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त्रैमासिक - तेरहवां संस्करण अक्टूबर, 2013
अनुक्रमणिका हमारा संस्थान
  1. मनरेगा अंतर्गत कार्य निष्पादन प्रक्रिया संबंधी प्रशिक्षण
  2. अपनी बात ....
  3. वित्तीय साक्षरता - आज की आवश्यकता
  4. रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षणों की सफलता
  5. पर्यावरणीय प्रबंधन में पंचायतों का योगदान
  6. सफलता की कहानी
  7. ग्राम सभा द्वारा सामाजिक अंकेक्षण
  8. निजि भूमि पर खेत तालाब निर्माण
  9. नई सोच ने बदल दी तकदीर
  10. संस्थान की शासक मण्डल की चैदहवीं बैठक सम्पन्न

मनरेगा अंतर्गत कार्य निष्पादन प्रक्रिया संबंधी प्रशिक्षण

मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद भोपाल द्वारा दिनाक 5 अगस्त 2013 को महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान अधारताल द्वारा आयोजित मनरेगा अंतर्गत कार्य निष्पादन प्रक्रिया संबंधी संभाग, जिला एवं जनपद स्तरीय अधिकारी,कर्मचारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया इस प्रशिक्षण में मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका में आयुक्त मनरेगा भोपाल श्री रविन्द्र पस्तोर जी ने मनरेगा योजना के क्रियान्वयन में आने वाली कठिनाईयों एवं उन्हे कैसे हल किया जा सकता है इस विषय पर प्रतिभागियो से चर्चा की।

इस एक दिवसीय प्रशिक्षण मे 185 प्रतिभागियो हिस्सा लिया जिनमें शहडोल, उमरिया, अनूपपुर के जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारीयों, महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान के संचालक, संकाय सदस्य एवं योजना से जुडे अन्य अधिकारियो एवं कर्मचारियों ने भी सहभागिता की एवं प्रशिक्षण के अंत मे सभी प्रतिभागियों का महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान की ओर से आभार व्यक्त किया गया।

  अनुक्रमणिका  
वित्तीय साक्षरता - आज की आवश्यकता
अपनी बात .....


अज्ञानता हमारा भविष्य कितना बिगाड़ सकती है इसका अंदाजा एक सामान्य सा व्यक्ति नहीं लगा पाता। आज से कई वर्षों पहले हम सबके पूर्वजों ने अज्ञानतावश अपने आस-पास के प्राकृतिक संसाधनों से जो छेड़छाड़ किये होंगे उसका विपरीत प्रभाव आज हम पर्यावरण पर देख रहे हैं। मौसम का भरोसा नहीं रहता, कब बिना मौसम बरसात हो जाये, कब ओले गिरकर फसल चैपट करने लगे इसका अनुमान नहीं लगता। कभी किसी ने घर के चूल्हे जलाने को या बेशकीमती फर्नीचर बनाने को जंगल नष्ट किये होंगे, किसी ने विकास की बड़ी परियोजनाऐं बनाने को नदियों के रूख बदले होंगे, किसी ने दूरदृष्टि के बिना बड़े-बड़े कारखाने लगाए होंगे परन्तु उन कारखानों से निकलने वाली दूषित गैस के दुष्प्रभावों के बारे में नहीं सोचा होगा, तभी तो प्रकृति भी हारकर अपने अस्तित्व को बचाने ऐसे उपाय करने लगती है, जिससे हम परेशान होने लगते हैं।

पर्यावरण को संरक्षित रखना हम सब का कर्तव्य है। पंचायतीराज व्यवस्था में ग्राम पंचायतें किस प्रकार पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना दायित्व निभा सकती हैं, इसी पर केन्द्रित है इस संस्करण का लेख ‘‘पर्यावरण प्रबंधन में पंचायतों का योगदान’’ पंचायतें अपने छोटे-बड़े दायित्वों का निर्वहन कर पर्यावरण सुरक्षित रखने में बड़ा योगदान कर सकती हैं। वे अवैध उत्खनन प्रतिबंधित कर सकती हैं, जो पर्यावरण सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।

