WindowsXP IE-6
Designed & Developed by J.K. Shrivastava and Ashish Dubey, Programmer, MGSIRD, JABALPUR