सफलता की अन्य कहानियों के साथ पर्यावरण के विषय पर हमारा यह लेख अवश्य पढ़ें और अपनी प्रतिक्रियाएँ भेजें।

शुभकामनाओं सहित।



निलेश परीख
संचालक

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन मे वह सब कुछ पाना चाहता है जिसे वह दूसरो को उपभोग करते देखता है। वह अपनी जीवन शैली को उच्च स्तर की बनाने के लिए जी तोड मेहनत करता है किंतु कही न कही मेहनत से कमाए गए धन का सही सदुपयोग अथवा प्रबंधन नही कर पाने के कारण वह या तो कर्ज के जाल मे फंस जाता है या फिर हताश हो जाता है। यदि व्यक्ति प्रारंभ से ही अपने धन का प्रबंधन करना समझ जाए तो फिर वह किसी भी विकट परिस्थिती से निपट सकता है। हमारे देश की सरकार भी यह कोशिश करती है कि उसके हर नागरिक वित्तीय मामलो के जानकार बने। अपनी वित्तीय समस्या का खुद समाधान करें। यही वजह है कि अब केंन्द्र सरकार की ओर से भारत के नागरिकों को तकनीकी एवं रोजगारपरक शिक्षा देने के साथ ही वित्तीय शिक्षा भी देने के प्रयास किए जा रहे है। सरकार का मानना है कि वित्तीय साक्षरता का ग्राफ बढने से देश मे विकास को गति मिलेगी यही वजह है कि भारत सरकार ने वित्तीय साक्षरता बढाने के प्रयास प्रारंभ कर दिए है ताकि घरेलू बचतों को निवेशो मे लगाने के लिए जोरदार प्रयास किए जा सकें। वित्तीय साक्षरता से विश्वास ,ज्ञान और कौशल मे वृद्वि होती है, जिससे वित्तीय उत्पादों और सेवाओं का सही लाभ उठाया जा सकता है और अपनी वर्तमान तथा भावी परिस्थितियों पर अधिक नियत्रंण किया जा सकता है। चूंकि तमाम विकसित एवं विकासशील देश अपने नागरिको को वित्तीय शिक्षा देने के लिए पहले से ही राष्ट्रीय नीति लागू कर चुके है,इस वजह से भारत सरकार भी अब इस मामले में सक्रिय हो गई है।सरकार का मानना है कि वित्तीय शिक्षा स्कूल से ही शुरू हो जानी चाहिए और लोगो को जीवन मे जितना जल्दी हो सके, वित्तीय मामलों के बारे मे शिक्षित किया जाना चाहिए। हालांकि यह भी सच है कि भारत में विभिन्न वित्तीय नियामक बोर्ड के जरिए साक्षरता कार्यक्रम की शुरूआत की जा चुकी है लेकिन अभी ग्रामीण स्तर पर इसकी पहल नही हो सकी है। इसी वजह से भारतीय रिजर्व बैंक ने स्कूल और कालेज के छात्रो, महिलाओं, ग्रामीण और शहरी गरीबों, कों केन्द्रीय बैंको के बारे मे और सामान्य बैंकिंग प्रक्रियाओं के बारे मे जानकारी देने के लिए फायनेंशियल लिटरेसी नाम से एक परियोजना शुरू की है। इस परियोजना के जरिए वित्तीय साक्षरता का सपना काफी हद तक साकार हो सकता है।







  अनुक्रमणिका  
नीलेश राय,
संकाय सदस्य, जबलपुर
रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षणों की सफलता

एस.जी.एस.वाय योजना के अन्तर्गत चलाई जा रही उद्योगिक सिलाई मशीन आपरेटरिंग प्रशिक्षण जिसका शुभारम्भ नौगांव में दिनांक 14.12.2009 को ग्रामीण विकास मंत्री माननीय श्री गोपाल भार्गव तथा तत्कालीन प्रमुख सचिव आर. परशुराम जी के द्वारा किया गया तब से निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। इस केन्द्र में ग्रामीण बहुल्य क्षेत्रो के बेरोजगार युवाओ को प्रशिक्षण दिया जाता है इसके अन्तर्गत बी.पी.एल. परिवार से संबंधित जिनकी उम्र 18 वर्ष से 28 वर्ष के प्रशिक्षर्थियों को 26 दिवसीय प्रशिक्षण देकर अनिवार्यतः नौकरी दी जाती है। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थीओ को केन्द्र के माध्यम से रहने, खाने एवं प्रशिक्षण के दौरान उपयोग होने वाली सामाग्री की निःशुल्क सुविधा दी जाती है। 14.12.2009 (पिछले चार वर्षो) से सितम्बर 2013 तक 1500 युवाओ को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण दिया जाकर 1450 युवाओ को नौकरी प्राप्त हुई है। इन युवाओ को लगातार आय प्राप्त होने से वे अपने और परिवार की अच्छी तरह से सहायता करने में सहायक हो रहे है।

प्रशिक्षार्थियों की कहानी उन्हीं की जुबानी -

मेरा नाम कोमल बरार पिता का नाम लक्ष्मीराम बरार-माता का नाम राम देवी बरार मै गाव मेहतौल जिला छतरपुर की रहने वाली हू मैने दसवी कक्षा तक शिक्षा ग्रहण की है। मै बी.पी.एल. परिवार से हू मेरा बी.पी.एल. राशन कार्ड न. 206 है। मैने आई.एल.एण्ड एफ.एस. प्रशिक्षण केन्द्र नौगाव जिला छतरपुर में प्रशिक्षण 20.02.2010 से 19.03.2010 तक एक माह प्रशिक्षण प्राप्त किया जिसमे मुझे औद्योगिक सिलाई मशीन पर वस्त्र निर्माण का काम करना सिखाया गया। प्रशिक्षण के दौरान रहना खाना-पीना निःशुल्क दिया गया तथा प्रशिक्षण का कोई भी शुल्क मुझ से नही लिया गया। मैने 23 मार्च 2010 को प्रतिभा सिन्टेक्स प्रा.लि. पिथमपुर में रोजगार प्राप्त किया। पहले तीन माह में 3200/- रूपये प्रतिमाह वेतन प्राप्त हुआ

वर्तमान में मेरा वेतन 4600/- रूपये है। नौकरी के दौरान रहने खाने की सुविधा कम्पनी द्वारा दी गई जिसके लिऐ कम्पनी प्रतिमाह 1000/- रूपये वेतन से काटती है बाकी शेष वेतन मुझे मेरे बैंक अकाउन्ट मे जमा हो जाती है। मै अब अपने परिवार की सहायता कर रही हू और मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से सुधर रही है।

उसके बाद उन्होंने बताया कि -‘‘प्रशिक्षण से पहले में केवल घर के कामकाज में व्यस्थ रहती थी अभी नौकरी मिलने से एक लगातार आय प्राप्त होती है। इसको देख कर मेरे गाव की और भी लड़कीया इस प्रशिक्षण केन्द्र में आकार प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है और रोजगार प्राप्त कर अपनी आर्थिक स्थिति सृद्ड कर रही है महिला सशक्तिकारण के लिए यह योजना एक वरदान साबित हो रही है। जिसे बताते हुऐ उन्हें गर्व होता है।‘‘

एक और प्रशिक्षार्थी रविन्द्र अहिरवार द्वारा भी इस योजना की सफलता के संबंध में बताया गया कि ‘‘उनके पिता का नाम श्री रामकिशोर अहिरवार माता का नाम शान्ति अहिरवार ग्राम पुरवा बम्हौरी जिला छतरपुर म.प्र. का रहने वाले हैं, कक्षा दसवी तक उन्होंने शिक्षा ग्रहण की है। वे बी.पी.एल. परिवार से हैं, उनका बी.पी.एल. नम्बर 772 है। 14 सितम्बर से 13 अक्टूबर तक एक माह का सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया जिसमें उनको औद्योगिक सिलाई मशीन पर वस्त्र निर्माण का काम करना सिखाया गया।’’

उन्होंने बताया कि -’’20 अक्टूबर 2010 को प्रतिभा सिन्टेक्स पीथमपुर मे रोजगार प्राप्त किया प्रशिक्षण से पहले वह केवल मजदूरी करता था और उसकी आर्थिक स्थिति भी बहुत खराब थी। इस प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के बाद प्रतिभा सिन्टेक्स मै नौकरी मिलने से लगातार आय प्राप्त हो रही और उसके परिवार को अब आर्थिक रूप से ज्यादा परेशानियों का सामना नही करना पड़ता है।’’





  अनुक्रमणिका  
पंकज राय,
संकाय सदस्य, जबलपुर
पर्यावरणीय प्रबंधन में पंचायतों का योगदान

जिस माहौल या परिवेश में हम रहते हैं वह हमारा पर्यावरण है। पर्यावरण वह जो हमें चारों से घेरे हुए हैं। पर्यावरण के महत्व से आज कोई इंकार नहीं कर सकता। हम यह सुनते हैं कि पहले मौसम बढि़या रहता था, परन्तु क्या बात है कि अब वैसा मौसम नहीं रहता। विचार करें कि इसके क्या कारण हो सकते हैं ?

आज प्राकृतिक रूप से प्रदत्त हवा, पानी, मिट्टी आदि में शुद्धता कहने और सुनने की चीज रह गई हैं। मौसम भी अब पहले जैसा नहीं रहा। हम आज के समय में सबसे ज्यादा बात मौसम की ही करते हैं। थोड़ी गर्मी बढ़ी या कम हुर्ह तो कहने लगते हैं गरमी बहुत या कम समझ में आ रही है। ठंड या बरसात ज्यादा या कम हुई तो उस पर बातें करते हैं। किन्तु इस पर भी विचार हो कि ऐसा क्यों हो रहा है।

जिस वातावरण में हम रह रहे हैं उसे उपयुक्त बनाये रखना भी हमारा दायित्व है। प्राकृतिक संसाधनों के दुरूपयोग होने से आज पर्यावरण में प्रदूषण हो रहा है और उसके अनेक बुरे परिणाम भी हम भुगत रहे हैं। अतः पर्यावरण को सही बनाये रखने में हम सभी को मिल कर प्रयास करना पड़ेगा।

सम्पूर्ण भारत की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है। लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र गांवों की परिधि में आता है। इस प्रकार से गांवों के विकास का असर सामान्यतः सभी व्यक्ति के जीवन स्तर पर पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्र के प्रबंधन के लिए हमारे देश में पंचायतराज व्यवस्था चल रही है। इस प्रकार से देखा जाए तो पर्यावरणीय प्रबंधन में हम सभी के साथ ही साथ पंचायतों की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस संबंध में मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 में कुछ प्रावधानों के द्वारा पर्यावरणीय प्रबंधन करने का प्रयास किया गया है। प्रश्न यह है कि, इन प्रावधानों का उपयोग कितना हो पा रहा है। जरूरत तो इस बात की है कि इन प्रावधानों को सभी ग्रामवासी, पंचायत राज प्रतिनिधि एवं पंचायतों में कार्य कर रहे क्रियान्वयक अधिकारी और कर्मचारी समझें और सही दिशा में प्रयास करें। पर्यावरणीय प्रबंधन से संबंधित पंचायतराज अधिनियम के प्रावधानों को यहां सरल भाषा में लिखने का प्रयास किया गया है।

पर्यावरण को सुरक्षित बनाये रखने के संबंध में मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम धारा 7 ग्राम सभा की शक्तियां और कृत्य तथा उसका वार्षिक सम्मिलन की उपधारा (ञ.दो), (ञ.तीन ), (ट.) (ठ.) (ड.), (ण), (त), (न), (प.), (फ-1.) (फ-2.), (ब.), (भ.), (झझ.), (धध), (पप.), धारा 54 के अन्तर्गत सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा की बाबत् ग्राम पंचायत की शक्तियों, धारा 50 जनपद पंचायत के कृत्य (क), (ख), (ध)) में प्रावधान किये गये हैं। इन प्रावधानों की जरूरी बातें यहां दी जा रही हैं।

धारा 7 ग्राम सभा की शक्तियां और कृत्य तथा उसका वार्षिक सम्मिलन
  • (ञ.दो)- ग्राम के क्षेत्र के भीतर के प्राकृतिक स्त्रोतों का, जिनके अन्तर्गत भूमि, जल,वन आते हैं संविधान के उपबंधों और तत्समय प्रवृत अन्य सुसंगत विधियों के अनुसार प्रबन्ध करना।
  • (ञ.तीन ) ग्राम पंचायत को लघु जलाशयों के विनियिमन तथा उपयोग में सलाह देना।
  • (ट.) स्वच्छता, सफाई और न्यूसेन्स का निवारण और उसका उपशमन
  • (ठ.) सार्वजनिक कुओं, तड़ागों और तालाबों का निर्माण, मरम्मत और अनुरक्षण तथा घरेलू उपयोग के लिए जल प्रदाय
  • (ड.) नहाने तथा धोने और पालतू पशुओं को पीने के लिए जल प्रदाय हेतु जल के स्त्रोतों का सन्निर्माण और अनुरक्षण
  • (ण) सार्वजनिक सड़कों, संडासों, नालियों, तालाबों, कुओं तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों का सन्निर्माण, अनुरक्षण और उनकी सफाई
  • (त) उपयोग में न लाये जाने वाले कुओं, अस्वच्छ तड़ागों, खाईयों गढ्ढों को भरना और सीढीदार कुओं (बाबडि़यों)को स्वच्छ कुओं में परिवर्तित करना।
  • (न) मकानों, संडासों, मूत्रालयों, नालियों तथा फ्लश शौचालयों के सन्निर्माण का विनियमन
  • (प.) सार्वजनिक भूमि का प्रबंध और ग्राम स्थल का प्रबंध, विस्तार और विकास
  • (फ-1.) शवों, पशु-शवों और अन्य घृणोत्पादक पदार्थो के व्ययन के लिए स्थानों का विनियमन
  • (फ-2.) लावारिस शवों और पशु शवों का व्ययन
  • (ब.) कचरा इकट्ठा करने के लिए स्थानों का पृथक रक्षण
  • (भ.) मांस के विक्रय तथा परीक्षण का विनियमन
  • (झझ.) वृक्षारोपण तथा ग्राम वनों का संरक्षण
  • (धध)अपनी क्षेत्रीय अधिकारिता के भीतर स्थित विनिर्दिष्ट जल क्षेत्र तक लघु जल निकायों की योजना बनाना, स्वामित्व रखना और प्रबंध करना।
  • (पप.)सिंचाई प्रयोजन के लिए नदियों, जलधारा, लघु जल निकायों के उपयोग को विनियमित करना।
धारा 49-क - ग्राम पंचायत के अन्य कृत्य ग्राम सभा की शक्तियां और कृत्य तथा उसका वार्षिक सम्मिलन

(17.) ग्राम सभा को समनुदेशित कृत्यों से संबंधित संकर्मो, स्कीमों तथा परियोजनाओं के संबंध में केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई निधियों को केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा नियत किये गये मानदंडों के अनुसार ग्राम सभा को पुनः आवंटित करना।

धारा 54 - सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा की बाबत् ग्राम पंचायत की शक्तियों
  1. घृणोत्पादक या खतरनाक वस्तुओं के व्यापार को विनियमन करने
  2. स्वच्छता, सफाई, जननिकास, जनसंकर्मों, जलप्रदाय के स्त्रोतों का अनुरक्ष्रण करने
  3. जल के उपयोग का विनियमन करने
  4. पशुवधों के विनियमन करने
  5. कर्मशालाओं, कारखानों तथा अन्य औद्योगिक इकाईयों की स्थापना का विनियमन करने
  6. पर्यावरणीय नियंत्रण सुनिश्चित करने की शक्ति होगी।
धारा 50 जनपद पंचायत के कृत्य
  • (क) एकीकृत ग्रामीण विकास, कृषि, सामाजिक वानिकी, पशुपालन और मत्स्यपालन, स्वास्थ्य और स्वच्छता, प्रौढ़ शिक्षा, संचार और लोक संकर्म, सहकारिता, कुटीर उद्योग, महिला, युवा तथा बाल कल्याण, निःशक्तों तथा निराश्रितों का कल्याण और पिछड़े वर्गो का कल्याण, परिवार नियोजन तथा खेलकूद और ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम
  • (ख) आग, बाढ़, सूखा, भूकंप, दुर्भिक्ष, टिड्डीदल, महामारी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में आपातिक सहायता की व्यवस्था करना
  • (ध) सार्वजनिक नौधाटो का प्रबंध करना




  अनुक्रमणिका  
संजय राजपूत,
संकाय सदस्य, जबलपुर
सफलता की कहानी - तालाब निर्माण दौलतपुरा, सैलाना जिला रतलाम

रतलाम जिला मुख्यालय से 26 कि.मी. दूरी पर स्थित आदिवासी विकासखण्ड सैलाना की ग्राम पंचायत दौलतपुरा के निनामा टापरा में ग्रामवासियों द्वारा अपनी वर्षो पुरानी समस्या से निजात पाने के लिये राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में वृहद तालाब का निर्माण कराया जिसकी लागत 44.50 लाख रूपये हैै। जिससे सुदूर पहाड़ी अंचल के ग्रामवासियों के पेयजल विहिन कुंओं का जलस्तर बढ़ा है ग्राम के सूुखे खेतों में फसल भी लहलहाने लगी और मवेशियों को सालभर पानी पिलाने के लिये भटकना नहीं पड़ता। निर्मित तालाब से गांव एवं ग्रामवासियों के चेहरों पर खुशी की लहर देखी जा सकती है।

दौलतपुरा के ग्रामीणों के कार्यो से प्रेरित होकर पास के अन्य ग्राम शिवगढ़ में भी ग्रामवासियों में अपनी मूलभूत आवश्यकताओं जैसे कूपों का जलस्तर बढ़ाने एवं खेती की सिंचाई हेतु भूजल पुनर्भरण के क्षेत्र में गहरी रूचि

परिलक्षित हो रही है। ऐसी सार्थक योजना बनाने में ग्रामीणों की सुझबूझ अन्य ग्रामवासियों के लिए भी अपनी समस्याओं के निवारण की दिशा में अनुकरणीय उदाहरण है।





  अनुक्रमणिका  
अभिषेक नागवंशी
संकाय सदस्य, उज्जैन
ग्राम सभा द्वारा सामाजिक अंकेक्षण पर ध्यान देने योग्य बातें

ग्राम पंचायत को प्राप्त होने वाली राशि से उस वित्तीय वर्ष के लिये वार्षिक कार्य योजना तैयार होती है। वार्षिक कार्ययोजना का ग्राम सभा से अनुमोदन कराना अनिवार्य होता है। अनुमोदित कार्य योजना में से भविष्य में कार्य ग्राम पंचायत द्वारा किये जाते है। अगर कोई कार्य में परिवर्तन कराना चाहे तो अगली ग्राम सभा में परिवर्तित कार्यो का अनुमोदन करना आवश्यक होगा कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व कार्य का प्राक्कलन (इस्टीमेट) उपयंत्री की सहायता से तैयार कराना होगा। ग्राम पंचायत स्तर पर कराये जाने वाले कार्यो के क्रियांवयन का उत्तरदायित्व ग्राम पंचायत का है। निर्माण कार्य निर्माण समिति द्वारा कराये जायेगे। निर्माण कार्य में तकनीकी मार्ग दर्शन उपयंत्री द्वारा दिया जायेगा कार्य पूर्ण होने पर कार्य की फाइल तैयार होगी। कार्य के प्रारंभ,मध्य एवं कार्य के अन्त में फोटो लिया जायेगा। कार्य का मूल्याकन संबंधित उपयंत्री द्वारा एम.बी. में किया जायेगा तथा मूूल्याकन का सत्यापन सहायक यंत्री मनरेगा आर.ई.एस. द्वारा किया जायेगा।

तत्पश्चात सरपंच ग्रामसभा का आयोजन करेगा तथा ग्राम सभा में उस कार्य का लेखा जोखा प्रस्तुत कर आय व्यय का अनुमोदान ग्राम सभा से करायेगा।

किन्तु कार्य के मूल दस्तावेज किसी को नही सौपे जायेगे। केवल पढकर बताया जायेगा। अभिलेखो की सुरक्षा का दायित्व सरपंच का होगा। अनुमोदन न होने की दशा में लिखित सूचना एस.डी.एम. को भेजी जायेगी। सूचना में वह बिन्दु सम्मिलित होगा जिसमें ग्रामसभा जांच करना चाहती है। यह सूचना ग्राम पंचायत सचिव द्वारा एस.डी.एम के यहाॅ दी जायेगी। सूचना प्राप्त होने पर एस.डी.एम. प्रकरण दर्ज करेगें। सूचना की जाॅच करने हेतु समिति का गठन करेगे। समिति में पंचायत का एक पंच उपयंत्री एवं एस.डी.एम. द्वारा नामांकित अधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य होंगे। जाॅच का कार्य मौके पर ही किया जायेगा। जाॅच के दौरान सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जायेगा जाॅच समिति को पूर्ण अभिलेख उपलब्ध कराना होगा। जाॅच समिति निर्धारित समयसीमा में अपना प्रतिवेदन एस.डी.एम को देगी।

जाॅच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर एस.डी.एम. किसी अधिकारी को जाॅच प्रतिवेदन ग्राम सभा में पेश करने हेतु नियुक्त करेगे। यह अधिकारी ग्राम सभा में उपस्थित रह कर प्रतिवेदन ग्राम सभा में प्रस्तुत करेगा। ग्राम सभा दिये गये तथ्यों से सन्तुष्ट हो जाती है तो प्रकरण समाप्त करने की अनुशंसा एस.डी.एम. को भेजेगी। अनुशंसा प्राप्त होने पर एस.डी.एम. प्रकरण समाप्त करेगे। यदि ग्राम संभा जाॅच से सन्तुष्ट न हो तो दोषी व्यक्ति के विरूद्ध कार्यवाही करने की अनुशंसा एस.डी.एम को भेजेगी। जिसकी सूचना नामाकित अधिकारी द्वारा दी जायेगी अनुशंसा प्राप्त होने पर एस.डी.एम. पचायत राज अधिनियम 1993 की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर विधिवत कार्यवाही करेंगे।





  अनुक्रमणिका  
सुरेन्द्र प्रजापति़
संकाय सदस्य, जबलपुर
निजि भूमि पर खेत तालाब निर्माण

उज्जैन जिले की बड़नगर जनपद डालर चने के कारण पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। रबी के मौसम में डालर चने की फसल के कारण भूगर्भ जल के अत्याधिक दोहन से अत्यधिक घटते भूजलस्तर के कारण बड़नगर क्षेत्र को डार्क जोन घोषित किया गया है। अल्पवर्षा के कारण किसानों के खेतों की फसलों को पकने के पूर्व ही बारिश का चले जाना तथा घटते भूजल स्तर के कारण एवं अन्य सिंचाई के स्त्रोत नहीं होने से खड़ी फसल सूखते देख किसान भाई को लगता है जैसे मुंह का निवाला

ही छिन गया हो, लेकिन जहाँ चाह वहाँ राह वाली कहावत को सिद्ध करते हुए उज्जैन जिले की बड़नगर जनपद के ग्राम खेड़ावदा के कृषकों द्वारा अपनी निजि भूमि में खेत तालाब का निर्माण कर ना केवल अवर्षा की स्थिति में फसलों को सिंचाई हेतु पानी की आपूर्ति का तरीका खोजा गया बल्कि अन्य सूखे जल स्त्रोतो के निकट खेत तालाब बनाने से उनको पुनर्जीवित करके दूसरी फसल हेतु सिंचाई की व्यवस्था का तरीका भी ढूंढ निकाला, यहाँ एक नहीं करीबन 10 से 15 कृषको द्वारा अपने खेतों में ऐसी संरचनाओ का निर्माण अपनी आवश्यकतानुरूप किया गया।

प्रारम्भिक तौर पर शुरू में कुछ किसानों को अपनी भूमि में खेत तालाब बनाना अटपटा और खेत खराब करने जैसा लगा किन्तु फसलो की सिंचाई के उपयोग के समय उन्हें बहुत सुखद अनुभूति हुई अब यह जुगत सबकी समझ में बैठ चुकी है। जिससे अन्य क्षेत्र के कृषक भी स्वप्रेरित होकर भूजलस्त्रोत के संरक्षण की दिशा में अग्रसर होकर कार्य कर रहे है।





  अनुक्रमणिका  
व्ही.एस.नागर
संकाय सदस्य, ई.टी.सी. उज्जैन
नई सोच ने बदल दी तकदीर

जिला धार के अंतर्गत बदनावर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत तिलगारा के श्री दयारामजी पाटीदार 10-15 वर्षो से सोयाबीन की खेती किया करते थे। उद्यान विभाग तथा कृषि विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग से प्राप्त जानकारी द्वारा उन्हें स्ट्राबेरी की खेती के विषय में अनुभव मिलने पर उन्होंने इजराईल से पौधे

मंगवाकर स्ट्राबेरी की खेती प्रारम्भ की। फलस्वरूप एक बीघा खेत में 10 हजार पौधे स्ट्राबेरी के श्री पाटीदार द्वारा लगाए गए। जिसका व्यय 50 हजार रूपये के लगभग आया। श्री पाटीदार द्वारा क्राप लोन लिया है। ड्रिपइरीगेशन द्वारा वे सिंचाई व्यवस्था करते है। स्ट्राबेरी की आकर्षक पेकिंग के लिए बाम्बे से वे पेकिंग मटेरियल लेकर आते है तथा परिवार की महिलाएँ पेकेजिंग का कार्य करती हैं। साथ ही उनका उत्पादित किया हुआ स्ट्राबेरी हैदराबाद, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में फ्रूट मार्केट में बेचा जाता है।

इस प्रकार श्री दयारामजी पाटीदार एवं उनका परिवार स्ट्राबेरी की खेती से प्रतिवर्ष 1 से 1.50 लाख रूपये का लाभ प्राप्त करते है। इस प्रकार मध्यप्रदेश के धार जिले की बदनावर जनपद पंचायत के ग्राम तिलगारा के श्री दयाराम पाटीदार द्वारा ग्रामीण विकास के नये आयाम स्थापित किये हैं जो कि ग्रामीणजनों के लिए एक अनुपम उदाहरण की प्रस्तुति है। आशा है अन्य ग्रामीणजन भी इस प्रकार नवाचार अपनाकर कृषि कर जीवन को नई दिशा प्रदान करेंगे।





  अनुक्रमणिका  
जी.एस. लोहिया
संकाय सदस्य, ई.टी.सी. उज्जैन
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान,जबलपुर की शासक मण्डल की चौदहवीं बैठक दिनांक 14-8-2013 को सम्पन्न

महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान के शासक मंडल की चौदहवीं बैठक दि0 14-8-2013 को माननीय मंत्री जी, मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षता में मंत्रालय में उनके कक्ष में आयोजित की गई।

बैठक में माननीय श्री गोपाल भार्गव, मंत्री, मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, श्रीमती अरूणा शर्मा, अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, डाॅ. राजेश राजौरा, सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, श्री रधुवीर श्रीवास्तव, आयुक्त, पंचायतराज संचालनालय, मध्यप्रदेश

श्री नीरज मण्डलोई, सचिव, मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग, श्री डी. के. श्रीवास्तव, कनवीनर, स्टेट लेविल बैंकर्स कमेटी, श्री पी. के. सिद्धार्थ, उपसचिव, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी,, श्री एम. पी. एस. निरंजन, संयुक्त आयुक्त, वित्त, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं श्री निलेश परीख, संचालक, महात्मा गाॅंधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान उपस्थित रहे।

बैठक में महात्मा गाॅंधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान एवं क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्रों के विकास, प्रशिक्षण इत्यादि से संबंधित अनेक विषयों पर निर्णय लिये गये।

  अनुक्रमणिका  
प्रकाशन समिति

संरक्षक एवं सलाहकार
  • श्रीमती अरुणा शर्मा(IAS),अपर मुख्य सचिव,
    म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.,
  • डाॅ.रविन्द्र पस्तौर(IAS),सचिव,म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.


प्रधान संपादक

निलेश परीख,
संचालक,
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान-म.प्र., जबलपुर


सह संपादक
संजीव सिन्हा, उप संचालक, म.गां.रा.ग्रा.वि.स.-म.प्र., जबलपुर

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